परमात्मा प्राप्ति के लिए कौनसे मंत्र का जाप करना चाहिए?


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मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य परमात्मा प्राप्ति है।  इसके लिए अनेक मार्ग बताए गए हैं, जिनमें मंत्र जाप का विशेष महत्व है।  लेकिन, यह प्रश्न उठता है कि कौन सा मंत्र जाप करना चाहिए?  इस प्रश्न का उत्तर ढूंढते हुए, हम इस लेख में गीता ज्ञान और तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के विचारों पर आधारित जानकारी प्रस्तुत करेंगे। इस वीडियो में, तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज मंत्रों, गीता ज्ञान और परमात्मा प्राप्ति के बारे में विस्तार से बताते हैं।

मंत्रों का महत्व

हिंदू धर्म में अनेक मंत्रों का उपयोग किया जाता है, जिनमें 'हरि ओम', 'हरे राम हरे कृष्णा', 'ओम तत्सत', 'हरे राम हरे रामा, रामा रामा हरे हरे, हरे कृष्ण हरे कृष्णा, कृष्णा कृष्णा हरे हरे', 'ओम नमः शिवाय', 'ओम भगवते वासुदेवाय', 'राधा' जैसे मंत्र प्रचलित हैं। कुछ मंत्रों से भौतिक सुख-सुविधाओं की प्राप्ति या सिद्धियां प्राप्त हो सकती हैं, परंतु परमात्मा प्राप्ति का मार्ग केवल सांकेतिक 'ओम तत् सत्' मंत्र के वास्तविक रूप के जाप से ही संभव है।

गीता ज्ञान का दृष्टिकोण

श्रीमद्भागवतगीता जो कि हिंदू धर्म का आदरणीय ग्रंथ है वह इस प्रश्न का स्पष्ट उत्तर देती है।

  • गीता अध्याय 8 श्लोक 13: काल भगवान कह रहा है कि ‘मुझ ब्रह्म का केवल एक ओम/ऊँ (ओं) अक्षर है। उच्चारण करके स्मरण करने का जो साधक अंतिम स्वांस तक स्मरण साधना करता हुआ शरीर त्याग जाता है वह परम गति अर्थात् मोक्ष को प्राप्त होता है।’
  • गीता अध्याय 7 श्लोक 18: काल भगवान कह रहा है कि ‘क्योंकि मेरे विचार में ये सभी ही ज्ञानी आत्मा उदार हैं परंतु वह मुझमें ही लीन आत्मा मेरी अति घटिया मुक्तिमें ही आश्रित हैं।’
  • गीता अध्याय 4 श्लोक 5 और 9, अध्याय 2 श्लोक 12: अर्जुन, तेरे और मेरे बहुत जन्म हो चुके हैं, तू नहीं जानता, मैं जानता हूं। जब ब्रह्म स्वयं जन्म-मृत्यु चक्र में है तो 'ओम' से मिलने वाला मोक्ष तो व्यर्थ है।
  • गीता अध्याय 18 श्लोक 62: ‘अर्जुन, तू सर्व भाव से उस परमेश्वर की शरण में जा, उसकी कृपा से ही तू परम शांति को और सनातन परम धाम को प्राप्त होगा।’

सही जाप मंत्र

गीता अध्याय 17 श्लोक 23: ‘ओं मन्त्र ब्रह्म का, तत् यह सांकेतिक मंत्र परब्रह्म का, सत् यह सांकेतिक मन्त्र पूर्णब्रह्म का है। ऐसे यह तीन प्रकार के पूर्ण परमात्मा के नाम सुमरण का आदेश कहा है और सृष्टि आदिकालमें विद्वानों ने उसी तत्वज्ञान के आधार से वेद तथा यज्ञादि रचे। उसी आधार से साधना करते थे।’

निष्कर्ष

परमात्मा और सनातन परम धाम की प्राप्ति के लिए सही मंत्रों का जाप अत्यंत महत्वपूर्ण है। आदरणीय ग्रंथ गीता के अनुसार 'ओम तत् सत्' ही एकमात्र मंत्र है जो परमात्मा प्राप्ति का मार्ग प्रशस्त करता है। वर्तमान में तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी ही इस मंत्र की सही विधि बता सकते हैं। उनसे निःशुल्क नाम दीक्षा लेने के लिए आप अपने नजदीकी नाम दीक्षा केंद्र से संपर्क कर सकते हैं: 8222 88 0541