आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा कबीर पंथी पारखी अभिलाष दास बनाम जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी


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कबीर साहेब जी के सतलोक गमन के पश्चात कबीर साहेब जी के नाम से 12 नकली पंथ काल ब्रह्म द्वारा चलाए गए। उन्हीं में से एक बहु चर्चित कबीरपंथी संत पारखी अभिलाष दास बुरहानपुर वाले हैं जो पारख पंथ को सबसे उच्च पंथ बताते हैं। इस आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में हम पारखी अभिलाष दास व जगतगुरू तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी के आध्यात्मिक विचारों से जानेंगे कि सच्चा संत कौन है? 

इष्ट देव पर वार्ता: आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा में पूछे गए प्रश्न के जवाब में पारखी अभिलाष दास जी ने बताया कि उनका इष्ट देव सतगुरु है। मनुष्य रूप में सतगुरु ही इष्ट देव है। इन्होंने मनुष्य रूप में कबीर साहेब को अपना इष्ट देव बताया। ये कबीर साहेब को परमात्मा रुप में नहीं मानकर केवल मनुष्य ही मानते हैं। तत्वदर्शी संत रामपाल जी ने अपना इष्टदेव कबीर साहेब जी को बताया जिन्हें वेदों में कविर्देव कहा गया है जो सारी सृष्टि के सृर्जनहार हैं, कुल के मालिक हैं जो सभी आत्माओं के जनक हैं।

संसार का उत्पत्तिकर्ता: पारखी अभिलाष दास के अनुसार संसार का कोई उत्पत्तिकर्ता नहीं है, संसार सदा से ही था और सदा रहेगा। इसका कोई आदि अंत नहीं है। संसार नित्य (हमेशा रहने वाला) है। वहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अनुसार सृष्टि रचना का प्रमाण चार प्रमुख धर्म के पवित्र ग्रंथों में लिखित है जिनमें हिन्दू, मुस्लिम, सिख और ईसाई धर्म के पवित्र ग्रन्थ शामिल हैं जो यह साबित करते हैं कि कबीर साहेब जी ही सृष्टिकर्ता और पालनकर्ता हैं।

परमात्मा अपने साधक के पाप नाश करता है: पारखी अभिलाष दास के अनुसार जीव के पाप कभी नाश नहीं हो सकते हैं, जिसने जैसा किया है उसको वैसा भोगना पड़ेगा। किसी भी क्रिया से उसके पाप खत्म नहीं हो सकते। वहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के अनुसार पूर्ण परमात्मा अपने साधकों के पाप नाश करता है जिसका प्रमाण यजुर्वेद अध्याय 5 मंत्र 32 में हैं।

परमात्मा साकार है या निराकार: पारखी अभिलाष दास के अनुसार वेदों में कहीं नहीं लिखा है कि परमात्मा का स्थूल (साकार) शरीर है। तत्वदर्शी संत रामपाल जी के अनुसार परमात्मा साकार है तथा सह शरीर है। यजुर्वेद अध्याय नंबर 5 के श्लोक नंबर 1 में भी इसका प्रमाण मिलता हैं। संत गरीबदास जी ने भी परमात्मा कबीर जी को देखकर कहा कि वह पूर्ण परमात्मा हमारे जैसा ही है अर्थात मनुष्य जैसा ही है।

गीता का ज्ञान अर्जुन को किसने कहा?

पारखी अभिलाष दास के अनुसार गीता जी का ज्ञान श्री कृष्ण जी ने अर्जुन को कहा। वहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी गीता अध्याय 11 श्लोक 32 के अनुसार बताते है कि गीता ज्ञानदाता  काल (क्षर पुरुष) है जिसे वेदों व गीता में ब्रह्म (क्षर पुरुष) भी कहा जाता है।

जीव की मुक्ति किस मंत्र जाप, ध्यान व भक्ति से होती है?

पारखी अभिलाष दास के अनुसार मंत्र जाप से कोई मुक्ति नहीं होती है। ध्यान (मेडिटेशन ) लगाना सबसे उत्तम अवस्था है, कुछ न सोचने की अवस्था है। यानी शून्य हो जाना ही ध्यान हैं। वहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी के अनुसार सच्चे मंत्रों के सुमिरन (मंत्र जाप) करने से आत्मा की मुक्ति होगी, पूर्ण मोक्ष व पूर्ण परमात्मा से साक्षात्कार होगा।

भक्ति करने के लिए आधार ग्रंथ:  पारखी अभिलाष दास के अनुसार केवल कबीर बीजक पारख पंथ का आधार ग्रंथ हैं। वहीं तत्वदर्शी संत रामपाल जी के अनुसार वास्तविक कबीर पंथ के शास्त्र अनुकूल भक्ति करने के आधार ग्रंथ पवित्र वेद, गीता जी, सूक्ष्मवेद (कबीर सागर,अमर ग्रंथ साहिब) हैं।

निष्कर्ष: उपरोक्त ज्ञान चर्चा में हमने कबीरपंथी अभिलाष दास जी व संत रामपाल जी महाराज जी के विचार जाने जिससे यह ज्ञान होता है कि अभिलाष दास जी का ज्ञान वेद ,शास्त्रों के अनुकूल नहीं है और दूसरी तरफ संत रामपाल जी महाराज जी सर्वधर्म पवित्र ग्रंथों के अनुसार मानव मात्र को शास्त्रों के अनुकूल ज्ञान व सच्चे मोक्ष मंत्र प्रदान कर रहे हैं।