यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3
भूर्भुव: स्व: तत्सवितुर्वरेण्यं । भर्गो देवस्य धीमहि, धीयो यो न: प्रचोदयात्।
अनुवाद:- (भूः) स्वयंभू परमात्मा है (भवः) सर्व को वचन से प्रकट करने वाला है (स्वः) सुख धाम सुखदाई है। (तत्) वह (सवितुः) सर्व का जनक परमात्मा है। (वरेणीयम) सर्व साधकों को वरण करने योग्य अर्थात् अच्छी आत्माओं के भक्ति योग्य है। (भृगो) तेजोमय अर्थात् प्रकाशमान (देवस्य) परमात्मा का (धीमहि) उच्च विचार रखते हुए अर्थात् बड़ी समझ से (धी यो नः प्रचोदयात) जो बुद्धिमानों के समान विवेचन करता है, वह विवेकशील व्यक्ति मोक्ष का अधिकारी बनता है।
भावार्थ: परमात्मा स्वयंभू है, सर्व का सृजनहार है। उस उज्जवल परमेश्वर की भक्ति श्रेष्ठ भक्तों को यह विचार रखते हुए करनी चाहिए कि जो पुरुषोत्तम (सर्व श्रेष्ठ परमात्मा) है, जो सर्व प्रभुओं से श्रेष्ठ है, उसकी भक्ति करें जो सुखधाम अर्थात् सर्वसुख का दाता है।
वेद मंत्र में कहीं भी ॐ नहीं लिखा है। ये अज्ञानी संतो की अपनी सोच से लगाया गया है।
FAQs about "वास्तविक गायत्री मंत्र - यजुर्वेद"
Q.1 क्या गायत्री मंत्र सभी मनोकामनाएं पूर्ण कर सकता है?
नहीं, पवित्र गीता जी अध्याय 18 श्लोक 62 में कहा गया है कि मनुष्य को अपने जीवन में परम सुख के लिए पूर्ण परमात्मा की शरण लेनी चाहिए। इस तरह यह भी सिद्ध होता है कि गायत्री मंत्र का जाप हमें सुख नहीं दे सकता।
Q.2 सबसे शक्तिशाली मंत्र कौन से हैं, जिससे मनोकामना पूर्ण हो सकती है?
पवित्र गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 में कहा गया है कि 'ॐ-तत्-सत्' मोक्ष व सुख प्राप्ति का मंत्र है। मन्त्र में ॐ स्पष्ट है तथा तत्-सत् सांकेतिक शब्द हैं, जिनका उच्चारण तत्वदर्शी/पूर्ण सन्त द्वारा किया जाता है।
Q. 3 यदि हम प्रतिदिन गायत्री मंत्र का जाप करें तो क्या होगा?
देखिए गायत्री मंत्र का जाप सुख और मोक्ष प्राप्ति का मार्ग नहीं है। इसके अलावा पवित्र गीता जी अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा गया है कि जो पवित्र शास्त्र विरुद्ध भक्ति करता है, उसे किसी भी प्रकार का सुख व शान्ति प्राप्त नहीं होती।
Q.4 जीवन में सफल होने के 3 मंत्र क्या हैं?
पवित्र गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 के अनुसार ॐ-तत्-सत् ही जीवन में सफल होने का सूचक मंत्र है। आप यकीन करो या न करो लेकिन ये मंत्र संत रामपाल जी महाराज (वह पूर्ण संत हैं) बता रहे हैं।
Q.5 कौन सा मंत्र जान बचा सकता है?
पूर्ण संत की शरण और तत्वदर्शी संत द्वारा बताई गई शास्त्रानुकूल भक्ति करने से सच्चे साधक का कल्याण होता है। संत रामपाल जी महाराज आज पृथ्वी पर तत्वदर्शी संत हैं, उनके द्वारा ही हमारा कल्याण संभव है।
Q.6 कौन से मंत्र भगवान विष्णु की स्तुति करते हैं?
हमारे पवित्र ग्रंथों और उन लोगों के अनुसार जो भगवान कबीर जी से मिले और सतलोक (अमरलोक) गए, उन्हें भगवान ब्रह्मा, विष्णु और महेश की स्तुति करने के मंत्र एक पूर्ण संत द्वारा दिए गए हैं। वही मंत्र आज इस पृथ्वी पर केवल संत रामपाल जी महाराज के पास उपलब्ध है अन्य किसी के पास नहीं। इसके अलावा इन सच्चे मंत्रों का जाप करने से साधकों को सभी सुख-सुविधाएं मिलती हैं।
Q.7 यजुर्वेद में किस भगवान का वर्णन है?
कविर्देव या कबीर साहेब का वर्णन पवित्र यजुर्वेद अध्याय 5 श्लोक 32 में कविर्देव नाम से किया गया है। क्योंकि पूर्ण परमात्मा हमें भाग्य से अधिक देने के योग्य है।
Q.8 भगवद गीता के अनुसार सर्वोच्च भगवान कौन है?
पवित्र गीता जी अध्याय 8 श्लोक 3 में कबीर साहेब या परम अक्षर पुरुष को ही पूर्ण परमात्मा बताया है। अर्जुन ने अध्याय 8 श्लोक 1 में शैतान (काल ब्रह्म) से पूछा कि सर्वोच्च भगवान कौन है और उसने अध्याय 8 श्लोक 3 में कहा कि वह परम अक्षर ब्रह्म है। अध्याय 8 श्लोक 8 से 10 में भी कविर्देव नाम का वर्णन है।
Q.9 गायत्री मंत्र किस वेद से संबंधित है?
यह पवित्र यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3 से संबंधित है। और यह ओम शब्द से शुरू नहीं होता है, लेकिन हमने अपनी घोर अज्ञानता के कारण इसके साथ ओम का उच्चारण करके इसका अभ्यास किया है, जो कि गलत है।
Q.10 गायत्री मंत्र इतना शक्तिशाली क्यों है?
गायत्री मंत्र कोई शक्तिशाली मंत्र नहीं है। मनुष्य को केवल अपना भाग्य ही मिलता है ,जब तक कि वह पूर्ण परमात्मा की शरण में न आ जाए। तत्वदर्शी संत से सच्चे मंत्र प्राप्त करके जाप करने से पूर्ण लाभ तथा मोक्ष संभव है। और इसी का प्रमाण पवित्र गीता जी अध्याय 17 श्लोक 23 में है।
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Shivam Singh
गायत्री मंत्र का जाप करने से व्यक्ति सही मार्ग की ओर प्रेरित होकर धर्म और सेवा जैसे कार्य करने लगता है।
Satlok Ashram
देखिए गायत्री मंत्र की गलत व्याख्या होने से साधकों द्वारा इसका गलत जाप किया जाता है। इस मंत्र में 'ॐ' उपसर्ग लगा हुआ है जो गलत है। सही मंत्र यजुर्वेद अध्याय 36 मंत्र 3 में वर्णित है यहां 'ओम' उपसर्ग नहीं है। अज्ञानता के कारण इसका गलत पाठ किया जाता है। इसके अलावा केवल सच्चे मंत्रों का जाप करने से ही व्यक्ति सही भक्ति मार्ग के लिए प्रेरित होता है। बाकी सभी मंत्र व्यर्थ हैं, क्योंकि वे मंत्र मोक्ष प्रदान नहीं कर सकते।