परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है - यजुर्वेद


परमात्मा पाप नष्ट कर सकता है, यजुर्वेद में प्रमाण

क्या पूर्ण परमात्मा घोर से घोर पाप नष्ट कर सकता है ?

तत्वज्ञान के अभाव मे ये भ्रांति धर्म-गुरूओं द्वारा फैलाई गई है, जो परमात्मा के अतयंत महत्वपूर्ण गुण को छिपाती है वो ये कि संचित व प्रारब्ध के पाप कर्म काटे नहीं जा सकते, वो भोगने ही पड़ेंगे।

जबकी परमेश्वर के संविधान अनुसार,और उनके असंख्य गुण मे से एक महत्वपूर्ण गुण ये भी है कि पूर्ण परमात्मा पाप कर्म नष्ट कर देता है पूर्ण परमात्मा की भक्ति केवल सुख देने वाली होती है। इस तथ्य को पूर्ण रूप से सौ फीसदी सच हमारे वेद बताते हैं।

इतना जानने के बाद मन का ऐसे प्रश्नो से घिर जाना स्वाभविक है कि वो पूर्ण परमात्मा कौन है, क्या आज तक हमने कभी उसकी पूजा ही नही की जिसकी पूजा पापकर्म नाशक है।

आइए जानते हैं इस आधार से

  • पूर्ण परमात्मा की जानकारी पवित्र प्रमाणित शास्त्रों में
  • पाप नाशक है पूर्ण परमात्मा इसका प्रमाण
  • कैसे प्राप्त हो पापकर्म नाशक (पूर्ण परमात्मा की) भक्ति?

पूर्ण परमात्मा की जानकारी पवित्र प्रमाणित शास्त्रों में

पवित्र धर्मग्रंथ श्रीमदभगवत गीता के अध्याय 4 श्लोक 34 के अनुसार पूर्ण परमात्मा की जानकारी तत्वज्ञानी संत ही दे सकते हैं क्योंकि वह पूर्ण परमात्मा का कृपा पात्र संत होता है जिसकी वजह से वह तत्वज्ञान देकर सभी धर्मग्रंथों में खोलकर प्रमाणित करके पूर्ण परमात्मा की जानकारी देता है (जो आज पृथ्वी पर अवतरित जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ही है जिन्होंने पूर्ण परमात्मा की जानकारी  सद ग्रंथों के आधार पर कराई है) यही कारण रहा कि अब तक युगो युगो से धर्म गुरुओं द्वारा समाज़ और कथाओ मे प्रचलित की गयी पूजा साधना करते हुये हमें ये पता ही नहीं चल सका कि वह पाप नाशक केवल सुखदाई पूर्ण परमात्मा इन देवी-देवताओं ब्रह्मा विष्णु महेश से कहीं ऊपर निराकार नहीं साकार है उसका नाम कबीर है।

प्रमाण ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 82, मंत्र 1 और ॠगवेद मणडल 9, सूक्त 95, मंत्र 1-5 के अनुसार

परमात्मा साकार मानव सदृश है वह राजा के समान दर्शनीय है और सतलोक में तेजोमय शरीर में विद्यमान है उसका नाम कविर्देव (कबीर) है ।

सभी वेद गीता कुरान और गुरु ग्रंथ साहिब मे पूर्ण परमात्मा कबीर को ही बताया गया है।

यजुर्वेद के अध्याय 5 के श्लोक नंबर 32 में ,

सामवेद संख्या नं 1400, 822 में,अथर्ववेद के काण्ड नं 4 के अनुवाक 1 के श्लोक नं 7, ऋग्वेद में मण्डल 1 अध्याय 1 के सूक्त 11 के श्लोक नं 4 मे कबीर नाम लिखकर बताया गया है ।

श्रीमद भगवत गीता जी के अ 15 के श्लोक नं 16, 17 अ.18 के श्लोक नंबर 46 और 62 अध्याय 8 के श्लोक नं 8 से 10 तथा 22 में अध्याय 15 के श्लोक नंबर 1, 2, 4 में उसी पूर्ण परमात्मा की भक्ति करने का इशारा किया गया है पंजाबी धर्मग्रंथ गुरुग्रंथ साहिब में पेज नंबर 24 पर और पेज नं 721 पर नाम लिखकर बताया गया है कि वो पूर्ण परमात्मा कबीर है।

कुरान शरीफ में सूरत फ़ूर्कानि नं 25 आयात नं 52 से 59 तक मे कबीरन्, खबीरा, कबिरु आदी शब्द लिखकर उसी एक कबीर अल्लाह की पाकी बयान की हुई है जिसने 6 दिन में सृष्टि रची और सातवें दिन तखत पर जा विराजा।

यही स्पस्टीकरण पवित्र ईसाई धर्म के पवित्र बाइबल में भी मिलता है जिसे उत्पत्ति ग्रंथ के 1:20 2.5 में सृष्टि क्रम मे बताया गया है ।

हम सब बचपन से सुनते आए हैं कि चाहे हम किसी भी धर्म के हो मालिक तो सबका एक ही है तो सभी धर्मों के ग्रंथ खोलने पर भी मालिक एक ही होना चाहिए यह प्रमाण तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज ने खुल कर दिखाया कि वह एक पूर्ण परमात्मा कबीर है जिनकी भक्ति पाप नाशक है।

पाप नाशक है पूर्ण परमात्मा इसका प्रमाण

ऋग्वेद, मंडल १०, सूक्त १६३, मंत्र १

अक्षीभ्यां ते नासिकाभ्यां कर्णाभ्यां छुबुकादधि ।
यक्ष्मं शीर्षण्यं मस्तिष्काज्जिह्वाया वि वृहामि ते ॥१॥

परमात्मा पाप कर्म से हमारा नाश करने वाले हर कष्ट को दूर कर विषाक्त रोग को काटकर हमारे नाक, कान, मुख, जिव्हा, शीर्ष, मस्तिष्क सभी अंग-प्रत्यंगों की रक्षा कर सकते हैं।

यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13

ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है परमेश्वर हमारे पापो का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते है इसके अलावा भी अनगिनत प्रमाण सदग्रंथो मे मौजूद है जिनका उल्लेख यहाँ सम्भव नही इसके लिये

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कैसे प्राप्त हो पापकर्म नाशक (पूर्ण परमात्मा की) भक्ति??

उपरोक्त विवरण से स्पस्ट है कि यदि हम कबीर परमेश्वर की "पूर्ण सतगुरु" द्वारा बताई गई सत भक्ति करते हैं तो परमेश्वर हमारे पापों का नाश कर देते है।

कबीर परमेश्वर के संविधान अनुसार उनके कृपा पात्र संत जो तत्वदर्शी संत कहलाता है जो हर युग में केवल एक होता है और वर्तमान समय में संत रामपाल जी महाराज पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के अधिकारी संत है उनसे 3 चरणों में प्राप्त किए गए नाम मंत्र से भक्तों के पाप कर्म कष्ट भी मिट जाते हैं।

इस संबंध में परमेश्वर कबीर कहते है

मासा घटे न तिल बढे, विधिना लिखे जो लेख
सच्चा सतगुरु मेट के, ऊपर मार दे मेख

अर्थात भक्त के किस्मत मे लिखे पापकर्मो के लेख को काटकर नया विधान केवल सतगुरु यानि सच्चा गुरु ही लिख सकता है।

और सच्चे गुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज द्वारा दिया गया सत्यनाम ही वो पाप नाशक मंत्र है जिसकी महिमा धर्मग्रंथों में गाई गई है की ....

जब ही सतनाम ह्रदय धरयो ,भयों पाप को नाश।
जैसे चिंगारी अग्नि की, पड़े पुराने घास।।

अर्थात

पूर्ण गुरु से प्राप्त सतनाम के एक जाप से पाप कर्म का नाश ठीक उस तरह से होता है जैसे कहीं सुखी घास का ढेर लगा हो और वहां अग्नि की एक चिंगारी पूरे घास को स्वाहा कर राख बना देतीं हैं।

इस तरह से हम समझ सकते हैं की पूर्ण संत द्वारा दिए गए सत्यनाम की भक्ति करने से हमारे सभी पाप कर्मों का नाश हो जाता है मतलब सभी पाप कर्म कट जाते हैं और जैसा कि हम जानते हैं कि हमारे सभी कष्ट हमारे पाप कर्म का ही कारण है तो जब पाप कर्म ही कट जाएंगे तो कोई कष्ट भी नहीं रहेगा न धन का न शारीरिक व मानसिक अर्थात सभी प्रकार के कष्टों से मुक्ति मिल जाएगी।

 इस तरह से पूर्ण परमात्मा ने अपने बहुत से भक्तों के पाप कर्म काटे और उन्हें सुखमय जीवन देकर मुक्त किया यहाँ एक उदाहरण त्रेता युग में जन्मे दो भक्त आत्मा नल और नीर का मिलता है जो कि मुनींद्र ऋषि जो कबीर परमात्मा का ही रूप थे उनसे नाम दीक्षा ली सद्भक्ति की जिससे कि उनको असाध्य रोग से छुटकारा मिला ऐसे ऐसे बहुत से भक्त है जिनको परमात्मा ने पाप कर्म से छुटकारा दिलाया सद्भक्ति कराई और उनका कल्याण किया।।

निष्कर्ष

पाप नाशक भक्ति का विवरण सदग्रंथो मे बताया गया है की

  • पहली सत साधना हो
  • दुसरे पूर्ण गुरु की शरण हो
  • तीसरे पूर्ण परमात्मा समर्थ कबीर साहिब की भक्ति हो तो ऐसी भक्ति साधक के पाप को खत्म कर देती है

इसका प्रमाण हमारे शास्त्रों में भी है :-

यजुर्वेद अध्याय 8 मंत्र 13 व ऋग्वेद मंडल 9 सूक्त 82 मंत्र 1, 2 और 3 में प्रमाण है, परमेश्वर हमारे पापो का नाश करते हुए हमें प्राप्त होते है।

सभी वेद धर्म ग्रंथ पुराण यही बताते हैं कि पूर्ण परमात्मा कबीर साहेब की सतभक्ति उन्ही के कृपा पात्र संत से प्राप्त कर (जो 4 वेद 16 शास्त्र 18 पुराण उपनिषद ग्रंथ का ज्ञाता होगा) संत के आदेशानुसार करने से साधक के घोर से घोर पापकर्म का भी नाश हो जाता है।

अतः विनम्र निवेदन है - अपने शिक्षित होने का पूरा लाभ उठाये और पूर्ण परमात्मा की पाप नाशक सतभक्ति करे परम पूज्य पूर्ण गुरु संत रामपाल जी महाराज जी कहते हैं आज हमे शिक्षित ही कबीर परमेश्वर ने इसलिये किया है की हम अज्ञानी धर्म गुरुओं की मनमानी साधना मे ना फसकर अपनी आंखो से धर्मग्रंथ मे मिलान करके इस सत्य की परख कर पूर्ण परमात्मा को जाने ताकी हमे भगवान के उन सभी गुणों का लाभ मिल सके जिसके बारे मे हम बचपन से ही सुनते आये हैं।

इससे पहले कि केवल और केवल पूर्ण परमात्मा की भक्ति के लिये मिला ये अनमोल मानव शरीर नष्ट  हो जाए पूर्ण परमात्मा कबीर परमेश्वर के कृपा पात्र संत जगतगुरु  संत रामपाल जी महाराज की शरण ग्रहण करें ।

Yajur Veda