2. पवित्र शास्त्रों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी का जन्म, विवाह व मृत्यु


पवित्र शास्त्रों में तीनो देवों का जन्म, विवाह व मृत्यु

काल (ब्रह्म) ने प्रकृति (दुर्गा) से कहा कि अब मेरा कौन क्या बिगाडेगा? मन मानी करूंगा प्रकृति ने फिर प्रार्थना की कि आप कुछ शर्म करो। प्रथम तो आप मेरे बड़े भाई हो, क्योंकि उसी पूर्ण परमात्मा (कविर्देव) की वचन शक्ति से आप की (ब्रह्म की) अण्डे से उत्पत्ति हुई तथा बाद में मेरी उत्पत्ति उसी परमेश्वर के वचन से हुई है। दूसरे मैं आपके पेट से बाहर निकली हूँ, मैं आपकी बेटी हुई तथा आप मेरे पिता हुए। इन पवित्र नातों में बिगाड़ करना महापाप होगा। मेरे पास पिता की प्रदान की हुई शब्द शक्ति है, जितने प्राणी आप कहोगे मैं वचन से उत्पन्न कर दूंगी। ज्योति निरंजन ने दुर्गा की एक भी विनय नहीं सुनी तथा कहा कि मुझे जो सजा मिलनी थी मिल गई, मुझे सतलोक से निष्कासित कर दिया। अब मनमानी करूंगा। यह कह कर काल पुरूष (क्षर पुरूष) ने प्रकृति के साथ जबरदस्ती शादी की तथा तीन पुत्रों (रजगुण युक्त - ब्रह्मा जी, सतगुण युक्त - विष्णु जी तथा तमगुण युक्त - शिव शंकर जी) की उत्पत्ति की। जवान होने तक तीनों पुत्रों को दुर्गा के द्वारा अचेत करवा देता है, फिर युवा होने पर श्री ब्रह्मा जी को कमल के फूल पर, श्री विष्णु जी को शेष नाग की शैय्या पर तथा श्री शिव जी को कैलाश पर्वत पर सचेत करके इक्ट्ठे कर देता है। तत्पश्चात् प्रकृति (दुर्गा) द्वारा इन तीनों का विवाह कर दिया जाता है तथा एक ब्रह्मण्ड में तीन लोकों (स्वर्ग लोक, पृथ्वी लोक तथा पाताल लोक) में एक-एक विभाग के मंत्री (प्रभु) नियुक्त कर देता है। जैसे श्री ब्रह्मा जी को रजोगुण विभाग का तथा विष्णु जी को सत्तोगुण विभाग का तथा श्री शिव शंकर जी को तमोगुण विभाग का तथा स्वयं गुप्त (महाब्रह्मा - महाविष्णु - महाशिव) रूप से मुख्य मंत्री पद को संभालता है।

एक ब्रह्मण्ड में एक ब्रह्मलोक की रचना की है। उसी में तीन गुप्त स्थान बनाए हैं। एक रजोगुण प्रधान स्थान है जहाँ पर यह ब्रह्म (काल) स्वयं महाब्रह्मा (मुख्यमंत्री) रूप में रहता है तथा अपनी पत्नी दुर्गा को महासावित्राी रूप में रखता है। इन दोनों के संयोग से जो पुत्र इस स्थान पर उत्पन्न होता है वह स्वतः ही रजोगुणी बन जाता है। दूसरा स्थान सतोगुण प्रधान स्थान बनाया है। वहाँ पर यह क्षर पुरुष स्वयं महाविष्णु रूप बना कर रहता है तथा अपनी पत्नी दुर्गा को महालक्ष्मी रूप में रख कर जो पुत्र उत्पन्न करता है उसका नाम विष्णु रखता है, वह बालक सतोगुण युक्त होता है तथा तीसरा इसी काल ने वहीं पर एक तमोगुण प्रधान क्षेत्र बनाया है। उसमें यह स्वयं सदाशिव रूप बनाकर रहता है तथा अपनी पत्नी दुर्गा को महापार्वती रूप में रखता है। इन दोनों के पति-पत्नी व्यवहार से जो पुत्र उत्पन्न होता है उसका नाम शिव रख देते हैं तथा तमोगुण युक्त कर देते हैं। (प्रमाण के लिए देखें पवित्र श्री शिव महापुराण, विद्यवेश्वर संहिता पृष्ठ 24-26 जिस में ब्रह्मा, विष्णु, रूद्र तथा महेश्वर से अन्य सदाशिव है तथा रूद्र संहिता अध्याय 6 तथा 7, 9 पृष्ठ नं. 100 से, 105 तथा 110 पर अनुवाद कर्ता श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, गीता प्रैस गोरख पुर से प्रकाशित तथा पवित्र श्रीमद्देवीमहापुराण तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 114 से 123 तक, गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, जिसके अनुवाद कर्ता हैं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार चिमन लाल गोस्वामी)

फिर इन्हीं को धोखे में रख कर अपने खाने के लिए जीवों की उत्पत्ति श्री ब्रह्मा जी द्वारा तथा स्थिति (एक-दूसरे को मोह-ममता में रख कर काल जाल में रखना) श्री विष्णु जी से तथा संहार (क्योंकि काल पुरुष को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर से मैल निकाल कर खाना होता है उसके लिए इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में एक तप्तशिला है जो स्वतः गर्म रहती है, उस पर गर्म करके मैल पिंघला कर खाता है, जीव मरते नहीं परन्तु कष्ट असहनीयहोता है, फिर प्राणियों को कर्म आधार पर अन्य शरीर प्रदान करता है) श्री शिव जी द्वारा करवाता है।

जैसे किसी मकान में तीन कमरे बने हों। एक कमरे में अश्लील चित्रा लगे हों। उस कमरे में जाते ही मन में वैसे ही मलिन विचार उत्पन्न हो जाते हैं। दूसरे कमरे में साधु-सन्तों, भक्तों के चित्रा लगे हों तो मन में अच्छे विचार, प्रभु का चिन्तन ही बना रहता है। तीसरे कमरे में देश भक्तों व शहीदों के चित्र लगे हों तो मन में वैसे ही जोशीले विचार उत्पन्न हो जाते हैं। ठीक इसी प्रकार ब्रह्म (काल) ने अपनी सूझ-बूझ से उपरोक्त तीनों गुण प्रधान स्थानों की रचना की हुई है।


 

FAQs about "पवित्र शास्त्रों में ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी का जन्म, विवाह व मृत्यु"

Q.1 ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म कैसे हुआ?

परम पिता परमात्मा कविर्देव ने सतलोक से काल (ब्रह्म) ने प्रकृति (दुर्गा) को उनके व्यवहार के कारण निष्कासित कर दिया था। उसके बाद मनमानी करके काल पुरूष (क्षर पुरूष) ने प्रकृति के साथ जबरदस्ती शादी की तथा तीन पुत्रों रजगुण युक्त - ब्रह्मा जी, सतगुण युक्त - विष्णु जी तथा तमगुण युक्त - शिव शंकर जी की उत्पत्ति की।

Q.2 सभी देवताओं का पिता किसे माना जाता है?

केवल भगवान कबीर जी ही सभी देवताओं के पिता हैं। उन्होंने छोटे से छोटे परमाणु से लेकर विशाल आकाशगंगाओं तक और साथ ही सभी जीवित और निर्जीव वस्तुओं, देवताओं आदि की रचना की है। संत गरीबदास जी महाराज पूर्ण आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त करने के बाद, कबीर परमेश्वर की महिमा गाते हैं:– हमहीं अलख अल्लाह है, कुतुब गोश ओर पीर | गरीबदास, खालिक धनी, हमरा नाम कबीर ||

Q. 3 माता दुर्गा का पिता कौन हैं?

सूक्ष्मवेद के अनुसार दुर्गा जी के पिता सतपुरुष भगवान कबीर हैं, जिन्होंने अपने वचनों से दुर्गा जी की रचना की। उन्होंने ही ब्रह्म काल की रचना की थी।

Q.4 दुर्गा देवी जिन्हें प्रकृति के नाम से भी पुकारते हैं। सतलोक में दुर्गा ने क्या ऐसा काम किया था जिसके कारण उन्हे दुर्गा बनाया गया।

सतलोक में जब काल ब्रह्म ने अपने लिए एक ब्रह्मांड की मांग की तब दुर्गा पहली आत्मा थी जिसने काल के साथ जाने की सहमति दी थी। कबीर परमेश्वर ने उसी प्रथम आत्मा को माया या दुर्गा बनाया। यह भी एक कड़वा सच है कि काल ब्रह्म और दुर्गा दोनों ब्रह्मा, विष्णु और शिव के माता-पिता हैं। इसका ही वर्णन स्वयं भगवान कबीर अपनी गहन वाणी में करते हैं:– अब मैं तुमसे कहु चेतायी, त्रिदेवन की उत्पति भाई | पहिले कीन निरंजन राई, पीछे से माया उपजाई ||

Q.5 ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म कैसे हुआ ?

काल पुरूष (क्षर पुरूष) ने प्रकृति के साथ जबरदस्ती शादी करने के बाद दोनों के संयोग से तीन पुत्रों रजगुण युक्त - ब्रह्मा जी, सतगुण युक्त - विष्णु जी तथा तमगुण युक्त - शिव शंकर जी को जन्म दिया। काल ब्रह्म ने जवान होने तक तीनों पुत्रों को दुर्गा के द्वारा अचेत करवाया। फिर युवा होने पर श्री ब्रह्मा जी को कमल के फूल पर, श्री विष्णु जी को शेष नाग की शैय्या पर तथा श्री शिव जी को कैलाश पर्वत पर सचेत करके इक्ट्ठा किया।

Q.6 ब्रह्मा, विष्णु और शिव के क्या कार्य हैं ?

प्रकृति (दुर्गा) ने ब्रह्मा, विष्णु और शिव को एक ब्रह्माण्ड में एक-एक विभाग का प्रभारी नियुक्त किया। श्री ब्रह्मा जी को रजोगुण विभाग का तथा विष्णु जी को सत्तोगुण विभाग का तथा श्री शिव शंकर जी को तमोगुण विभाग का दायित्व दिया गया।

Q.7 ब्रह्मा, विष्णु और शिव कहाँ से आये?

सूक्ष्मवेद के अनुसार काल ब्रह्म से लेकर छोटी सी चींटी, देवता आदि सभी आत्माओं की उत्पत्ति सतपुरुष की शब्द शक्ति से ही सतलोक/सचखण्ड अमर लोक में हुई है। इस दृष्टिकोण के अनुसार, ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी भी सतलोक से आए थे और वह आध्यात्मिक धन के धनी थे। काल लोक में आने के बाद इन आत्माओं ने काल ब्रह्म और दुर्गा जी की संतान के रूप में जन्म लिया था।


 

Recent Comments

Latest Comments by users
यदि उपरोक्त सामग्री के संबंध में आपके कोई प्रश्न या सुझावहैं, तो कृपया हमें [email protected] पर ईमेल करें, हम इसे प्रमाण के साथ हल करने का प्रयास करेंगे।
Nilesh Singh

क्या देवी दुर्गा अमर हैं?

Satlok Ashram

देखिए, देवी दुर्गा अमर देवी नहीं हैं, वह जन्मती और मरती है। अमर भगवान तो केवल एक सर्वशक्तिमान कबीर जी हैं उनके अलावा जन्म मृत्यु चक्र में हैं।

Beena Upadhyay

वह जो "दुर्गा" नाम से प्रसिद्ध है, वह ऐसी शक्ति है जिससे श्रेष्ठ कोई नहीं है।

Satlok Ashram

दुर्गा पुराण के कुछ साक्ष्य यह साबित करते हैं कि देवी दुर्गा स्वयं अपनी पूजा करने को मना करती हैं और एक अन्य सर्वोच्च भगवान के बारे में बताती हैं, जिनकी पूजा की जानी चाहिए। क्योंकि वह जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में हैं और मोक्ष प्रदाता नहीं है इसलिए दुर्गा जी की पूजा से साधकों को कोई लाभ नहीं मिलता है।

Rohan

काल ब्रह्म कैसे ब्रह्मा, विष्णु और शिव के द्वारा जीव आत्माओं को कष्ट देते हैं?

Satlok Ashram

देखिए फिर काल ब्रह्मा, विष्णु और शिव को धोखे में रख कर अपने खाने के लिए जीवों की उत्पत्ति श्री ब्रह्मा जी द्वारा तथा स्थिति (एक-दूसरे को मोह-ममता में रख कर काल जाल में रखना) श्री विष्णु जी से तथा संहार श्री शिव जी द्वारा करवाता है। क्योंकि काल पुरुष को शापवश एक लाख मानव शरीर धारी प्राणियों के सूक्ष्म शरीर से मैल निकाल कर खाना होता है उसके लिए इक्कीसवें ब्रह्मण्ड में एक तप्तशिला है जो स्वतः गर्म रहती है, उस पर गर्म करके मैल पिंघला कर खाता है, जीव मरते नहीं परन्तु कष्ट असहनीयहोता है, फिर प्राणियों को कर्म आधार पर अन्य शरीर प्रदान करता है।

Chitra Sahani

जब भी दुनिया को बुराई, अराजकता और विनाशकारी ताकतों से खतरा होता है, तब विष्णु ब्रह्मांडीय व्यवस्था को बहाल करने और धर्म की रक्षा करने के लिए अवतार के रूप में अवतरित होते हैं।

Satlok Ashram

देखिए सर्वशक्तिमान कबीर जी ही जगत के तारणहार हैं और वह ही मुक्तिदाता है। फिर भगवान विष्णु की शक्ति सीमित है, जो केवल 21 ब्रह्माण्ड तक ही सीमित है। और तो और वह जन्म और पुनर्जन्म के चक्र में भी है।

Ishika Verma

सृष्टि कथाओं में ब्रह्मा का वर्णन प्रमुखता से किया गया है। कुछ पुराणों में, उन्होंने खुद को एक सुनहरे भ्रूण में बनाया जिसे हिरण्यगर्भ के नाम से जाना जाता है।

Satlok Ashram

देखिए रजगुण युक्त भगवान ब्रह्मा अपने पिता अर्थात ब्रह्म काल के 21 ब्रह्माण्डों में से एक ब्रह्मांड में जीवों के रचयिता हैं। ब्रह्मा जी के विषय में पुराणों में वर्णित हिरण्यगर्भ का सिद्धांत गलत है। जबकि सच तो यह है कि सर्वशक्तिमान कबीर जी ने सतलोक में ब्रह्म काल की रचना की। इसके अलावा परम अक्षर ब्रह्म की शब्द शक्ति से ही ब्रह्म काल अंडे से बाहर आया था। विस्तार से जानकारी के लिए आप हमारी वेबसाइट पर जा सकते हैं।