पैगंबर मुहम्मद का जीवन परिचय तथा उनकी शिक्षाएं


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हज़रत मुहम्मद अरब के एक धार्मिक और सामाजिक नेता तथा इस्लाम के संस्थापक थे। इस्लामी दर्शन के अनुसार, वह अल्लाह की शिक्षाओं को फैलाने के लिए अल्लाह द्वारा भेजे गए एक नबी थे। इस लेख में, हम पैगंबर मुहम्मद के जीवन इतिहास पर ध्यान केंद्रित करेंगे तथा साथ ही साथ हम पैगंबर मुहम्मद के बारे में महत्वपूर्ण तथ्यों को भी जानने की कोशिश करेंगे।

पैगंबर हजरत मुहम्मद के पूर्वज

हज़रत मुहम्मद क़ुरैश जनजाति से थे, जो इब्राहीम के ईश्वर होने में विश्वास रखते थे। शायबा हाशिम का पुत्र था। शायबा का नाम अब्दुल मुत्तलिब रखा गया। अब्दुल मुत्तलिब के दस बेटे थे। एक बार मक्का में कुआं खोदने का परोपकार का कार्य करते हुए उन्होंने अल्लाह से वादा किया कि काम पूरा होने के बाद वह अल्लाह के नाम पर अपने एक बेटे की कुर्बानी देंगे। फिर वह दिन आया जब कुआं खोदने का कार्य खत्म हो गया अनुष्ठान के अनुसार, यह जानने के लिए कि देवता क्या चाहते हैं, उन्होंने एक मूर्ति के सामने, प्रत्येक पुत्र का नाम लिखते हुए, दस बाण रखे। जिसमे से अब्दुल्ला नाम का तीर मूर्ति की ओर आगे बढ़ा और लोगों ने ऐसा मान लिया की देवता उस पुत्र की बलि मांग रहे हैं।

अब्दुल्ला की कुर्बानी की तैयारी शुरू हो गई। सभी लोगों ने उन्हें ऐसा न करने की सलाह दी, लेकिन अब्दुल मुत्तलिब एक बेटे की बलि देने के लिए अपनी बात पर अड़े थे। लोग दुख में चिल्लाने लगे। तब एक आत्मा एक पुजारी के शरीर में प्रवेश कर गई और कहा कि ऊंट की बलि भी स्वीकार्य होगी। लोगों के लिय यह राहत की उम्मीद थी। उस आत्मा ने लोगों से उस महिला के पास जाने को कहा जो गाँव में ज्योतिषी थी। लोग उनके पास यह पूछने गए कि अब्दुल्ला की जान बचाने के लिए कितने ऊंटों की बलि देनी चाहिए। उस औरत ने कहा कि जितने ऊंट एक जान की रक्षा के लिए देते हो अन्य दस और जोड़ कर तथा अब्दुल्ला के नाम की पर्ची तथा दस ऊंटों की पर्ची डाल कर जाँच करते रहो। जब तक ऊंटों वाली पर्ची न निकले, तब तक ऐसा करते रहो। इस प्रकार दस दस ऊंटों की संख्या बढ़ाते रहे तब सौ ऊंटों के बाद ऊंटों की पर्ची निकली, उस से पहले अब्दुल्ला की पर्ची निकलती रही। इस प्रकार सौ ऊटों की कुर्बानी (हत्या) करके बेटे अब्दुल्ला की जान बचाई।

बाद में अब्दुल्ला की शादी अमीना से हो गई। शादी के कुछ दिनों बाद वे एक व्यापारी काफिले के साथ यात्रा कर रहे थे, लेकिन रास्ते में अब्दुल्ला बीमार पड़ गए जिसके कारण वे सब मदीना में रुक गए और वहाँ उनकी मृत्यु हो गई, उस समय हज़रत मुहम्मद अपनी माँ अमीना के गर्भ में थे। इन सबका उल्लेख मोहम्मद इनायतुल्ला सुभानी द्वारा हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जीवनी पुस्तक में किया गया है , जिसका अनुवाद- नसीम फज़ी फलाही ने किया है।

प्रकाशक- मरकज़ी मकतबा इस्लामी प्रकाशक, डी- 307, दावत नगर, अब्दुल फज़ल एन्क्लेव, जामिया नगर, नई दिल्ली। एचएस ऑफसेट प्रिंट द्वारा मुद्रित, नई दिल्ली-2

पैगंबर हजरत मुहम्मद का प्रारंभिक जीवन

हजरत मुहम्मद का जन्म कब हुआ था? हज़रत मुहम्मद का जन्म 570 ई. में हुआ था, तब उन्हें मुहम्मद नाम दिया गया था। मुहम्मद का अर्थ क्या है? मुहम्मद शब्द एक अरबी शब्द हमदा से आया है जिसका अर्थ है प्रशंसा करना, महिमा करना।

पैगंबर मुहम्मद का जीवन इतिहास क्या है? पैगंबर मुहम्मद की परवरिश उनकी मां अमीना और दादा ने की थी। जब हज़रत मुहम्मद छह साल के थे, तब मदीना से मक्का जाते समय अमीना की मृत्यु हो गई। मुहम्मद अनाथ हो गए और उनके दादा के निधन के बाद हज़रत मुहम्मद अपने चाचा अबू तालिब के हाथों में आ गए।

हजरत मुहम्मद का वैवाहिक जीवन

हज़रत मुहम्मद असामान्य शारीरिक सुंदरता के साथ-साथ चरित्र में उदार व्यक्ति के रूप में जाने जाते थे। उनकी निष्पक्षता और न्याय की भावना इतनी पूजनीय थी कि लोग उन्हें अल-अमीन यानी भरोसेमंद कहते थे। अध्यात्म में उनकी गहरी रुचि थी।

जब वह 25 वर्ष के थे, तब पैगंबर मुहम्मद ने एक 40 वर्षीय, धनी विधवा महिला खदीजा से शादी की। हजरत मुहम्मद के 3 बेटे (कासिम, तैयब, ताहिर) और 4 बेटियां (जेनाब, रुकैय्याह, उम कुलथुम और फातिमा) पैदा हुईं। वे खुशी से रह रहे थे लेकिन यह खुशी लंबे समय तक नहीं रही। बचपन से ही अनाथ हज़रत मुहम्मद ने अपने तीन बेटों को भी खो दिया। हज़रत मुहम्मद ने अपने बच्चों को आश्रय देने के लिए दूसरी महिला से शादी की। पैगंबर मुहम्मद की कितनी पत्नियां थीं? हजरत मोहम्मद ने कुल 11 महिलाओं से शादी की। पैगंबर मुहम्मद की पत्नियों की संख्या 11 थी। हज़रत आयशा को छोड़कर वे सभी विधवा थीं।

पैगंबर मुहम्मद का आध्यात्मिक जीवन

बचपन से ही, हज़रत मुहम्मद एक उदार और दयालु हृदय वाले व्यक्ति थे । वे हीरा की गुफा में तपस्या करते थे। मुहम्मद ईश्वर साधक थे। जब हज़रत मोहम्मद 40 साल के हो गए, तब वह समय आ गया था जब पैगंबर मुहम्मद पर ज्ञान बरसने वाला था। एक दिन उन्होंने एक सपना देखा जिससे उन्हें यह साफ हो गया था कि खुशियां अस्थायी है। सभी सुख और खुशी क्षणिक हैं।

हजरत मोहम्मद जी के सामने जिबराईल नामक फरिश्ता प्रकट हुआ

हजरत मोहम्मद हीरा की गुफा में साधना किया करते थे। रमजान के बाद, एक सुबह, जिबराइल नाम का एक खूबसूरत फरिश्ता आया और हजरत मुहम्मद को रेशम का टुकड़ा पढ़ने के लिए मजबूर किया। पैगंबर मुहम्मद ने जवाब दिया कि वे पढ़ना नहीं जानते। फरिश्ते ने हजरत मुहम्मद का गला घोंट दिया। मुहम्मद को शरीर में जकड़न महसूस हुई, फिर उन्हें बलपूर्वक उस अंश को पढ़ने के लिए कहा गया। भयभीत मुहम्मद ने पूछा कि क्या पढ़ना है। तब जिबराइल ने कहा-

 "अपने रब के लिए पढ़ो जो पैदा करता है। जिसने आदमी को एक थक्के से बनाया है! बोलो तुम्हारा भगवान सबसे उदार है, जिसने मनुष्य को कलम से सिखाया, मनुष्य को वह सिखाया जो वह नहीं जानता था।"

मुहम्मद को फौरन वह सब याद आ गया जो फरिश्ता ने बताया था और फरिश्ता वापस चला गया। मुहम्मद को डर के मारे पसीना आ रहा था। मुहम्मद नहीं जानते थे कि वह फरिश्ता कौन था। मुहम्मद डर से कांप रहे थे, अचानक एक आवाज आई - "मुहम्मद!" हज़रत मुहम्मद ने देखा कि फरिश्ता एक आदमी के रूप में खड़ा था, उन्होंने कहा- "आप अल्लाह के दूत हैं और मैं जिबराइल हूं।"

इससे मुहम्मद घबरा गए। और वह बेहद कांपने लगा। वह चेहरा मुहम्मद को हर जगह दिखाई दे रहा था। तब हज़रत मुहम्मद खदीजा के पास आए और कम्बल ओढाने को कहा। उस दूत को काल ब्रह्म ने भेजा था। क्योंकि ईश्वर दयालु है, ईश्वर अपनी आत्मा पर कभी अत्याचार नहीं करता। और ईश्वर द्वारा भेजे गए फ़रिश्ते हमेशा विनम्र और प्यार करने वाले होते हैं। लेकिन काल ब्रह्म के ये फरिश्ते सर्वोच्च ईश्वर का ज्ञान तो देते हैं लेकिन कभी किसी को भक्ति का सही तरीका नहीं बताते हैं।

वरका इब्न नवल हदीस के शब्द

पत्नी खदीजा ने हज़रत मुहम्मद को आश्वस्त करने की पूरी कोशिश की कि ईश्वर आपको मारने के लिए आत्मा नहीं भेजेगा। हज़रत मोहम्मद को डर था कि उनकी मौत हो जाएगी। खदीजा मुहम्म्द जी को अपने चचेरे भाई वरका इब्न नवल के पास ले गई, जो एक बहुत बूढ़ा व्यक्ति था तथा यहूदियों और ईसाइयों के शास्त्रों का जानकार भी था। उसने घोषणा की कि स्वर्गीय दूत जो पुराने समय में मूसा के पास आया था, वही मोहम्मद के पास भी आया है और उस फरिश्ते ने मुहम्म्द को  लोगों के पैगंबर के रूप में चुना है। साथ ही साथ उन्होंने मुहम्म्द जी भविष्य में होने वाले विरोध से भी अवगत कराया।

इससे मुहम्मद चिंतित हो गए। उस समय अरब में लोग मूर्ति पूजा और बहुदेववादी यानी अनेक देवताओं पर विश्वास रखने वाले थे। हज़रत मुहम्मद के जन्म के समय, पूरा अरब धर्म के बहुदेववादी रूप में विश्वास करता था। अरब इब्राहीम के वंशज थे, जो एकेश्वरवादी थे। इसके बावजूद अरब के लोग बहुदेववाद का समर्थन कर रहे थे। और इसलिए हज़रत मुहम्मद अगले संदेश की प्रतीक्षा कर रहे थे।

दूसरी बार हीरा गुफा में हज़रत मुहम्मद जी

हज़रत मुहम्मद फिर से हीरा गुफा में पूजा करने के लिए जाने लगे। एक दिन वही फरिश्ता आया और मुहम्मद जी कांपने लगे, लेकिन इस बार खुशी और संतोष  भी था। पैगंबर मुहम्मद आए और खुद को ढक लिया। फरिश्ता उसके पास आया और कहा - "हे! कपड़े में लिपटा हुआ आदमी! जागो और भगवान के डर से अल्लाह का गुणगान करो। अपने दिल को शुद्ध और बहुदेववाद से दूर रखो।" उसके बाद जिब्राइल कई बार आया और काल ब्रह्म द्वारा दिया गया ज्ञान मुहम्म्द जी को ज्दिया, लेकिन अल्लाह को पाने की उचित और सच्ची भक्ति नहीं बता सका और अल्लाह को पाने के लिए मुहम्मद जी को बखाबर (सूरफ अल-फुरकान, आयत 25:59) की शरण लेने के लिए कहा।

लोगों से इस्लाम कबूल करने को कहा गया। अब जिब्राइल अधिक बार आने लगा और अल्लाह के ज्ञान और आयत को सर्वोच्च ईश्वर बताने लगा। उन्होंने ऐसा मुहम्मद को उनका दायित्व याद दिलाने के लिए तथा, वज़ू (इस्लाम में एक धोने की रस्म) और नमाज़ कैसे पढ़ी जाए बताने के लिए किया।

स्वर्ग में हज़रत मुहम्मद

हज़रत मुहम्मद ने अपनी बहन उमे हानी से कहा कि, अवचेतन अवस्था में उन्होंने देखा, जिब्राइल उनके पास आया और उन्हें किसी अन्य स्थान पर ले गया। उसने उसे लेटा दिया और चाकू से मुहम्मद की छाती को चीर दिया और ईमानदारी और कौशल (दक्षता) से भरा एक सुनहरा थाल ले कर आया, जिसे फरिश्ते ने मुहम्म्द जी के दिल में भर दिया और फिर से उनकी छाती को ठीक कर दिया। फिर वे सफेद रंग के जीव पर बैठे बैत अल-मकदीस के पास गए। हज़रत मुहम्मद वहाँ मूसा, इब्राहीम और ईसा से मिले। मोहम्मद ने नमाज पढ़ी। तब जिब्राईल उन्हे स्वर्ग ले गया जहाँ उन्होंने आदम को एक ही में समय रोते और हँसते हुए देखा। वह रो रहा था जब उसने अपने बेकार बच्चों को बाईं ओर देखा और उसी समय योग्य बच्चों को दाईं ओर देखकर हँसा। यहां ध्यान देने वाली बात है कि आदम स्वर्ग में भी खुश नहीं था। जिसका मतलब है की स्वर्ग में भी आराम और खुशियां नहीं है तथा स्वर्ग असली मोक्ष नहीं है।

फिर हज़रत मुहम्मद सातवें आसमान पर गए। वहाँ काल ब्रह्म (जिसने किसी के सामने न आने का वचन दिया) ने पर्दे के पीछे बात की। उन्हें दिन में पचास बार नमाज पढ़ने का आदेश दिया गया था। मुहम्मद ने दया की अपील की और फिर, मुहम्मद दिन में पांच बार नमाज पढ़ने के आदेश के साथ लौट आए।

पैगंबर हजरत मुहम्मद का विरोध

क्या मुहम्मद ईश्वर के दूत थे? हज़रत मुहम्मद ने अपने द्वारा प्राप्त ज्ञान का प्रसार किया। उन्होंने लोगों से उनके पास आने और वास्तविक ज्ञान का समर्थन करने के लिए कहा। उन्होंने लोगों से बहुदेववाद छोड़ने का अनुरोध किया। लेकिन लोगों ने उनकी बात को अनसुना कर दिया और उनका मजाक उड़ाने लगे। मूर्ति पूजा और बहुदेववाद की निंदा के उनके संदेश को नजरंदाज करने लगे। मक्का के लोग मुहम्मद को खतरे के रूप में देखने लगे। अधिकांश लोग जिन्होंने मुहम्मद को भरोसेमंद (अल-अमीन) के रूप में प्रशंसित किया था, वे खुद मुहम्मद पर विश्वास नही कर सके। इतना ही नहीं लोगों ने पत्थर भी फेंके और मुहम्मद को घायल कर दिया। मुहम्मद ने अल्लाह से प्रार्थना की। लोग मुहम्मद के प्रति अत्यधिक क्रूर हो गए थे।

पैगंबर मुहम्मद ने कितने युद्ध लड़े? हज़रत मुहम्मद जो इस्लाम के संस्थापक हैं, ने 29 लड़ाइयाँ लड़ीं और अंत में 630 ईस्वी में अधिकांश अरब प्रायद्वीप को एकजुट करने में कामयाब रहे और क्रमिक इस्लामी विस्तार की नींव रखी।

पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु कैसे हुई?

पैगंबर मुहम्मद की मृत्यु कब हुई थी? हिजरत का दसवां साल था। साल 632 ई. हजरत मुहम्मद अपने एक लाख से अधिक अनुयायियों के साथ हज के लिए गए थे। इस अंतिम हज (अंतिम तीर्थ) को हज्जतुल विदा या हिज्जतुल वालाग कहा जाता है। यह मुहम्मद का आखिरी हज था। तीन महीने के हज के बाद, बीमारी ने उन्हें जकड़ लिया। ऐसा बुखार अप्रत्याशित रूप से पहले कभी नहीं हुआ। मुहम्मद ने अपनी सभी पत्नी से आयशा के पास रहने की अनुमति ली। मुहम्मद अत्यधिक कमजोर हो गए और बीमारी दिन पर दिन बढ़ने लगी। स्थिति इतनी खराब हो गई है कि पत्नियां और अनुयायी घबरा गए हैं।

हज़रत मुहम्मद ने लोगों से अपने द्वारा दुख पहुंचाने के लिए माफ़ी मांगी। उन्होने यह भी कहा कि यदि उन्होंने किसी को अपशब्द कहा या किसी से कुछ लिया हो तो वे न्याय कर सकते हैं अगर कोई चाहता है तो बदला भी ले सकता है।

बुखार नियंत्रण से बाहर था। हजरत मुहम्मद दर्द से तड़प रहे थे और ठंडा पानी ले रहे थे और चेहरे पर हाथ मल रहे थे। उन्हें तेज दर्द हो रहा था। उन्होंने शोक करना शुरू कर दिया "यहूदियों और ईसाइयों पर धिक्कार है। वे अपने नबियों की कब्रों की पूजा / सज्दा करते हैं।"

वह असहनीय कठिनाई का सामना कर रहा था और मरते समय अल्लाह से रहम की प्रार्थना की। अपने पिता को उदास देखकर हज़रत मुहम्मद की बेटी फातिमा ने भी अल्लाह से दुआ की। उनका सांस लेना और भी मुश्किल हो गया था। हज़रत मुहम्मद ने अपनी बेटी फातिमा को उत्तर दिया "आज से तुम्हारे पिता को दुख का सामना नहीं करना पड़ेगा।" इतना कहते ही हजरत मुहम्मद का देहांत हो गया।

उपरोक्त घटना को मोहम्मद इनायतुल्ला सुभानी द्वारा हज़रत मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) की जीवनी में पढ़ा जा सकता हैं, जिसका अनुवाद- नसीम फज़ी फलाही ने किया है।

पैगंबर मुहम्मद तथा कबीर परमात्मा की मुलाकात

अल्लाह एक ही है जिसका नाम  कबीर है। सूरत अल फुरकान आयत 25:52

फला तूतियाल' - काफिरन' वा जाहिद'हम बिही जिहादन कबीरा (कबीरन') (25:52)

अधिक जानकारी के लिए अवश्य पढ़े पवित्र कुरान शरीफ में प्रभु सशरीर है तथा उसका नाम कबीर है का प्रमाण

अल्लाह का नाम कबीर है और वह साकार है। लोग समझ नहीं पाए और काल ब्रह्म के बहकावे में आ गए।

अल्लाह कबीर कहते हैं-

खोजा खोजा ठकिया, चींटी कहा बेचून।

इसका मतलब है कि लोगों ने अल्लाह को निराकार घोषित कर दिया जब वे उसे नहीं पा सके। अल्लाह कबीर है, जो हज़रत मुहम्मद को सतलोक ले गया, लेकिन वे वापस आ गए क्योंकि वे वहाँ रहने को तैयार नहीं थे क्योंकि उन्हें पृथ्वी पर प्रसिद्धि मिल रही थी।

हम मुहम्मद को वहां ले गए, इच्छा रूपी वहाँ न रहेऊ।।
उलट मुहमंद महल पठाया, गुझ बीरज एक कलमा धाया।।
रोजा बंग, निवाज दई रे, बिसमल की नहीं बात कही रे।।

बिस्मिल- (जानवरों को मारना)

अवश्य पढ़े सूरा अल-इख़लास - भगवान के गुण - कुरान शरीफ

हज़रत मुहम्मद ने कभी जानवरों को नहीं मारा और न ही उन्होंने किसी जानवर का मांस खाया। इसके बजाय, वह जानवरों की क्रूरता के खिलाफ थे। आज सभी मुसलमान वही साधना कर रहे हैं जो हज़रत मुहम्मद ने की थी। लेकिन वे नॉन-वेज का सेवन भी कर रहे हैं जो न तो भगवान का आदेश है और न ही पैगंबर मुहम्मद ने खाया। कबीर साहेब अपनी पवित्र वाणी में कहते हैं-

नबी मुहम्मद नमस्कार है, राम रसूल कहा |
एक लाख अस्सी कुँ सौगंध, जिन नहीं करद चलाय |
अरस पुरुष पर अल्लाह तख्त है, खालिक बिन नहीं खाली |
हम पैगंबर पाख पुरुष थे, साहिब के अब्दाली |

पैगंबर मुहम्मद सबसे महान क्यों हैं? कबीर साहेब कहते हैं कि पैगंबर मुहम्मद अल्लाह की एक पवित्र और प्यारी आत्मा थे। उन्होंने और उनके एक लाख अस्सी अनुयायियों ने कभी किसी जानवर का वध नहीं किया और न ही खाया। परंतु पैगंबर मुहम्मद, पैगंबर मूसा, पैगंबर ईसा आदि काल ब्रह्म/क्षर पुरुष/ज्योति निरंजन के दूत थे।

पैगंबर हजरत मुहम्मद की शिक्षाएं

पैगंबर मुहम्मद एक दयालु पवित्र आत्मा थे। वह काल ब्रह्म यानी इस 21 ब्रह्मांडों के के दूत थे। उन्होंने हमेशा लोगों से केवल एक शक्तिशाली अल्लाह की पूजा करने के लिए कहा। वह समानता के पक्षधर थे। उन्होंने लोगों को जानवरों के प्रति क्रूरता के खिलाफ चेतावनी दी और उनके साथ अच्छा व्यवहार करने का आदेश दिया। वे मुसलमानों को अनौचित्य तरीके से लेन-देन करने से होने वाले हानि से बचाने के लिए चिंतित रहते थे। पैगंबर ने हमेशा सत्यता का संदेश फैलाया; वह, स्वयं, सच्चाई के लिए अपने पैमानों पर अत्यधिक कठोर थे। उन्होंने हमेशा दयालु, धैर्यवान, आपसी सहयोग, जिज्ञासा, बहादुरी की शिक्षा दी और केवल एक रब / अल्लाह / खुदा की पूजा करने पर जोर दिया। यही कारण है कि पैगंबर मुहम्मद सबसे महान हैं। उनके बारे में हम हजरत मिर्जा बशीरुद्दीन महमूद अहमद की पुस्तक लाइफ ऑफ मुहम्मद में पढ़ सकते हैं।

इस्लाम इंटरनेशनल पब्लिकेशन (यूके) शीपहैच लेन, टिलफोर्ड, सरे, GU10 2AQ, यूके द्वारा प्रकाशित

मुसलमान सोचते हैं कि पैगंबर मुहम्मद ने एक गाय का वध किया लेकिन वे नहीं जानते कि मुहम्मद ने फिर से उसी गाय को जीवन दिया (वास्तव में कबीर अल्लाह द्वारा दिया गया) जिसे उन्होंने अपने शब्दों से मारा था। उन्होंने कभी जानवरों का वध नहीं किया। कबीर परमेश्वर कहते हैं कि-

मारी गौ शबद के तीरम, एसे थे मुहम्मद पीरम |
शब्दई फ़िर जीवाई, हंसा रख्या मास नहीं भाख्या, ऐसे पीर मुहम्मद भाई |

जानवरों का वध करने वाले लोगों के लिए यह संदेश है कि यदि आप किसी को जीवन नहीं दे सकते तो आपको किसी की जान लेने का अधिकार नहीं है। अल्लाह अपनी किसी भी प्यारी आत्मा के मृत्यु पर कभी खुश नहीं होता । हम सब इंसान से लेकर जानवर तक उस एक अल्लाह के बच्चे हैं। वह दयालु है और वह चाहता है कि हम मनुष्य सभी प्राणियों के प्रति दयालु रहें। राबिया का एक उदाहरण है, जिसने कुत्ते और उसके पिल्ले की प्यास बुझाने के लिए अपने बाल उखाड़ दिए। और उसकी भक्ति और समर्पण को देखकर मक्का की दिशा उसकी ओर हो गई। हम जो कुछ भी करते हैं उसका फल हमे 84 लाख योनियों में भुगतना पड़ता है।

अवश्य पढ़े सूरा अल अंबिया - कुरान शरीफ - पुनर्जनम के विषय में

इस प्रकार, यहाँ हमने पैगंबर मुहम्मद के जीवन इतिहास के बारे में पढ़ा। मुहम्मद महान व्यक्ति और महान पैगंबर थे परंतु काल ब्रह्म द्वारा बताई गई साधना को करने में ही व्यस्त रहते  थे। वह बचपन से ही अनाथ हो गए थे , उन्होंने एक-एक करके अपने पिता, माता, दादा को खो दिया। साथ ही आंखों के सामने अपने तीन बेटों को खो दिया। उन्होंने अपने जीवन में बहुत सारी बाधाओं का सामना किया। वह इतने महान व्यक्ति थे फिर भी उनका ant अत्यधिक संघर्ष पूर्ण रहा। इसमें कोई शक नहीं कि पैगंबर मुहम्मद जीवन में उचित नियमों का पालन करते थे, लेकिन उन्हें सच्ची पूजा नहीं मिली, उन्हें वह बखाबर नहीं मिला, जिसके बारे में आयत 25:59 में कहा गया है। कुरान का ज्ञान दाता काल ब्रह्म है और उसे कबीर अल्लाह को प्राप्त करने के उचित भक्ति और सत मार्ग का ज्ञान नहीं है। आज संत रामपाल जी हर धर्म के पवित्र शास्त्रों के आधार पर सतभक्ती बता रहे हैं। पूरे विश्व में संत रामपाल जी महाराज ही एक मात्र बखाबर संत है। तो आप सभी से अनुरोध है की बिना ज्यादा समय लगाए संत रामपाल जी महाराज की की शरण ग्रहण कीजिए जो अल्लाह कबीर को प्राप्त करने के लिए सतभक्ती तथा सतमार्ग बता रहे हैं।

Prophet Muhammad


 

FAQs : "पैगंबर मुहम्मद का जीवन परिचय तथा उनकी शिक्षाएं"

Q.1 पैगंबर मुहम्मद जी की दी हुई शिक्षाएं क्या थी?

पैगंबर मुहम्मद जी हमेशा अल्लाह कबीर जी के बारे गूढ़ रहस्य बताते थे। मुहम्मद जी पशुओं की हत्या के सख्त विरोधी थे। उन्होंने एक बार अपनी सिद्धि शक्ति से एक गाय को मारा था और फिर उस गाय को जीवित भी कर दिया था। लेकिन जब हम ऐसा कर नहीं सकते तो हमें पशुओं को मारना भी नहीं चाहिए। मुहम्मद जी ने हमेशा आपसी भाईचारे का संदेश दिया था और लोगों को एकदूसरे के प्रति दयालु बनने की सीख दी थी।

Q.2 पैगंबर मुहम्मद के बारे में विस्तार से बताएं?

पैगंबर मुहम्मद जी ब्रह्म काल के दूत और अल्लाह कबीर जी की प्यारी और नेकदिल आत्मा थे। मुहम्मद जी ने हमेशा एक अल्लाह को मानने का उपदेश दिया था। उनके एक लाख अस्सी हजार शिष्य हुए थे, लेकिन उनमें से कभी किसी ने मांस नहीं खाया था। मुहम्मद जी ने हमेशा जानवरों के ऊपर होने वाले अत्याचारों का विरोध किया था तथा लोगों को आपसी भाईचारे और प्रेम से रहने की शिक्षा दिया करते थे। उनका अल्लाह के प्रति इतना लगाव होने के कारण ही अल्लाह कबीर जी उनसे आकर मिले थे। फिर उनकी आत्मा को सतलोक लेकर गए थे। लेकिन मुहम्मद जी ने वहां पर रहने से इनकार कर दिया था क्योंकि पृथ्वी पर मुहम्मद जी को बहुत चाहने वाले हो गए थे और इसीलिए वह मान बढ़ाई नहीं छोड़ सके। जबकि यहां कुछ भी स्थाई नहीं है।

Q. 3 मुहम्मद जी को अल्लाह के प्रति इतना प्रेम क्यों था?

मुहम्मद जी एक पवित्र आत्मा थे। फिर अपने पिछले कुछ जन्मों में से किसी एक जन्म में उन्होंने अल्लाह कबीर जी की शरण ग्रहण की थी। इस तरह कबीर अल्लाह जी की बताई भक्ति विधि करने से मुहम्मद जी में दयालुता, अल्लाह के प्रति विशेष लगाव और विश्वास जैसे गुण विधमान थे।

Q.4 पैगंबर मुहम्मद जी अपने शिष्यों को क्या निर्देश दिए थे?

पैगंबर मुहम्मद जी ने कभी मांस नहीं खाया था। इसके अलावा उन्होंने अपने सभी अनुयायियों को जीव हिंसा न करने और मांस न खाने का निर्देश दिया था। उन्होंने मूर्ति पूजा का खंडन किया था और एक अल्लाह की इबादत करने का संदेश दिया था।

Q.5 क्या पैगंबर मुहम्मद जी अल्लाह के गवाह थे?

पैगंबर मुहम्मद जी अल्लाह कबीर जी के गवाह थे। लेकिन मुहम्मद जी ने अल्लाह कबीर जी की पूजा को स्वीकार नहीं किया था। इसके अलावा मुहम्मद जी मुस्लिम धर्म के संस्थापक थे। मोहम्मद जी ने अपने जीवनकाल में कभी मांस नहीं खाया था, यहां तक कि वह जीव हिंसा के विरोधी थे। मुहम्मद जी ने हमेशा समाज में आपसी भाईचारे का संदेश दिया था। अधिक जानकारी के लिए Al Kabir Islamic channel को subscribe करें।

Q.6 क्या पैगंबर मुहम्मद जी मांस खाते थे?

मुस्लिम धर्म के संस्थापक होने के बावजूद भी मुहम्मद जी जीव हत्या के विरोधी थे। जबकि आज पूरा मुस्लिम समाज जानवरों को मारकर खाता है। लेकिन पैगम्बर मुहम्मद जी और उनके एक लाख अस्सी हजार शिष्यों ने कभी भी जीव हत्या नहीं की थी।

Q.7 पैगंबर मुहम्मद जी के बारे में अल्लाह ने क्या कहा था?

अल्लाह कबीर जी ने पैगंबर मुहम्मद जी को अल्लाह को चाहने वाली नेकदिल आत्मा कहा था। इसीलिए तो खुद अल्लाह कबीर जी उनसे आकर मिले थे और उनकी आत्मा को सतलोक लेकर गए थे।लेकिन मुहम्मद जी को मोक्ष प्राप्त नहीं हुआ केवल पृथ्वी पर ही प्रसिद्धि प्राप्त हुई थी।

Q.8 पवित्र कुरान में किस पैगंबर की शरण में जाने का निर्देश है?

पवित्र कुरान शरीफ सूरह अल फुरकान 25 आयत 59 में हमें अल्लाह की प्राप्ति के लिए बाख़बर संत की शरण में जाने का निर्देश दिया गया है। केवल वे ही पवित्र कुरान शरीफ में वर्णित सबसे महत्वपूर्ण पैगंबर हैं।

Q.9 वर्तमान में अल्लाह का भेजा हुआ पैगंबर कौन है?

अल्लाह अपना बाख़बर संत पृथ्वी लोक पर भेजता है और वह ही अल्लाह का सबसे बड़ा पैगम्बर होता है। उस पैगंबर को पवित्र कुरान शरीफ में बाख़बर भी कहा गया है। वर्तमान में अल्लाह ने संत रामपाल जी महाराज जी को बाख़बर के रूप में भेजा है और हमें उनसे अल्लाह के बारे में अवश्य जानना और उनसे मिलना भी चाहिए।

Q.10 अल्लाह का निर्माता कौन है?

अल्लाह का निर्माता कोई नहीं था और न ही कोई निर्माता हो सकता है। अल्लाह कबीर जी स्वयं ही सभी ब्रह्मांडों के एकमात्र निर्माता हैं। अल्लाह कबीर जी हम सभी के पिता हैं।


 

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Saira Khan

क्या पैगंबर मुहम्मद जी के पास अलौकिक शक्तियां थी?

Satlok Ashram

उनके पास कोई अलौकिक शक्तियां नहीं थी। केवल शब्द सिद्धि थी, वह भी फैल हो गई थी। पैगंबर मुहम्मद जी बचपन से ही ईश्वर में गहरी आस्था रखते थे। जब वह 40 वर्ष के हुए तो फरिश्ते जिब्राइल ने हज़रत मुहम्मद जी को दर्शन दिए थे। उसके बाद मुहम्मद जी को लोगों के पैगंबर के रूप में चुना गया था। फिर हज़रत मुहम्मद जी ने फरिश्ते जिब्राइल द्वारा बताए ज्ञान को फैलाया था।

Tarique Anwar

हज़रत मुहम्मद जी क्या धार्मिक साधना बताते थे?

Satlok Ashram

हज़रत मुहम्मद जी ने दिन में पांच बार नमाज़ पढ़ने का उपदेश दिया था। मुहम्मद जी हमेशा लोगों को सर्वशक्तिमान अल्लाह कबीर जी की पूजा करने को कहते थे। इसके अलावा वह जीव हत्या के विरोधी थे और उन्होंने हमेशा दूसरों के प्रति दयालुता रखने का निर्देश दिया था.

Rukam Chand

हज़रत मुहम्मद जी की मृत्यु कैसे हुई थी?

Satlok Ashram

वर्ष 632 ई. में हजरत मुहम्मद हज के लिए गए थे। फिर हज के तीन महीने बाद ही मुहम्मद जी को बीमारी ने घेर लिया था। उसके बाद उन्हें बहुत तेज़ बुखार हुआ और इतना तेज़ बुखार तो पहले कभी नहीं हुआ था। इस तरह इन कठिनाइयों का सामना करते हुए मुहम्मद जी की मृत्यु हुई थी। अधिक जानकारी के लिए Al Kabir Islamic channel को subscribe करें।