विश्व का प्रत्येक धर्म अपनी अनूठी मान्यताओं को लेकर चलता है, जो अक्सर आध्यात्मिक सिद्धांतों की अलग-अलग व्याख्याएं और स्पष्टीकरण देते हैं। इनमें से हिंदू धर्म समय के विषय में अपने अद्वितीय विस्तृत ज्ञान के साथ अलग से उभरकर सामने आता है, जिसमें समय को चार अलग-अलग युगों में विभाजित किया गया है: सत्य युग (सतयुग), त्रेता युग, द्वापर युग और कलियुग। कलियुग को 4,32,000 वर्षों का तथा अंतिम और अंधकारमय युग माना जाता है। हिंदू धर्मग्रंथों के अनुसार, इस युग में नैतिक और आध्यात्मिक मूल्यों में भारी गिरावट आती है, जिसमें व्यापक रूप से अज्ञानता और गलत प्रथाओं का चलन होता है।
कलियुग एक ऐसा भी समय है जिसमे कई संप्रदायों का, झूठे गुरुओं का और गलत आध्यात्मिक साधनाओं का प्रचलन हो जाता है, जो समाज को और भी भ्रमित करती है और फिर पतन की ओर ले जाती है। हालाँकि, इस अंधकार के बीच आशा की एक किरण भी है। हमारे पवित्र ग्रंथ एक दिव्य अवतार ― कल्कि अवतार के कलियुग में आने की भविष्यवाणी करते हैं, जो धर्म की पुनः स्थापना करेगा। इसके अलावा, इस युग में कबीर परमात्मा का प्रकट होना भी एक महत्वपूर्ण बात है।
इस लेख में कलियुग के सार, कल्कि अवतार के आगमन, परमात्मा कबीर का प्राकट्य और आध्यात्मिक पतन वाले इस युग में सच्चे मुक्तिदाता–रक्षक की पहचान आदि बिंदुओं को विस्तार से समझाया गया है।
इस सृष्टि में, दो शक्तियाँ निरंतर कार्य कर रही हैं: काल (शैतान) की शक्ति और दयाल (परमेश्वर) की शक्ति। जो भी प्राणी इस ब्रह्माण्ड में फंसे हुए हैं, वे पहले हमारे सच्चे घर सतलोक में निवास करते थे। परन्तु हम अपनी अज्ञानता के कारण यहाँ आ गए और तब से लेकर, यहाँ का राजा-प्रभु काल जिसका दूसरा नाम ज्योति निरंजन है, हमें कष्ट पर कष्ट दे रहा है। हमारे रक्षक हमारे परमपिता कबीर साहेब है, जो हमें बचाने के लिए यहां आते हैं।
जब पूर्ण परमात्मा कबीर जी और काल (ज्योति निरंजन) की वार्ता हो रही थी, तब परमेश्वर कबीर साहेब जी ने कहा था कि, "मैं पृथ्वी पर जाऊंगा और तुम्हारी सच्चाई सभी अबोध जीवों को बताऊंगा। मैं उन्हें मोक्ष पाने का पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान और मंत्र दूंगा। और मैं उन्हें उनके असली घर, सतलोक वापस ले जाऊंगा।" यह सुनकर काल बहुत क्रोधित हो गया, लेकिन वह परमेश्वर कबीर जी का कुछ नहीं बिगाड़ सका। तब काल ने परमेश्वर से प्रार्थना की और कहा, "कृपया सतयुग, त्रेता युग और द्वापर युग में कम जीवों को सतलोक ले जाना। कलियुग में आप जितने चाहें उतने जीवों को ले जा सकते हो।" सर्वज्ञ पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने उसे इसका वचन दे दिया। तब काल ने परमेश्वर को कलियुग में उसके द्वारा किए जाने वाले छल के बारे में बताया।
कबीर सागर में काल और कबीर परमेश्वर के बीच हुई चर्चा को इस प्रकार दर्शाया गया है,
बेसक जाओ ज्ञानी संसारा। जीव न मानै कहा तुम्हारा।।33
कहा तुम्हारा जीव ना मानै। हमरी और होय बाद बखानै।।34
दृढ़ फंदा मैं रचा बनाई। जामें सकल जीव उरझाई।।35
वेद-शास्त्र समर्ति गुणगाना। पुत्र मेरे तीन प्रधाना।।36
तीनहू बहु बाजी रचि राखा। हमरी महिमा ज्ञान मुख भाखा।।37
देवल देव पाषाण पुजाई। तीर्थ व्रत जप तप मन लाई।।38
पूजा विश्व देव अराधी। यह मति जीवों को राखा बाँधि।।39
जग (यज्ञ) होम और नेम आचारा। और अनेक फंद मैं डारा।।40
‘‘ज्ञानी (कबीर) वचन‘‘
हमने कहा सुनो अन्याई। काटों फंद जीव ले जांई।।41
जेते फंद तुम रचे विचारी। सत्य शब्द ते सबै विडारी।।42
जौन जीव हम शब्द दृढ़ावैं। फंद तुम्हारा सकल मुक्तावैं।।43
जबही जीव चिन्ही ज्ञान हमारा। तजही भ्रम सब तोर पसारा।।44
सत्यनाम जीवन समझावैं। हंस उभार लोक लै जावै।।45
पुरूष सुमिरन सार बीरा, नाम अविचल जनावहूँ।
शीश तुम्हारे पाँव देके, हंस लोक पठावहूँ।।46
ताके निकट काल नहीं आवै। संधि देख ताको सिर नावै।।48 (संधि = सत्यनाम+सारनाम)
‘‘धर्मराय (काल) वचन‘‘
पंथ एक तुम आप चलऊ। जीवन को सतलोक लै जाऊ।।49
द्वादश पंथ करूँ मैं साजा। नाम तुम्हारा ले करों आवाजा।।50
द्वादश यम संसार पठाऊँ। नाम कबीर ले पंथ चलाऊँ।।51
प्रथम दूत मेरे प्रगटै जाई। पीछे अंश तुम्हारा आई।।52
यहि विधि जीवन को भ्रमाऊँ। आपन नाम पुरूष का बताऊँ।।53
द्वादश पंथ नाम जो लैहि। हमरे मुख में आन समैहि।।54
आइए, अब इन वाणियों को विस्तार से समझते हैं। इन वाणियों के माध्यम से बताया गया है कि कैसे काल ब्रह्म (ज्योति निरंजन) ने पूर्ण परमात्मा से कहा था कि आप संसार में जा सकते हो, परन्तु आपकी बात कोई नहीं सुनेगा। मैं कलियुग के अंत तक सभी जीवों को धोखा देकर उनमें झूठा ज्ञान भर दूंगा। सभी जीव मेरे तीनों पुत्रों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी) की भक्ति में उलझे रहेंगे और आपकी बात नहीं मानेंगे। मैं लोगों से देवी-देवताओं की पूजा तथा तीर्थों और देवल धामों पर उनकी पूजा करवाना आरंभ करवा दूंगा।
मैं आपकी आत्माओं को जप, तप, यज्ञ और नकली मंत्रों की साधना में उलझा कर रखूंगा और आपके प्राणियों को दु:खी करने के लिए और अनेक जाल बिछाऊंगा।
परमेश्वर के वचन:
काल की बातें सुनकर पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी ने कहा कि तू जो भी जाल बिछाएगा, मैं उसे सतनाम मंत्र से तोड़ दूँगा तथा सर्व प्राणियों को तुझसे छुड़ाकर वापस ले जाऊँगा।
काल के वचन:
तब ज्योति निरंजन ने कहा कि जब आप एक सच्चा पंथ चलाओगे तो मैं बारह नकली पंथ चलाऊंगा, जो आपका ही नाम लेकर प्राणियों को भ्रमित करेंगे। पहले तो मेरे दूत संसार में जाकर सबको अलग-अलग धर्म, जाति में बांट देंगे और जब आपका प्रतिनिधि आयेगा तो कोई उसकी बात नहीं सुनेगा। ये थी काल और दयाल के बीच हुई बातचीत। अब आगे समझते हैं।
सबसे पहले, आइए समझते हैं कि कलियुग का अर्थ क्या है। कलियुग एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है "अंधकार का युग।" यह वह युग है, जिसमें लोग पापी हो जाते है, पाखंडवाद अपनी चरमसीमा पर होता है और लोग अपने विचार, कार्य और शब्दों द्वारा एक-दूसरे को दुःख पहुचाते है। इस युग में पाखंड को बढ़ावा मिलता है और लोग अत्यंत दुखी हो जाते है और महान कष्ट सहते है क्योंकि वे परमेश्वर की भक्ति नही करते।
कलियुग की कुल अवधि 4,32,000 वर्ष है। आइए अब समझते है कि आज (23 मई, 2024) तक कलियुग के कितने वर्ष बीत चुके हैं।
कोलकाता से प्रकाशित पुस्तक 'हिमालय तीर्थ' के पृष्ठ 42 पर उल्लेख मिलता है कि जब कलियुग के 3000 वर्ष बीत जायेंगे, तब शंकराचार्य जी का जन्म होगा। एक अन्य ग्रन्थ 'ज्योतिर्मय ज्योतिर्मठ' के पृष्ठ 11 पर उल्लेख मिलता है कि शंकराचार्य जी का जन्म ईसा मसीह से 508 वर्ष पूर्व हुआ था। आइए अब बुनियादी गणित की विधि से समझते हैं। ईसा मसीह के जन्म को आज 2024 वर्ष बीत चुके हैं और शंकराचार्य जी का जन्म ईसा मसीह से 508 वर्ष पूर्व हुआ था। तो 2024 + 508 को जोड़ने से 2532 वर्ष बनते हैं। अब, कलियुग के 3000 वर्ष बीत जाने के बाद शंकराचार्य का जन्म हुआ था। तो, 3000 + 2532 =5532, इस तरह जोड़ने से पता चलता है कि आज कलियुग के 5532 वर्ष बीत चुके हैं।
4,32,000 वर्षो में से 5532 घटाने पर 4,26,468 वर्ष शेष रह जाते हैं। इसका मतलब यह है कि कलियुग के अंत में अभी भी 4,26,468 वर्ष बाकी हैं। दूसरे शब्दों में, हम कलियुग की कुल अवधि का केवल एक छोटा सा अंश है, जो कि 4,32,000 वर्ष लंबी है। इसलिए, कलियुग के समाप्त होने में अभी काफी समय बाकी है।
परमेश्वर कबीर जी ने कलयुग को तीन चरणों में बाँटा है।
पहला चरण: इस चरण में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब जी 650 साल पहले काशी शहर में प्रकट हुए थे। 120 वर्षों तक उन्होंने एक कवि के रूप में लीला की और लोगों को आध्यात्मिक शिक्षाएँ दीं। जब उन्होंने अपनी दिव्य लीला समाप्त की और मगहर से अपने शाश्वत निवास सतलोक को प्रस्थान किया तो उनके शरीर के स्थान पर सुगंधित फूल पाए गए। इस घटना का प्रमाण आज भी मगहर शहर में देखा जा सकता है।
कबीर परमेश्वर ने कहा था कि कलयुग का वह प्रथम चरण होगा, जब मैं मगहर नगर से निर्वाण प्राप्त करूँगा यानि कोई लीला करके सतलोक जाऊँगा।
द्वितीय चरण : वर्तमान समय कलियुग का मध्य चरण है। इस दौर में लोग अधर्मी हो गए हैं और केवल माया के पीछे ही पागल हो गए हैं। कोई भी व्यक्ति दूसरे की सफलता से खुश नहीं होता और हर कोई एक दूसरें को नीचा दिखाने में अपना समय बर्बाद कर रहा है। पूर्ण परमात्मा की पूजा कोई नहीं करता। प्रतिदिन नए धार्मिक नेता उभर रहे हैं जिनकी शिक्षाएँ धर्मग्रंथों के विपरीत हैं। ये नेता अपने स्वार्थ के लिए भोली-भाली जनता को गुमराह करते हैं। पुजारी मांस-मदिरा का सेवन करने लगे हैं और न्याय लगभग लुप्त हो गया है। लोग नम्रता और आदर सत्कार का महत्व भूल गये हैं।
तीसरा चरण: कलियुग के अंतिम चरण में, लोगों की आयु घटकर केवल 20 वर्ष रह जाएगी, और मृत्यु 15 वर्ष की आयु में ही हो जाएगी। महिलाएं 5 साल की उम्र में गर्भवती हो जाएंगी। इंसान की ऊंचाई घटकर सिर्फ 1.5 से 2.5 फीट रह जाएगी। बारिश बूंदाबांदी की तरह गिरेगी। कोई फलदार पेड़ नहीं बचेंगे। लोग मकानों के स्थान पर बिल खोदकर रहेंगे और कोई उपजाऊ भूमि नहीं बचेगी। मनुष्य कच्चा मानव मांस खाएँगे।
जैसा कि काल ने कबीर परमेश्वर जी से कहा था कि जब तक आप कलियुग में सच्चा ज्ञान देने आओगे, तब तक मैं अपने दूत भेजकर अनेक पंथ और धर्म स्थापित करवा दूंगा, सभी लोग मेरे द्वारा चलाई गई भ्रमित क्रियाओं पर विश्वास करेंगे। आपके सत्य ज्ञान को भी स्वीकार नहीं करेंगे। वर्तमान समय में नये-नये सम्प्रदायों का उदय हो रहा है और पिछले कुछ समय से सैकड़ों संप्रदाय अस्तित्व में हैं। देखने व विचार करने लायक बात यह है कि इन सभी संप्रदायों का ज्ञान एक-दूसरे से भिन्न है, दूसरा यह कि हर कोई अपने आप को सच्चा गुरु होने का दावा करता है और दूसरों की मिथ्या आलोचना करता है।
भोले-भाले भक्त उनके द्वारा बताई गई सभी भक्ति साधना निष्ठापूर्वक करते हैं लेकिन किसी को कोई लाभ नहीं होता है। क्योंकि उनके द्वारा बताई गई भक्ति साधना गलत होती है। भक्ति तो सभी करना चाहते हैं, हर कोई परमेश्वर से लाभ प्राप्त करना और सुखी जीवन जीना चाहता है। इसी कारण लोग विभिन्न धर्म और संप्रदायों में विभाजित हो गये और भगवान के नाम पर बताये गए सभी काम भी कर रहे हैं।
आगे बढ़ते हैं, कबीर परमेश्वर जी के शिष्य धर्मदास जी को परमात्मा ने बताया कि जब कलियुग के 5505 वर्ष बीत जायेंगे तब मैं आऊंगा और इन सभी नकली पंथों को मिटाकर यथार्थ कबीर पंथ की स्थापना करूंगा।
वाणी:
पाँच हजार अरू पाँच सौ पाँच जब कलयुग बीत जाय।
महापुरूष फरमान तब, जग तारन कूं आय।।66
हिन्दु तुर्क आदि सबै, जेते जीव जहान।
सत्य नाम की साख गही, पावैं पद निर्वान।।67
यथा सरितगण आप ही, मिलैं सिन्धु मैं धाय।
सत्य सुकृत के मध्य तिमि, सब ही पंथ समाय।।68
जब लग पूर्ण होय नहीं, ठीक का तिथि बार।
कपट-चातुरी तबहि लौं, स्वसम बेद निरधार।।69
सबही नारी-नर शुद्ध तब, जब ठीक का दिन आवंत।
कपट चातुरी छोड़ि के, शरण कबीर गहंत।।70
एक अनेक ह्नै गए, पुनः अनेक हों एक।
हंस चलै सतलोक सब, सत्यनाम की टेक।।71
घर घर बोध विचार हो, दुर्मति दूर बहाय।
कलयुग में सब एक होई, बरतें सहज सुभाय।।72
कहाँ उग्र कहाँ शुद्र हो, हरै सबकी भव पीर(पीड़)।।73
सो समान समदृष्टि है, समर्थ सत्य कबीर।।74
परमेश्वर कबीर जी ने बताया है कि हे धर्मदास! मैंने ज्योति निरंजन यानि काल ब्रह्म से भी कहा था, अब आपको भी बता रहा हूँ।
स्वसमबेद बोध की वाणी सँख्या 66 से 74 का सरलार्थ:- जिस समय कलयुग पाँच हजार पाँच सौ पाँच वर्ष बीत जाएगा, तब एक महापुरूष विश्व को पार करने के लिए आएगा। हिन्दु, मुसलमान आदि-आदि जितने भी पंथ तब तक बनेंगे और जितने जीव संसार में हैं, वे मानव शरीर प्राप्त करके उस महापुरूष से सत्यनाम लेकर सत्यनाम की शक्ति से मोक्ष प्राप्त करेंगे। वह महापुरूष जो सत्य कबीर पंथ चलाएगा, उस (तेरहवें) पंथ में सब पंथ स्वतः ऐसे तीव्र गति से समा जाएंगे जैसे भिन्न-भिन्न नदियाँ अपने आप निर्बाध दौड़कर समुद्र में गिर जाती है। उनको कोई रोक नहीं पाता। ऐसे उस तेरहवें पंथ में सब पंथ शीघ्रता से मिलकर एक पंथ बन जाएगा। परंतु जब तक ठीक का समय नहीं आएगा यानि कलयुग पाँच हजार पाँच सौ पाँच वर्ष पूरे नहीं करता, तब तक मैं जो यह ज्ञान स्वसमवेद में बोल रहा हूँ, आप लिख रहे हो, निराधार लगेगा।
जिस समय वह निर्धारित समय आएगा। उस समय स्त्री-पुरूष उच्च विचारों तथा शुद्ध आचरण के होकर कपट, व्यर्थ की चतुराई त्यागकर मेरी (कबीर जी की) शरण ग्रहण करेंगे। परमात्मा से लाभ लेने के लिए एक ‘‘मानव‘‘ धर्म से अनेक पंथ (धार्मिक समुदाय) बन गए हैं, वे सब पुनः एक हो जाएंगे। सब हंस (निर्विकार भक्त) आत्माएँ सत्य नाम की शक्ति से सतलोक चले जाएंगे। मेरे अध्यात्म ज्ञान की चर्चा घर-घर में होगी। जिस कारण से सबकी दुर्मति समाप्त हो जाएगी। कलयुग में फिर एक होकर सहज बर्ताव करेंगे यानि शांतिपूर्वक जीवन जियेंगे। कहाँ उग्र अर्थात् चाहे डाकू, लुटेरा, कसाई हो, चाहे शूद्र, अन्य बुराई करने वाला नीच होगा। परमात्मा सत्य भक्ति करने वालों की भवपीर यानि सांसारिक कष्ट हरेगा यानि दूर करेगा। सत्य साधना से सबकी भवपीर यानि सांसारिक कष्ट समाप्त हो जाएंगे और उस 13वें (तेरहवें) पंथ का प्रवर्तक सबको समान दृष्टि से देखेगा अर्थात् ऊँच-नीच में भेदभाव नहीं करेगा। वह समर्थ सत्य कबीर ही होगा। (मम् सन्त मुझे जान मेरा ही स्वरूपम्)
तेरहवाँ पंथ 'सच्चे सत कबीर का मार्ग' है। इसके प्रवर्तक स्वयं कबीर परमेश्वर जी है। वर्तमान में इसके व्यवस्थापक स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के पुत्र एवं उनके सेवक रामपाल दास हैं।
आइए अब कल्कि अवतार के बारे में समझते हैं -
हिंदू धर्म के अनुसार कल्कि अवतार दसवें अवतार हैं जो भगवान विष्णु के अवतार होंगे। वह कलियुग के अंत में प्रकट होंगे जब अधर्म प्रबल होगा और वो अपनी लंबी तलवार से उन लोगों को खत्म कर देंगे जो भगवान में विश्वास नहीं रखेंगे हैं। केवल भक्ति करने वालों को ही बख्शा जाएगा।
कल्कि पुराण के अनुसार, कल्कि का जन्म माघ महीने के 12वें दिन यानी पूर्णिमा से दो दिन पहले होगा। पंचम वेद जिसे सूक्ष्म वेद के नाम से जाना जाता है, उस कबीर सागर में कल्कि अवतार के वर्णन में कहा गया है कि राजा हरिश्चंद्र वाली आत्मा, भगवान विष्णु जी के आशीर्वाद से कलियुग के अंत में कल्कि अवतार के रूप में जन्म लेंगे। भारत के उत्तर प्रदेश में संभल नगरी में विष्णु दत्त शर्मा के घर उनका जन्म होगा। कल्कि अवतार विशाल कद का होगा और वह सभी को एसे काट डालेगा जैसे किसान घास काटता है, उसकी तलवार बहुत बड़ी होगी।
बढ़ते हुए अधर्म और पाप के कारण, जब मनुष्य अपना धर्म भूल जाते है तथा लूटपाट, चोरी, व्यभिचार करते है और सतभक्ति नहीं करते है, तो पापी, अधर्मी और भ्रष्ट लोगों को खत्म करने के लिए कल्कि अवतार विष्णु के लोक से आएंगे। यहां कल्कि की प्रथम भूमिका बुराई की ताकतों को नष्ट करना और धर्म की स्थापना करना है। वह भ्रष्ट शासक, झूठे गुरु और धोखेबाज नेताओं को खत्म कर देगा, जो मानवता को गुमराह कर रहे होंगे। उसके आगमन से कलियुग का अंत होगा और फिर से समय के एक नए चक्र की शुरुआत होगी, जो कि सत्य युग, सत्य और सदाचार के युग से शुरू होगा।
कल्कि के आगमन के संकेत इस प्रकार हैं -
पूर्ण नैतिक पतन: समाज एक ऐसे बिंदु पर पहुँच जाएगा जहां सभी नैतिक और आध्यात्मिक मूल्य खत्म हो जाएंगे। भ्रष्टाचार, हिंसा और अन्याय बढ़ जाएगा।
व्यापक संकट: प्राकृतिक आपदा, युद्ध और विपत्तियों के कारण मानवता को अत्यधिक पीड़ा का सामना करना पड़ेगा। दुनिया में अराजकता और निराशा फैल जाएगी।
सतज्ञान का लोप: ईश्वर का सतज्ञान लुप्त हो जाएगा, और लोग झूठे पंथ और परंपराओं पर चलकर अज्ञान में फंस जाएंगे।
वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज एक अद्वितीय दृष्टिकोण से समाज को ज्ञान प्रदान कर रहे हैं। वे समझाते हैं कि कल्कि अवतार जो कलियुग के अंतिम चरण में प्रकट होगा वह सच्चा रक्षक नहीं है बल्कि कलियुग में सच्चे रक्षक परमात्मा कबीर जी हैं। कल्कि अवतार केवल बुराईयों का दमन करेगा जबकि कबीर परमात्मा न केवल सभी प्रकार से रक्षा करेंगे बल्कि मोक्ष प्रदान करेंगे। कबीर परमात्मा का तत्वज्ञान कलियुग के खत्म होने से पहले ही मुक्ति का सीधा मार्ग प्रदान करता है।
कलियुग में जीवन के दौरान जबरदस्त चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, लेकिन परमात्मा कबीर जी की शिक्षाओं का पालन करते हुए आध्यात्मिक रूप से परिपूर्ण जीवन जीना संभव है, जो वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई जा रही हैं। आध्यात्मिक जागरूकता बनाए रखना और सच्ची भक्ति का अभ्यास करते रहना, ये कलियुग में जीवन जीने की महत्वपूर्ण कुंजियाँ हैं।
कलियुग एक ऐसा समय है जिसमें अधिकांश व्यक्ति, चाहे जाने-अनजाने में ही लेकिन विभिन्न पाप कर्मो में संलग्न हो ही जाते हैं। इस चुनौतीपूर्ण युग में धर्म का पालन करने का मार्ग एक पूर्ण और सच्चे गुरु से दीक्षा लेने से शुरू होता है। ऐसे गुरु के मार्गदर्शन में ही व्यक्ति सही और गलत कर्म के बीच अंतर कर सकता है। गुरु के आशीर्वाद और ईश्वर की कृपा से व्यक्ति सफलतापूर्वक पापपूर्ण व्यवहार को त्याग कर धार्मिक जीवन अपना सकता है। कलियुग में, सच्चे गुरु की शिक्षाओं का पालन करना ही धर्म का पालन करते हुए जीवन जीने का सार है।
काल और परमात्मा कबीर जी के बीच हुई वार्तालाप के अनुसार, कलियुग एक विशिष्ट युग है, जिसमें कबीर परमात्मा ने पूरे मानव समाज के सामने सत्य आध्यात्मिक ज्ञान प्रकट करते है, जो पहले छिपा हुआ होता है। इस समय में, पूजा के सत्य मंत्र प्रकट होते हैं, जो पूर्ण मोक्ष प्राप्त करने का अभूतपूर्व अवसर प्रदान करते हैं। किसी अधिकारी संत से दीक्षा लेकर और पूर्ण परमात्मा कबीर जी की पूरी श्रद्धा के साथ सत भक्ति करने से व्यक्ति मुक्ति प्राप्त कर सकता है। इस तरह, परमात्मा कबीर जी द्वारा प्रकट होने वाले सत्य ज्ञान और मार्गदर्शन से पूर्ण मोक्ष पाने का रहस्य कलियुग में छिपा है।
कलियुग के अंत समय की भविष्यवाणी विभिन्न संकेतों द्वारा बताई गई है, जिनमें शामिल है:
अभी हम कलियुग में ही जी रहे हैं और शास्त्रों की भविष्यवाणी है कि जैसे जैसे समय बीतता जाएगा, यह युग और अंधकारमय तथा और अधिक चुनौतीपूर्ण बनता चला जाएगा। "भयानक कलियुग" का तात्पर्य इस युग के अंतिम चरण से है, जब नैतिक और आध्यात्मिक पतन अपनी चरमसीमा पर पहुँच जाएगा। यह चरण अभी तो कई हजारों साल बाद आएगा, लेकिन इसके आगमन के संकेत पहले से ही आज के वक्त में दुनिया में दिखाई देने लगे हैं।
कलियुग के अंत में, आध्यात्मिक रीति से दुनिया की सफाई और नवीनीकरण का समय आएगा, जो दुनिया को अगले चतुर्युग के लिए तैयार करेगा।
कलियुग में नकली गुरुओं और गलत आध्यात्मिक साधनाओं के प्रचार प्रसार ने कई लोगों को गुमराह किया हुआ है। ये झूठे गुरु ज्यादातर पैसे कमाने को ही प्राथमिकता देते है और अपने व्यक्तिगत उद्देश्यों के लिए उनके अनुयायियों के साथ छल करते हैं। ये गुरु गलत भक्ति साधना को बढ़ावा देते है, जैसे कि:
इसके विपरीत, परमात्मा कबीर और संत रामपाल जी महाराज द्वारा सिखाई जा रही सत भक्ति में निम्न बातें मुख्य हैं -
लगभग 600 साल पहले कबीर परमात्मा भारत के काशी (वाराणसी) शहर में प्रकट हुए थे। वे एक लीला के रूप में गंगा नदी में तैरते हुए कमल के फूल पर प्रकट होकर एक निःसंतान जुलाहा दंपत्ति को प्राप्त हुए। निसंतान दंपत्ति ने नवजात शिशु रूपी कबीर साहेब का पालन पोषण किया। परमेश्वर कबीर जी ने एक साधारण जुलाहे का जीवन जी कर दिखाया लेकिन वास्तव में वो खुद परमेश्वर ही थे। परमेश्वर कबीर जी ने जीवनपर्यंत उस समय समाज में चल रही गलत साधनाओं को उजागर किया था और परमेश्वर की भक्ति का सच्चा ज्ञान प्रदान किया था। उन्होंने मूर्ति पूजा, जातिवाद, भेदभाव और पाखंडवाद का विरोध किया था। उनके द्वारा दिया गया ज्ञानोपदेश कबीर वाणी के नाम से जाना जाता है, वह वाणी रूप में संरक्षित ज्ञान आज भी आध्यात्मिक साधकों का मार्गदर्शन करता है।
वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज परमेश्वर कबीर जी के सच्चे संत के रूप में आए हुए हैं, और उन्होंने परमात्मा के सत ज्ञान को जन-जन तक फैलाने का अपना मिशन जारी रखा है। संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि परमात्मा कबीर जी ने 600 साल पहले प्रकट होकर काशी में एक लीला की थी, और आज भी वे ही अपनी शिक्षाओं के माध्यम से मानव समाज का मार्गदर्शन कर रहे हैं।
संत रामपाल जी महाराज ने सत्संग के माध्यम से परमात्मा को पहचानने और सत भक्ति के मार्ग पर चलने के महत्व को समझाया है। उन्होंने हमारे सतग्रंथों का सही विवेचन किया है और कलियुग के इस समय में प्रचलित गलत भक्ति साधना विधि का भेद खोला है तथा साधकों को मोक्ष मार्ग पर चलने के लिए मार्गदर्शन किया है।
कलियुग में मुक्तिदाता कौन है, यह प्रश्न काफी विवाद का विषय रहा है। पारंपरिक रूप से तो सब कल्कि अवतार को कलियुग के अंत में प्रकट होने वाले अवतार के रूप में देख रहे हैं, हालाँकि, कलियुग में रक्षक भगवान कल्कि अवतार नहीं है। आइये जानते हैं कौन है असली रक्षक?
कल्कि अवतार: विष्णु जी के दसवें अवतार कल्कि अवतार के बारे में पुराणों में भविष्यवाणी की गई है, कलियुग के अंत में धर्म की स्थापना करने और युग परिवर्तन करने के लिए वे प्रकट होंगे। कल्कि अवतार को एक ऐसे योद्धा के रूप में चित्रित किया गया है, जो बुरी ताकतों को नष्ट कर देगा और धर्म की फिर से स्थापना करेगा। हालाँकि, कल्कि का अवतरण होना बहुत दूर के भविष्य की बात है, तब तक तो मानव समाज को कलियुग की चुनौतियों से जूझना पड़ेगा।
सूक्ष्म वेद से यह रहस्य उजागर होता है कि कलियुग में कबीर परमात्मा ही सच्चे रक्षक है। कल्कि अवतार की तो इस युग के अंत में प्रकट होने की उम्मीद है, जबकि परमात्मा कबीर तो मानवता को सच्चे मार्ग पर वापस लाने के लिए कलियुग में पहले ही प्रकट हो चुके है। उनकी शिक्षाएँ कलियुग के अंत की प्रतीक्षा किए बिना, मोक्ष प्राप्त करने का एक सीधा और शीघ्र मार्ग प्रदान करती है। परमात्मा कबीर जी का संदेश सार्वभौमिक प्रेम, करुणा और सर्वशक्तिमान परमेश्वर के प्रति समर्पण का है। वह बताते है कि परमात्मा की कृपा और सच्चे गुरु के मार्गदर्शन से इसी जीवन में मुक्ति संभव है और वर्तमान में वह सच्चे गुरु संत रामपाल जी महाराज हैं।
आध्यात्मिक मार्ग पर चलने वालों के लिए कलियुग के अंधकारमय समय में भारी कठिनाईयाँ आती हैं। समाज का नैतिक और आध्यात्मिक पतन हो जाता है तथा गलत भक्ति साधनाओं के प्रसार के कारण और काल प्रभाव से सत्य भक्ति मार्ग को पहचानना कठिन हो जाता है। हालाँकि, कलियुग में परमात्मा कबीर जी का प्रकट होना अज्ञान और आपत्तियों के चक्र में फंसी सभी आत्माओं के लिए आशा की एक किरण है। संत रामपाल जी महाराज द्वारा बताई गई परमात्मा कबीर जी की शिक्षाओं के माध्यम से, मानवता को कलियुग के अंधेरे से उबरने और मुक्ति प्राप्त करने के साधन मिल जाते है। गलत साधनाओं को त्यागकर, एक सच्चे गुरु का मार्गदर्शन प्राप्त करके और स्वयं को परमात्मा की पूजा के लिए समर्पित करके, कोई भी इस युग की समस्याओं का समाधान पा सकता है और परम शांति यानी मोक्ष प्राप्त कर सकता है।
अतः हम कह सकते है कि कलियुग में सच्चा रक्षक कल्कि अवतार नहीं है, जो युग के अंत में प्रकट होगा, बल्कि परमात्मा कबीर जी हैं, जो हमें सत्य मार्ग पर वापस लाने के लिए पहले ही प्रकट हो चुके हैं। उनकी शिक्षाओं को अपनाकर और धार्मिक और भक्तिमय जीवन जीकर, हम कलियुग के अंधकार को पार कर सकते हैं और मुक्ति के अंतिम लक्ष्य को प्राप्त कर सकते हैं।
सभी युगों की समय अवधि अलग-अलग होती है। चारों युगों की अवधि इस प्रकार है: सतयुग 17,28,000 वर्ष, त्रेतायुग 1,296,000 वर्ष, द्वापरयुग 8,64,000 वर्ष और कलयुग 4,32,000 वर्ष का होता है।
वर्तमान में कलयुग 5,530 वर्ष बीत चुका है। आदिशंकराचार्य जी का जन्म ईसा के जन्म से 508 वर्ष पूर्व हुआ था। ईसा के जन्म से लेकर अब तक लगभग 2022 वर्ष बीत चुके हैं। शंकराचार्य के जन्म से लेकर अब तक कुल वर्षों की संख्या 2022 + 508 = 2530 वर्ष है। कालक्रम से गणना करने पर शंकराचार्य जी का जन्म कलयुग के 3000 वर्ष बीत जाने के बाद हुआ था। इस तरह 2023 तक कलयुग के 5530 वर्ष बीत चुके हैं।
2023 तक कलयुग 5530 वर्ष बीत चुका है। कलयुग में कुल 4,32,000 वर्ष हैं। इस तरह सन 2023 से आगे के अनुसार कलयुग के 4,32,000 - 5530 = 4,26,470 वर्ष बाकी हैं।
जी नहीं, यह अभी कलयुग की शुरुआत है। कलयुग का कुल समय 4,32,000 वर्षों का होता है। जबकि 2023 तक तो कलयुग केवल 5530 वर्ष ही बीता है। इस समय को तो स्वर्णिम काल कहा जाता है। वर्तमान समय में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं, उनसे नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करके मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं और यह विनाश का काल नहीं है क्योंकि विनाशकारी काल तो कलयुग के अंत में आएगा।
कलयुग में कुल 4,32,000 वर्ष होते हैं। इस तरह यह समय बीत जाने के बाद कलयुग समाप्त होगा। वर्ष 2023 तक कलयुग केवल 5530 वर्ष ही बीता है। वर्तमान में सभी मनुष्यों को तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज से नाम दीक्षा लेकर सतभक्ति करनी चाहिए।
वर्तमान समय में कबीर परमेश्वर जी के अवतार संत रामपाल जी महाराज जी इस समय धरती पर विराजमान हैं। परमेश्वर कबीर जी ने अपनी बाणी में कहा है कि जब कलयुग के 5500 वर्ष बीत जाएंगे तो ईश्वर स्वयं संसार का उद्धार करने के लिए प्रकट होंगे।
वर्तमान समय जो कलयुग का चल रहा है, वह स्वर्ण युग है क्योंकि यह समय सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी ने भक्ति के लिए चुना था। उन्होंने यह भी कहा था कि इस युग में कबीर साहेब जी स्वयं इस धरती पर प्रकट होकर सच्ची भक्ति का सच्चा मार्ग प्रदान करेंगे। फिर उनके बताए गए मार्ग पर चलकर ही पूर्ण मोक्ष की प्राप्ति होती है। वर्तमान में वह एकमात्र संत रामपाल जी महाराज जी हैं। केवल वह ही सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान कर रहे हैं।
सतयुग इन चार युगों में सबसे लंबा है। इसकी समय अवधि 17,28,000 वर्ष है।
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Shashikant Dubey
मुझे यह लेख बहुत दिलचस्प लगा क्योंकि यह ज्ञान के ऊपर आधारित है। लेकिन मैंने कलयुग के बीतने और कल्कि अवतार के आने के बारे में बहुत सुन रखा है। क्या वर्तमान समय में कल्कि अवतार के आने के बारे में ही इतनी भविष्यवाणियां की गई हैं?
Satlok Ashram
शशिकांत जी, आपने हमारे लेख को पढ़कर अपने विचार व्यक्त किए, उसके लिए आपका धन्यवाद। देखिए हमारे लेख में जो भी जानकारी दी गई है, वो प्रमाण साहित बताई गई है। कलयुग का कुल समय 4,32,000 वर्ष का है और सन 2023 तक यह केवल 5530 वर्ष ही बीता है। कल्कि अवतार यानि जिसको श्री विष्णु जी का अवतार माना जाता है, वे कलयुग के अंत में विष्णु दत्त शर्मा के घर जन्म लेगा। उस समय संसार में हाहाकार मची होगी। लेकिन कलयुग के इस समय में एक आध्यात्मिक गुरु के आने बारे में बहुत सी सटीक भविष्यवाणियां की गई हैं। अधिक जानकारी के लिए आप "जीने की राह" पुस्तक पढ़ सकते हैं। इसके अलावा आप संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक प्रवचनों को यूट्यूब चैनल पर भी सुन सकते हैं और भविष्य, वर्तमान और भूतकाल की घटनाओं के बारे में गहराई से जान सकते हैं।