11. पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण


श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण

ब्रह्मा, विष्णु तथा शिव के माता-पिता

दुर्गा और ब्रह्म के योग से ब्रह्मा, विष्णु और शिव का जन्म

पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण तीसरा स्कन्द अध्याय 1.3(गीताप्रैस गोरखपुर से प्रकाशित, अनुवादकर्ता श्री हनुमानप्रसाद पोद्दार तथा चिमन लाल गोस्वामी जी, पृष्ठ नं. 114 से)

पृष्ठ नं. 114 से 118 तक विवरण है कि कितने ही आचार्य भवानी को सम्पूर्ण मनोरथ पूर्ण करने वाली बताते हैं। वह प्रकृति कहलाती है तथा ब्रह्म के साथ अभेद सम्बन्ध है जैसे पत्नी को अर्धांगनी भी कहते हैं अर्थात् दुर्गा ब्रह्म (काल) की पत्नी है। एक ब्रह्मण्ड की सृष्टी रचना के विषय में राजा श्री परीक्षित के पूछने पर श्री व्यास जी ने बताया कि मैंने श्री नारद जी से पूछा था कि हे देवर्षे ! इस ब्रह्मण्ड की रचना कैसे हुई? मेरे इस प्रश्न के उत्तर में श्री नारद जी ने कहा कि मैंने अपने पिता श्री ब्रह्मा जी से पूछा था कि हे पिता श्री इस ब्रह्मण्ड की रचना आपने की या श्री विष्णु जी इसके रचयिता हैं या शिव जी ने रचा है? सच-सच बताने की कृपा करें। तब मेरे पूज्य पिता श्री ब्रह्मा जी ने बताया कि बेटा नारद, मैंने अपने आपको कमल के फूल पर बैठा पाया था, मुझे नहीं मालूम इस अगाध जल में मैं कहाँ से उत्पन्न हो गया। एक हजार वर्ष तक पृथ्वी का अन्वेषण करता रहा, कहीं जल का ओर-छोर नहीं पाया। फिर आकाशवाणी हुई कि तप करो। एक हजार वर्ष तक तप किया। फिर सृष्टी करने की आकाशवाणी हुई। इतने में मधु और कैटभ नाम के दो राक्षस आए, उनके भय से मैं कमल का डण्ठल पकड़ कर नीचे उतरा। वहाँ भगवान विष्णु जी शेष शैय्या पर अचेत पड़े थे। उनमें से एक स्त्री (प्रेतवत प्रविष्ट दुर्गा) निकली। वह आकाश में आभूषण पहने दिखाई देने लगी। तब भगवान विष्णु होश में आए। अब मैं तथा विष्णु जी दो थे। इतने में भगवान शंकर भी आ गए। देवी ने हमें विमान में बैठाया तथा ब्रह्म लोक में ले गई। वहाँ एक ब्रह्मा, एक विष्णु तथा एक शिव और देखा फिर एक देवी देखी,उसे देख कर विष्णु जी ने विवेक पूर्वक निम्न वर्णन किया (ब्रह्म काल ने भगवान विष्णु को चेतना प्रदान कर दी, उसको अपने बाल्यकाल की याद आई तब बचपन की कहानी सुनाई)।

पृष्ठ नं. 119-120 पर भगवान विष्णु जी ने श्री ब्रह्मा जी तथा श्री शिव जी से कहा कि यह हम तीनों की माता है, यही जगत् जननी प्रकृति देवी है। मैंने इस देवी को तब देखा था जब मैं छोटा सा बालक था, यह मुझे पालने में झुला रही थी।

तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 123 पर श्री विष्णु जी ने श्री दुर्गा जी की स्तुति करते हुए कहा - तुम शुद्ध स्वरूपा हो, यह सारा संसार तुम्हीं से उद्भासित हो रहा है, मैं (विष्णु), ब्रह्मा और शंकर हम सभी तुम्हारी कृपा से ही विद्यमान हैं। हमारा आविर्भाव (जन्म) और तिरोभाव (मृत्यु) हुआ करता है अर्थात् हम तीनों देव नाशवान हैं, केवल तुम ही नित्य (अविनाशी) हो, जगत जननी हो, प्रकृति देवी हो।

भगवान शंकर बोले - देवी यदि महाभाग विष्णु तुम्हीं से प्रकट (उत्पन्न) हुए हैं तो उनके बाद उत्पन्न होने वाले ब्रह्मा भी तुम्हारे ही बालक हुए। फिर मैं तमोगुणी लीला करने वाला शंकर क्या तुम्हारी संतान नहीं हुआ अर्थात् मुझे भी उत्पन्न करने वाली तुम्हीं हो।

विचार करें:- उपरोक्त विवरण से सिद्ध हुआ कि श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी नाशवान हैं। मृत्युंजय (अजर-अमर) व सर्वेश्वर नहीं हैं तथा दुर्गा (प्रकृति) के पुत्र हैं तथा ब्रह्म (काल-सदाशिव) इनका पिता है।

तीसरा स्कंद पृष्ठ नं. 125 पर ब्रह्मा जी के पूछने पर कि हे माता! वेदों में जो ब्रह्म कहा है वह आप ही हैं या कोई अन्य प्रभु है ? इसके उत्तर में यहाँ तो दुर्गा कह रही है कि मैं तथा ब्रह्म एक ही हैं। फिर इसी स्कंद अ. 6 के पृष्ठ नं. 129 पर कहा है कि अब मेरा कार्य सिद्ध करने के लिए विमान पर बैठ कर तुम लोग शीघ्र पधारो (जाओ)। कोई कठिन कार्य उपस्थित होने पर जब तुम मुझे याद करोगे, तब मैं सामने आ जाऊँगी। देवताओं मेरा (दुर्गा का) तथा ब्रह्म का ध्यान तुम्हें सदा करते रहना चाहिए। हम दोनों का स्मरण करते रहोगे तो तुम्हारे कार्य सिद्ध होने में तनिक भी संदेह नहीं है।

उपरोक्त व्याख्या से स्वसिद्ध है कि दुर्गा (प्रकृति) तथा ब्रह्म (काल) ही तीनों देवताओं के माता-पिता हैं तथा ब्रह्मा, विष्णु व शिव जी नाशवान हैं व पूर्ण शक्ति युक्त नहीं हैं।

तीनों देवताओं (श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी, श्री शिव जी) की शादी दुर्गा (प्रकृति देवी) ने की। पृष्ठ नं. 128-129 पर, तीसरे स्कंद में।

गीता अध्याय नं. 7 का श्लोक नं. 12

ये, च, एव, सात्विकाः, भावाः, राजसाः, तामसाः, च, ये, मतः, एव, इति, तान्, विद्धि, न, तु, अहम्, तेषु, ते, मयि।।

अनुवाद: (च) और (एव) भी (ये) जो (सात्विकाः) सत्वगुण विष्णु जी से स्थिति (भावाः) भाव हैं और (ये) जो (राजसाः) रजोगुण ब्रह्मा जी से उत्पत्ति (च) तथा (तामसाः) तमोगुण शिव से संहार हैं (तान्) उन सबको तू (मतः,एव) मेरे द्वारा सुनियोजित नियमानुसार ही होने वाले हैं (इति) ऐसा (विद्धि) जान (तु) परन्तु वास्तवमें (तेषु) उनमें (अहम्) मैं और (ते) वे (मयि) मुझमें (न) नहीं हैं।


 

FAQs : "पवित्र श्रीमद्देवी महापुराण में सृष्टी रचना का प्रमाण"

Q.1 देवी पुराण प्रकृति यानि दुर्गा देवी की रचना के बारे में क्या कहता है?

देवी पुराण, गीता प्रेस गोरखपुर द्वारा प्रकाशित एक हिंदू ग्रंथ है। इसके स्कंध 3, अध्याय 1-3 में कहा गया है कि दुर्गा जी, जिन्हें प्रकृति देवी भी कहा जाता है, वह काल ब्रह्म की पत्नी हैं। ब्रह्मा, विष्णु और शिव जी का जन्म देवी दुर्गा से ही हुआ है।

Q.2 देवी पुराण के अनुसार देवी दुर्गा का पति कौन है?

देवी पुराण स्कन्ध 3, अध्याय 1-3 में वर्णन है कि काल ब्रह्म तथा प्रकृति देवी (देवी दुर्गा जी) का आपस में सम्बन्ध है तथा वह काल ब्रह्म की पत्नी हैं।

Q. 3 देवी दुर्गा जी की कितनी संतानें हैं और कौन हैं?

देवी दुर्गा जी की तीन संतानें हैं, श्री ब्रह्मा जी, श्री विष्णु जी और श्री शिव जी। ब्रह्मा जी सृजन से, विष्णु जी संरक्षण से और शिव जी विनाश से जुडे़ विभाग के कार्य को देखते हैं। यह बात देवी पुराण, स्कंध 3, अध्याय 1-3 में भी स्पष्ट है, यहां शिव जी और विष्णु जी दोनों स्वयं को देवी दुर्गा की संतान के रूप में स्वीकार करते हैं।

Q.4 दुर्गा जी ने अपने पुत्रों का विवाह कैसे किया?

देवी दुर्गा ने समुद्र मंथन के दौरान अपने तीन रूप बनाए और अपने तीनों पुत्रों से विवाह किया। दुर्गा जी स्वयं ही सावित्री रूप में प्रकट हुईं और ब्रह्मा जी से विवाह किया, लक्ष्मी जी के रूप में विष्णु जी से विवाह किया और पार्वती जी के रूप में प्रकट होकर शिव जी से विवाह किया।

Q.5 देवी पुराण में ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी के बारे में क्या लिखा है?

देवी पुराण स्कंध 3, अध्याय 1-3 में शिव जी खुद स्वीकार करते हैं कि वह, ब्रह्मा जी और विष्णु जी देवी दुर्गा से पैदा हुए हैं। इसके बाद इसी स्कंध के अध्याय 5 में विष्णु जी कहते हैं कि हम तीनों देवता नाशवान हैं अर्थात हम जन्म-मृत्यु के आधीन हैं और दुर्गा जी को माता कहकर संबोधित करते हैं।

Q.6 तीनों देवताओं में गुणों के प्रभाव के लिए कौन जिम्मेदार है?

श्रीमद्भगवद गीता, अध्याय 7, श्लोक 12 के अनुसार ब्रह्म काल (काल ब्रह्म) कहता है कि वह ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी में मौजूद गुणों के लिए जिम्मेदार है। ब्रह्मा जी रजोगुण, विष्णु जी सतोगुण और शिव जी तमोगुण युक्त उसी के प्रभाव से हैं।


 

Recent Comments

Latest Comments by users
यदि उपरोक्त सामग्री के संबंध में आपके कोई प्रश्न या सुझावहैं, तो कृपया हमें [email protected] पर ईमेल करें, हम इसे प्रमाण के साथ हल करने का प्रयास करेंगे।
Chitra Sahani

शक्ति अर्थात देवी दुर्गा अमर हैं। वह सभी मनोकामना पूर्ण करने वाली है, यह कथन कहां तक सही है?

Satlok Ashram

यह बिल्कुल भी सच नहीं है क्योंकि देवी दुर्गा जी का नियंत्रण केवल 21 ब्रह्माण्डों पर है, उससे परे नहीं। इसके अलावा उनके पास सीमित शक्तियाँ हैं और वह सभी इच्छाओं को पूरा नहीं कर सकती है। न ही वह मुक्ति दे सकती है और न ही वह अमर हैं। यह हमारे शास्त्रों में भी प्रमाण है कि महाप्रलय (विनाश) के दौरान 21 ब्रह्मांड समाप्त हो जाते हैं और देवी दुर्गा जी की भी मृत्यु हो जाती है। सर्वशक्तिमान कबीर साहेब जी ही हैं। केवल वही मनुष्य के पाप नाश कर उन्हे पूर्ण मोक्ष प्रदान कर सकते है।

Pushpa Verma

देवी दुर्गा जगत जननी हैं और वह प्रकृति की निर्माता भी हैं, क्या है सही है?

Satlok Ashram

प्रकृति की रचना सर्वशक्तिमान कबीर जी ने की है। देवी दुर्गा ब्रह्म काल की पत्नी है , जो अपने 21 ब्रह्मांडों में केवल सृष्टि का कार्य ही करते हैं। इसके अलावा दुर्गा जी केवल 21 ब्रह्मांडों में सभी आत्माओं की मां है। यह भी एक कड़वा सच है कि ब्रह्मा जी, विष्णु जी और शिव जी उनके पुत्र हैं। इसका प्रमाण देवी भागवत पुराण (देवी पुराण अध्याय 5 सकन्द 3 पेज नंबर 123) और भगवत गीता में भी मिलता है।