12. पवित्र शिव महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण


शिव महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण

काल ब्रह्म व दुर्गा से विष्णु, ब्रह्मा व शिव की उत्पत्ति

इसी का प्रमाण पवित्र श्री शिव पुराण गीता प्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, अनुवादकर्ता श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार, इसके अध्याय 6 रूद्र संहिता, पृष्ठ नं. 100 पर कहा है कि जो मूर्ति रहित परब्रह्म है, उसी की मूर्ति भगवान सदाशिव है। इनके शरीर से एक शक्ति निकली, वह शक्ति अम्बिका, प्रकृति (दुर्गा), त्रिदेव जननी (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी को उत्पन्न करने वाली माता) कहलाई। जिसकी आठ भुजाऐं हैं। वे जो सदाशिव हैं, उन्हें शिव, शंभू और महेश्वर भी कहते हैं। (पृष्ठ नं. 101 पर) वे अपने सारे अंगों में भस्म रमाये रहते हैं। उन काल रूपी ब्रह्म ने एक शिवलोक नामक क्षेत्र का निर्माण किया। फिर दोनों ने पति-पत्नी का व्यवहार किया जिससे एक पुत्र उत्पन्न हुआ। उसका नाम विष्णु रखा (पृष्ठ नं. 102)।

 फिर रूद्र संहिता अध्याय नं. 7 पृष्ठ नं. 103 पर ब्रह्मा जी ने कहा कि मेरी उत्पत्ति भी भगवान सदाशिव (ब्रह्म-काल) तथा प्रकृति (दुर्गा) के संयोग से अर्थात् पति-पत्नी के व्यवहार से ही हुई। फिर मुझे बेहोश कर दिया।

फिर रूद्र संहिता अध्याय नं. 9 पृष्ठ नं. 110 पर कहा है कि इस प्रकार ब्रह्मा, विष्णु तथा रूद्र इन तीनों देवताओं में गुण हैं, परन्तु शिव (काल-ब्रह्म) गुणातीत माने गए हैं।

 यहाँ पर चार सिद्ध हुए अर्थात् सदाशिव (काल-ब्रह्म) व प्रकृति (दुर्गा) से ही ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव उत्पन्न हुए हैं। तीनों भगवानों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी तथा श्री शिव जी) की माता जी श्री दुर्गा जी तथा पिता जी श्री ज्योति निरंजन (ब्रह्म) है। यही तीनों प्रभु रजगुण-ब्रह्मा जी, सतगुण-विष्णु जी, तमगुण-शिव जी हैं।


 

FAQs : "पवित्र शिव महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण"

Q.1 शिव महापुराण के अनुसार सृष्टि की रचना कैसे हुई थी?

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित और श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा अनुवादित पवित्र श्री शिव पुराण के अध्याय 6 रूद्र संहिता में पृष्ठ नं. 100 और 101 में लिखा है कि देवी दुर्गा जी भगवान सदाशिव से प्रकट हुई थीं। उसके बाद वे दोनों शिवलोक नामक क्षेत्र में रहने लगे और वह दोनों पति पत्नी हैं। सदाशिव और दुर्गा के तीन पुत्र हैं ब्रह्मा जी,विष्णु जी और शिव जी। इसी का प्रमाण रूद्र संहिता अध्याय नं. 7, पेज नं. 103 में भी है, यहां ब्रह्मा जी स्वयं स्वीकार करते हैं कि वे भी दुर्गा जी से उत्पन्न हुए हैं। इस प्रकार काल ब्रह्म के 21 ब्रह्माण्डों में प्रकृति की रचना आरम्भ हुई थी।

Q.2 शिव पुराण में वर्णित देवी दुर्गा के अन्य नाम क्या हैं?

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एवं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा अनुवादित शिव पुराण के अध्याय 6 रूद्र संहिता में पृष्ठ नं. 100 में लिखा है कि एक शक्ति सदाशिव से प्रकट हुई थी और उसे विभिन्न नामों से भी जाना जाता है। देवी दुर्गा जी को अम्बिका, प्रकृति (दुर्गा), गुडवती माया, सर्वेश्वरी, नित्या, मूलकरण, त्रिदेव जननी/तीनों देवों (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, और श्री शिव जी) की माता (जन्म देने वाली माता) भी कहा जाता है। इसके अलावा उन्हें आठ भुजाओं वाली होने के कारण अष्टांगी भी कहते हैं।

Q. 3 शिव पुराण के अनुसार ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी के माता और पिता कौन हैं?

हिंदू त्रिमूर्ति देवताओं ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी की माता दुर्गा जी और पिता काल-ब्रह्म हैं। इसके अलावा यह प्रमाण गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित श्री शिव पुराण और श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा अनुवादित रुद्र संहिता के अध्याय 6 और 7 में भी लिखित है।

Q.4 प्रकृति की रचना में काल-ब्रह्म की क्या भूमिका है?

काल ब्रह्म अपनी वास्तविक पहचान छिपाकर रहता है और अपने पुत्रों का रूप धारण कर लेता है। इसके अलावा वह और दुर्गा अपने पुत्रों (ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी) का जन्मदाता है और 21 ब्रह्मांडों का रचनाकार है।

Q.5 शिव पुराण के अनुसार तीन गुण क्या हैं?

गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एवं श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार द्वारा अनुवादित पवित्र श्री शिव पुराण के अध्याय 9 रूद्र संहिता में पृष्ठ नं. 110 पर लिखा है कि ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी गुण हैं। लेकिन काल-ब्रह्म उनसे ऊपर की शक्ति है।


 

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Manohar

शिव परंपरा के अनुसार शिव जी को सर्वोच्च भगवान माना जाता है। उनके अनुसार भगवान शिव जी ही ब्रह्मांड की रचना, सुरक्षा और उसमें परिवर्तन करते हैं।

Satlok Ashram

यह एक मिथक है क्योंकि भगवान शिव न सृष्टि करते हैं, न रक्षा करते हैं और न ही परिवर्तन करते हैं। इसके आलावा न तो उनके पास यह शक्ति है और न ही उनके पिता काल ब्रह्म में इतनी शक्ति है कि वह कोई परिवर्तन कर सकें। सिर्फ और सिर्फ सर्वशक्तिमान कबीर जी ही हैं, जो सबका निर्माण करते हैं, पालन-पोषण करते हैं और सृष्टि में भी परिवर्तन कर सकते हैं।

Ketan Kumar

शिव शब्द का अर्थ "मुक्ति, अंतिम मुक्ति" भी है। वह मृत्युंजय, सर्वोच्च भगवान हैं।

Satlok Ashram

भगवान शिव जी और उनके पिता काल ब्रह्म दोनों भी जन्म और मृत्यु के चक्र में हैं। जब उन दोनों को ही मुक्ति नहीं मिली, तो उनके उपासकों को कैसे मुक्ति मिल सकती है। सर्वशक्तिमान कबीर जी ही अपने सच्चे उपासकों को मुक्ति प्रदान कर सकते हैं। लेकिन वो भी तब जब वह तत्वदर्शी संत की शरण में जाकर और उनके द्वारा प्रदान किए गए सच्चे मोक्ष मंत्रों का जाप करेंगे।

Vaishali

तमोगुण देवता शिव जी सर्वोच्च शक्ति हैं।

Satlok Ashram

तमोगुण युक्त भगवान शिव जी अपने पिता ब्रह्म काल के 21 ब्रह्माण्डों में संहार की भूमिका निभाते हैं। उनका काम प्राणियों को मारना और अपने पिता के लिए भोजन की व्यवस्था करना है। भगवान शिव जी के पास सीमित शक्तियां हैं और वे जन्म और मृत्यु के चक्र में हैं। वह सर्वोच्च भगवान नहीं हैं, क्योंकि सर्वशक्तिमान भगवान कबीर जी ही सर्वोच्च परमेश्वर हैं। केवल कबीर जी ही संपूर्ण ब्रह्मांडों के निर्माता हैं और वे ही अविनाशी हैं।