संत रामपाल जी महाराज के विशेष संदेश


संत रामपाल जी महाराज के विशेष संदेश

परमपिता परमात्मा जिसने पूरी सृष्टि की रचना की जिसकी महिमा का वर्णन सूक्ष्म वेद में है। वैसे तो वेदों की संख्या पाँच हैं, जिनमें सत्यपुरुष/परम अक्षर ब्रह्म के बारे में जानकारी है। परंतु दुनिया के लोग और भक्त समाज सिर्फ चार वेदों से ही परिचित हैं जो कि हैं पवित्र ऋग्वेद, सामवेद, यजुर्वेद और अथर्ववेद। पाँचवां वेद सुक्ष्म वेद है जिसे आज तक जन-मानस नहीं जानता। यह सच्चिदानंद घन ब्रह्म की वाणी का संग्रह है, अर्थात परमेश्वर कविर्देव के मुख कमल से निकले अमृत वचनों का संग्रह हैं।

चूंकि ब्रह्म यानी काल को इस बात का डर था कि अगर उसकी क्रूरता उजागर हो गई और आत्माओं को सुखदाई परमपिता परमात्मा के बारे में पता चल गया तो उसका ब्रह्मांड खाली हो जाएगा इसलिए ब्रह्म काल ने पाँचवें वेद को नष्ट कर दिया था। इस कारण दयालु परमेश्वर, शब्दस्वरूपी राम कविर्देव स्वयं हर युग में इस मृत लोक में अवतरित होकर सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान करते हैं। पवित्र कबीर सागर पाँचवां वेद है जिसे परमेश्वर कबीर जी ने आज से लगभग 600 साल पहले अपने प्रिय शिष्य आदरणीय धर्मदास जी से लिपिबद्ध करवाया था, जो अविनाशी परमात्मा और उनके शाश्वत निवास के बारे में पूरी जानकारी प्रदान करता है। यह पवित्र ग्रंथ यह भी प्रमाणित करता है कि भोली आत्माएँ शैतान काल के जाल में फंसी हुई हैं और केवल सर्वशक्तिमान पूर्ण परमात्मा कबीर जी की कृपा से ही वे मुक्त हो सकती हैं।

प्रत्यक्षदृष्टा पूज्य संत गरीबदास जी महाराज ने परमेश्वर कविर्देव की अमृत वाणी को लगभग 250 वर्ष पूर्व 'सत ग्रंथ साहिब (अमर ग्रंथ)' में लिपिबद्ध किया था जो परम अक्षर ब्रह्म की अद्भुत रचना की महिमा का सुंदर वर्णन करता है। पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की कृपा से, संत गरीबदास जी महाराज की दिव्य दृष्टि सक्रिय हो गई थी, जिसके कारण वे भूत, वर्तमान और भविष्य में होने वाली घटनाओं को देखने में सक्षम थे। उन्हें सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान/ तत्वज्ञान प्राप्त हुआ जिसे उन्होंने दादूपंथ से दीक्षित गोपाल दास जी के माध्यम से अमरग्रंथ में लिपिबद्ध करवाया। 

सत ग्रंथ साहिब अर्थात सूक्ष्म वेद काल के इस लोक में देवी-देवताओं की स्थिति के बारे में विस्तृत जानकारी प्रदान करता है जो स्वयं जन्म और मृत्यु के चक्र में फंसे हुए हैं और इसलिए हमे मोक्ष प्रदान नहीं कर सकते हैं। इसमें बताया गया है कि संसार का तारणहार, मुक्ति दाता, सुख दाता भगवान एकमात्र कविर्देव ही है।

विशेष सत्संग प्रकरण की यह श्रृंखला स्वयं सर्वशक्तिमान कविर्देव द्वारा सत्संग के रूप में बताई गई है जो वर्तमान में जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के रूप में लीला कर रहे हैं।

विशेष सत्संग की इस शृंखला में परमात्मा ने सूक्ष्मवेद में वर्णित छुपे हुए आध्यात्मिक तथ्यों को उजागर किया है जो अंतरात्मा को छू लेते है और भक्ति करने के लिए और बुराइयो से दूर रहने के लिए प्रेरणादायक हैं। उन्होंने शैतान काल की क्रूरता, काल की दुनिया में देवताओं की स्थिति, काल के इस नाशवान लोक में प्रचलित गलत धार्मिक प्रथाओं और किस प्रकार भक्तों/साधकों के साथ भक्ति के नाम पर धोखा किया जा रहा है, जिसके कारण उनके कष्ट कभी खत्म नहीं होते, को उजागर किया है।

तत्वदर्शी संत “संत रामपाल जी महाराज” के रूप में पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब स्वयं ही विशेष सत्संग की इस श्रृंखला में सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान अर्थात तत्वज्ञान का उपदेश दे कर अपनी प्यारी आत्माओं को सतभक्ति करने और नकली सांसारिक सुखों को त्यागने के लिए प्रेरित करते हैं। वे बताते हैं कि काल के इस लोक में आत्माएं फंसी हुई हैं और दिन-रात कष्ट उठा रही हैं। परमात्मा विशेष सत्संगो के माध्यम से अपनी प्रिय आत्माओं को बार-बार मोक्ष प्राप्त करने के लिए ध्यान केंद्रित करने की याद दिलाते हैं और सुखधाम सतलोक, जो कि हमारा मूल निवास है, की महिमा का गुणगान करते हैं।

विशेष सत्संग प्रकरण की यह श्रृंखला हमारे सद्ग्रंथो में बताई गई सर्वशक्तिमान पूर्ण परमात्मा की प्रमाणिक भक्ति विधि को उजागर करती है जिससे साधक को मोक्ष की प्राप्ति होती है।