कई विश्व-प्रसिद्ध भविष्यवक्ताओं ने एक महान संत (शायरन) के विषय में भविष्यवाणी की है, जो पूरे विश्व में आध्यात्मिक क्रांति लाएगा और अज्ञान के अंधकार में फंसी आत्माओं को सतज्ञान की रोशनी दिखाएगा। उसके दिव्य मार्गदर्शन में, दुनिया स्वर्ण युग की साक्षी बनेगी। भविष्यवक्ताओं ने कहा है कि वह महान व्यक्ति इस संसार से भौतिकवाद मिटा देगा और आध्यात्मिकता को जागृत करेगा। वह महान संत 20वीं सदी में अवतार लेगा और पूरी दुनिया पर शासन करेगा।
उसी महान संत के विषय में कुछ प्रमाण पवित्र ग्रंथ भाई बाले वाली जन्म साखी में भी वर्णित हैं। इसमें भक्त प्रह्लाद द्वारा की गई भविष्यवाणी के माध्यम से जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के दिव्य अवतार के विषय में प्रमाण दिया गया है। संत रामपाल जी महाराज परम अक्षर ब्रह्म/सतपुरुष के अवतार हैं, जो आदरणीय श्री नानक देव जी के गुरु थे। परम अक्षर ब्रह्म/सतपुरुष की महिमा श्री गुरु नानक देव जी द्वारा अनेक अमृतमय वाणियों में की गई है, जो पवित्र श्री गुरु ग्रंथ साहिब में अंकित हैं।
उपरोक्त के आधार पर, आइए जानते हैं कि पवित्र ग्रंथ भाई बाले वाली जन्म साखी महान संत रामपाल जी महाराज के विषय में क्या प्रमाण प्रदान करती है?
● संत रामपाल जी का संक्षिप्त परिचय
● भाई बाले वाली जन्म साखी में भक्त प्रह्लाद की महान संत के विषय में भविष्यवाणी
● संत रामपाल जी महाराज को मिले कबीर परमात्मा
● संत रामपाल जी के रूप में कबीर परमेश्वर दिव्य लीला कर रहे हैं
● कौन हैं प्रह्लाद?
● श्री नानक जी का प्रह्लाद जी के लोक में जाना
● भाई बाले वाली जन्म साखी में वर्णित महान संत गरीबदास जी के अलावा कोई अन्य महान संत है
● दस सिख गुरुओं से अलग है भाई बाले वाली जन्म साखी में लिखित महान संत
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को गांव धनाना, जिला सोनीपत, हरियाणा (पूर्व में पंजाब) की पावन धरती पर श्री नन्द राम जाट के घर श्रीमती इंद्रा देवी से हुआ।
जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज विश्व विख्यात संत हैं, जो अपने दिव्य शास्त्रसम्मत तत्वज्ञान से संपूर्ण विश्व में आध्यात्मिक क्रांति ला रहे हैं। साथ ही, संत रामपाल जी महाराज समाज सुधार के अनेक कार्यों में भी संलग्न हैं। समाज में व्यापक बुराइयां जैसे भ्रष्टाचार, दहेज प्रथा, नशा, भ्रूण हत्या इत्यादि को संत रामपाल जी महाराज जड़ से खत्म करके मानव समाज में शांति और भाईचारे की स्थापना कर रहे हैं।
भूख और गरीबी को खत्म करने का संत रामपाल जी महाराज का मिशन (अन्नपूर्ण मुहिम) एक बड़ी सफलता साबित हो रहा है, जिसमें गरीब परिवारों को निःशुल्क रोटी, कपड़ा, शिक्षा और मकान प्रदान किया जा रहा है, जिससे कोई भी गरीब भूखा न सोए और सुखी एवं सम्मानित जीवन व्यतीत कर सके।
प्राकृतिक आपदाओं और संकट की स्थिति जैसे कोरोना वायरस महामारी, बाढ़ और सूखे जैसी स्थिति में संत रामपाल जी महाराज पीड़ित व्यक्तियों को हर सम्भव मदद पहुंचाते है। फिर चाहे वह निःशुल्क मेडिकल सुविधा पहुंचाना हो या फिर भोजन और अन्य राहत सामग्री प्राप्त करवाना हो। संत रामपाल जी महाराज जी का मानवतावादी दृष्टिकोण, वाकई सराहनीय है।
भाई बाले वाली जन्म साखी में दिए गए प्रमाण से यह स्पष्ट होता है कि संत रामपाल जी महाराज जी ही वह अवतार हैं, जो परमेश्वर कबीर साहिब जी और संत श्री नानक देव जी के पश्चात, पंजाब की पावन धरती पर अवतरित हुए।
भाई बाले वाली जन्म साखी में लिखित प्रसंग में भक्त प्रह्लाद द्वारा आदरणीय संत रामपाल जी महाराज का उल्लेख किया गया है।
महत्वपूर्ण:
● इस संदर्भ में, "जन्म साखी भाई बाले वाली" का हिंदी संस्करण भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह एंड कंपनी बुक्स, बाजार माई सेवा, अमृतसर (पंजाब) द्वारा प्रकाशित है।
● पंजाबी संस्करण भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह बुक्स, गली-8, बाग रामानंद, अमृतसर (पंजाब) द्वारा प्रकाशित है।
संदर्भ: सच्चिदानंद घन ब्रह्म की वाणी
फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकम, विक्रमी संवत 2053, 9 मार्च 1997 (रविवार) को पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी, अपने अविनाशी सतलोक से आकर, संत रामपाल जी महाराज जी को मातन हेल के निकट एक पुलिये के पास आकर मिले। इस पुलिया को संत रामपाल जी महाराज जी ने खुद उस समय बनाया था, जब संत रामपाल जी महाराज हरियाणा सरकार के सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर थे। यह वही पुलिया थी, जहां पर संत रामपाल जी महाराज नौकरी के दौरान घंटों बैठे रहते थे और कबीर परमेश्वर जी के ध्यान में मग्न हो जाते थे।
जिस समय संत रामपाल जी महाराज जी को कबीर परमेश्वर मिले, उस समय तक उन्होंने जूनियर इंजीनियर की अपनी नौकरी से इस्तीफा दे दिया था और अपने पूज्य गुरुदेव स्वामी रामदेवानंद जी महाराज के निर्देशानुसार वह सतगुरु की भूमिका निभा रहे थे। वे परमात्मा कबीर जी के सच्चे आध्यात्मिक ज्ञान का प्रचार कर रहे थे और 'अमर ग्रंथ साहिब' का पाठ करते थे, जोकि आदरणीय संत गरीब दास जी महाराज, गांव छुडानी, जिला झज्जर, हरियाणा, की पवित्र वाणियों का संग्रह है। कबीर परमेश्वर, संत गरीब दास जी को लगभग 250 वर्ष पूर्व विक्रमी संवत 1774 में जिंदा बाबा के रूप में मिले, उस समय गरीबदास जी मात्र दस वर्ष के बालक थे।
नोट: यह वही अकाल पुरुष कबीर साहेब जी है जो श्री नानक देव जी को विक्रमी संवत 1554 में जिंदा बाबा के रूप में मिले। यही वह अकाल पुरुष है जो श्री नानक देव जी के गुरु थे, ओर इन्होंने ही श्री नानक देव जी को मोक्ष प्रदान किया था। संत रामपाल जी महाराज आदरणीय गरीबदास जी के 12वे पंथ से है।
परमात्मा कबीर जी ने संत रामपाल जी से कहा कि वह निर्धारित समय आ गया है (जब कलयुग के 5505 वर्ष पूर्ण हो चुके हैं), जो मैने अपने भक्त धर्मदास को बताया था। अब मैं (परमेश्वर कबीर) सभी परमात्मा-प्रेमी आत्माओं को वास्तविक मोक्ष मंत्र 'सारनाम' और 'सारशब्द' प्रदान करूंगा ताकि संपूर्ण विश्व के लोग मोक्ष प्राप्त कर सकें।
पहले तो संत रामपाल जी ने परमात्मा कबीर जी को नहीं पहचाना, लेकिन जब परमेश्वर कबीर जी ने उन्हें अपना ‘जिंदा बाबा’ वाला स्वरूप दिखाया, तब संत रामपाल जी ने अकाल पुरुष / सत पुरुष को पहचान लिया, क्योंकि उन्हें पता था कि परमेश्वर कबीर जी संत गरीब दास जी महाराज, आदरणीय श्री नानक देव जी आदि महापुरुषों को भी जिंदा बाबा वाले रूप में दर्शन दे चुके हैं।
इस रहस्योद्घाटन के बाद परमात्मा ने कहा: "पुत्र रामपाल! तू मेरी परम हँस आत्मा है, जिसे मैंने एक विशेष कार्य के लिए भेजा है। अब मैं तेरे रूप में स्वयं संसार में कार्य करूंगा और अपने बच्चों को तत्वज्ञान से अवगत कराऊंगा। मैं उन्हें काल के भयंकर जाल से मुक्त कराऊंगा और अपने वास्तविक धाम 'सतलोक' ले जाऊंगा।"
यह कहकर परमात्मा कबीर जी ने संत रामपाल जी को अपनी दिव्य शक्ति से सशरीर सतलोक भेज दिया। तत्पश्चात कबीर परमात्मा जी ने स्वयं संत रामपाल जी का रूप धारण कर लिया।
यहां कबीर परमात्मा जी ने कहा
गैबी ख्याल बिसाल सतगुरू, अचल दिगम्बर थीर हैं।
भक्ति हेत आन काया धर आये, अबिगत सतकबीर हैं।।
सूक्ष्म वेद में लिखी यह वाणी प्रमाणित करती है कि संत रामपाल जी महाराज जी को मोक्ष प्राप्त हो गया है और संत रामपाल जी महाराज उस अमरलोक, सतलोक में सुखी जीवन का आनंद ले रहे हैं।
स्वामी रामदेवानन्द दाता, आपकी घणी सतावैं वैं बाता।
तेरा रामपाल अज्ञान - हो अज्ञान, किया सतलोक का वासी।।
कबीर साहेब जी की यह वाणी (शब्द) भी यही प्रमाणित करती है
सतलोक में चल मेरी सुरतां, मत न लावै देरी। साच कहूँ न झूठ रति भर, तू बात मान ले मेरी।।टेक।।
सतलोक में जा कै हे सुरतां संकट कट जां सारे, अलख लोक और अगम लोक के दिखैं सभी नजारे।
लोक अनामी जावैगी वहां कोन्या मिलैं चैबारे, आत्मा और परमात्मा वहां भी रहते न्यारे-न्यारे।।
रामपाल प्रीतम प्यारे की आत्मा, अब पूर्ण आनन्द लेरी।।4।।
उस दिन से परमेश्वर कबीर जी ने सत्संग करना प्रारंभ किया और उनका सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान आग की तरह फैलने लगा। पुण्यात्माओं ने सुखदायक परमात्मा कबीर जी को पहचानना शुरू किया और अपने निज धाम सतलोक/सच्चखंड के बारे में जानने लगे।
यहां ध्यान देने वाली बात यह है, कि पाठक संत रामपाल जी महाराज जी को आम जन साधारण की दृष्टि से न देखें। संत रामपाल जी महाराज स्वयं सत्पुरुष / अकाल पुरुष हैं, जो संपूर्ण मानव समाज के कल्याण के लिए पृथ्वी पर अवतरित हुए है। वह अपने परम प्रिय आत्मा संत रामपाल जी के आवरण में यह दिव्य लीला कर रहे हैं। बहुत शीघ्र ही पूरा संसार उन्हें सर्वशक्तिमान, सर्वव्यापी परमेश्वर के रूप में देखेगा। वे ही संसार के उद्धारकर्ता हैं।
भक्त प्रह्लाद का उल्लेख भाई बाले वाली जन्म साखी में किया गया है, और इस विषय में आगे विस्तार से वर्णन किया गया है।
भक्त प्रह्लाद सत्ययुग में जन्मी पुण्यात्मा थे, जो अपने पिछले मानव जन्मों में परमेश्वर कबीर की शरण में थे और इसलिए उन्हें भगवान को प्राप्त करने की कसक थी। वे एक राक्षस कुल में जन्मे थे, जहाँ उनके पिता हिरण्यकश्यपु ने, जो कि भगवान ब्रह्मा से वरदान पाने के बाद अहंकारी हो गए थे और स्वयं को भगवान घोषित कर दिया था, उसने प्रह्लाद से दुर्व्यवहार किया। भक्त प्रह्लाद भगवान विष्णु के भक्त थे। हिरण्यकश्यपु भगवान विष्णु से घृणा करता था और प्रह्लाद को श्री विष्णु की पूजा करने से रोकता था।
परमेश्वर कबीर जी ने अपनी प्रिय आत्मा प्रह्लाद की कई बार रक्षा की और अंततः मानव-सिंह रूप में अवतरित होकर, अर्थात भगवान नरसिंह के रूप में प्रह्लाद को बचाया।
पवित्र ग्रंथ भाई बाले वाली जन्म साखी में चल रहे विवरण में एक प्रसंग का उल्लेख आता है जो भक्त प्रह्लाद के लोक में घटित हुआ, जब श्री गुरु नानक जी ने उनके लोक की यात्रा की। यह प्रसंग स्पष्ट रूप से आदरणीय संत रामपाल जी महाराज के दिव्य अवतार की ओर संकेत करता है, जो पूर्ण अध्यात्मिक ज्ञान सम्पूर्ण रूप से प्रचारित करेंगे।
पवित्र ग्रंथ भाई बाले वाली जन्म साखी में पृष्ठ संख्या 272 में उल्लेख किया गया है:-
एक बार सतगुरू नानक देव जी भाई बाला और मर्दाना को साथ लेकर भक्त प्रहलाद के लोक में गए, जो कि पृथ्वी से लाखों मील दूर अंतरिक्ष में स्थित है। प्रहलाद जी ने कहा हे नानक जी! परमात्मा ने आपको दिव्य दृष्टि दी है और कलयुग में अपना परम भक्त बनाया है। कलयुग में आपका बहुत प्रताप होगा। यहां पर (प्रहलाद के लोक में) पहले कबीर जी आए थे और आज आप (श्री नानक देव) आए हो। एक और महापुरुष आयेगा, जो आप दोनों जितना ही शक्तियुक्त होगा।
आप तीनों के अलावा कोई भी मेरे इस लोक में नहीं आ सकता। अनेकों भक्त हुए है और भविष्य में और भी होंगे पर मेरे इस लोक में वही आ सकेगा जो आप दोनों जितना महान होगा, और कोई नहीं। अतः इन तीनों के अलावा यहां पर कोई भी नहीं आ सकता।
मरदाना ने पूछा, हे प्रहलाद जी ! कबीर जी धाणक थे, नानक जी खत्री है, जो तीसरा महापुरुष होगा, वो किस जाति से और किस भूमि से होगा?
भक्त प्रहलाद ने कहा, भाई सुनो, नानक जी के सतलोक जाने के सैकड़ों वर्षों के बाद, वह महापुरुष जाट जाती में पंजाब की धरती पर जन्म लेगा और उस महापुरुष का प्रचार क्षेत्र बरवाला होगा।
स्पष्टीकरण: संत रामपाल जी महाराज जी ही वह अवतार है जो अन्य प्रमाणों के साथ - साथ जन्म साखी में वर्णित प्रमाणों पर भी खरे उतरते है। जन्म साखी में “सौ वर्ष के पश्चात” लिखा है। यहां पर सैकड़ों वर्षों के पश्चात कहा गया था जिसे पंजाबी भाषा में सौ वर्ष पश्चात ही लिख दिया गया। क्योंकि मर्दाना ने यह पूछा था कि किस युग में वह महापुरुष आयेगा?
फिर भक्त प्रह्लाद ने उत्तर दिया कि श्री नानक जी के सतलोक जाने के सैकड़ों वर्ष बाद, कलियुग में एक संत जाट जाति में जन्म लेंगे। इसी कारण यहाँ "सैकड़ों वर्ष" कहना उचित है, न कि "सौ वर्ष", और प्रचार क्षेत्र के रूप में बरवाला की जगह बटाला का उल्लेख किया गया है।
इसके पीछे दो कारण हो सकते है,
“बरवाला शहर” जिला हिसार, हरियाणा में मशहूर नहीं था (पूर्व के पंजाब राज्य में) और बटाला शहर एक प्रसिद्ध शहर था। इसके अतिरिक्त हो सकता है कि "बरवाला" की जगह भूलवश "बटाला" छप गया हो।
महत्वपूर्ण: अन्य विचारणीय पहलू यह है कि पंजाब के बटाला शहर में कोई भी जाट संत, इन दोनों महापुरुषों (पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब जी और श्री नानक देव जी) जितना गरिमावान और तत्वज्ञानी नहीं हुआ है। इसी आधार पर और जन्म साखी के आधार पर यह सिद्ध होता है कि संत रामपाल जी महाराज जी ही वह महापुरुष है जिनका ज्ञान इन दोनों महापुरुषों (पूर्ण परमेश्वर कबीर जी और श्री नानक देव जी) से मेल खाता है।
नोट: आपको भाई बाले वाली जन्म साखी की दोनों फोटोकॉपी देखने को मिलेंगी, एक पंजाबी भाषा में और दूसरी हिंदी में, जो कि उसी पंजाबी संस्करण से अनुवादित है। हिंदी अनुवाद में कुछ सामग्री सही ढंग से नहीं लिखी गई है। जैसे कि पंजाबी भाषा में लिखा है, "जो इन जैसा कोई होगा, वह यहाँ तक पहुँचेगा, अन्य किसी का यहां तक पहुँचने का कोई काम नहीं", परंतु यह विवरण हिंदी जन्म साखी में नहीं है, जबकि यह बहुत महत्वपूर्ण है।
इससे सिद्ध होता है कि अनुवाद करते समय कुछ प्रकरण बदल जाता है। परंतु फिर भी, इस पुस्तक में संत रामपाल दास जी के बारे में अन्य महापुरुषों द्वारा प्रस्तुत अनेक प्रमाण भी इसी बात को प्रमाणित करते है।
यहाँ विशेष उल्लेखनीय बात यह है कि यदि कोई यह तर्क करे कि जनम साखी में दी गई व्याख्या गाँव छुडानी के संत गरीबदास जी के लिए है क्योंकि संत गरीबदास जी भी जाट जाति के थे और छुडानी गाँव भी पहले पंजाब प्रांत के अंतर्गत आता था। लेकिन यह उचित नहीं लगता क्योंकि संत गरीबदास जी ने अपनी अमृतवाणी ‘असुर निकंदन रमैनी’ में कहा है –
“सतगुरू दिल्ली मंडल आयसी। सूती धरती सूम जगायसी।।111”
अर्थ: संत गरीबदास जी के सतगुरु परमेश्वर कबीर साहेब जी थे।
पुराना रोहतक ज़िला (सोनीपत, रोहतक और झज्जर एक ज़िला ‘रोहतक’ हुआ करते थे) दिल्ली मंडल में आता था। यह किसी राजा के अधीन नहीं था। अंग्रेज़ी हुकूमत के समय भी यह दिल्ली के अधीन था। संत गरीबदास जी ने स्पष्ट किया कि सतगुरु (परमेश्वर कबीर जी) दिल्ली मंडल में आएंगे, भक्ति-विहीन लोगों को जगाने और उन्हें सच्ची भक्ति में लगाने के लिए।
ध्यान दें: काल के दूतों ने तत्वज्ञान के अभाव में कबीर सागर में मिलावट कर दी और अपनी कल्पना से झूठे प्रमाण डाल दिए। इसका खंडन करने के लिए, परमेश्वर कबीर जी ने अपने अवतार संत गरीबदास जी महाराज के माध्यम से सच्चा ज्ञान लिखवाया, जो संत गरीबदास जी की अमृतवाणी के रूप में उपलब्ध है।
यह बात कबीर पंथी श्री युगलानंद बिहारी जी, संपादक ‘कबीर सागर’ की टिप्पणी से भी प्रमाणित होती है, जो उन्होंने ‘अनुराग सागर’ और ‘ज्ञान सागर’ की प्रस्तावना में कही है। उन्होंने कहा कि कबीर पंथियों ने कबीर पंथ के ग्रंथों में परिवर्तन और छेड़छाड़ की है, तथा अपनी मनमर्ज़ी से मत डाल दिए हैं। उन्होंने कहा है – “मेरे पास अनुराग सागर और ज्ञान सागर की कई प्रतियां हैं, जिनमें से कोई भी एक-दूसरे से मेल नहीं खाती।”
संत रामपाल जी महाराज का जन्म 8 सितंबर 1951 को श्री नंद राम जाट के घर, गाँव धनाणा, ज़िला सोनीपत (तत्कालीन ज़िला रोहतक) में हुआ। उस समय वर्तमान हरियाणा और पंजाब दोनों एक ‘पंजाब’ प्रांत थे। परमेश्वर कबीर जी ने यह भी कहा है कि “जब कलियुग के 5505 वर्ष बीत जाएंगे, तब मैं स्वयं गरीबदास जी के बारहवें पंथ में आऊँगा। मेरी (परमेश्वर कबीर की) महिमा के वचन संत गरीबदास जी की वाणी के माध्यम से प्रकट होंगे, और गरीबदास जी के बारहवें पंथ तक के अनुयायी इन वचनों को आधार मानकर मुझे समझने का प्रयास करेंगे, लेकिन वचनों को न समझ पाने और सतनाम व सारनाम से वंचित होने के कारण, असंख्य जन्मों तक सतलोक प्राप्त नहीं कर पाएंगे।”
परमेश्वर कबीर जी ने वचन दिया –
“मैं उस बारहवें पंथ (गरीबदास जी का पंथ) में स्वयं आऊँगा। तब मैं (परमेश्वर कबीर जी) संत गरीबदास जी द्वारा कही गई वाणी को प्रकट करूँगा।”
इससे सिद्ध होता है कि जनम साखी में वर्णित जाट संत निस्संदेह संत रामपाल दास जी महाराज हैं।
फिर भी, हम संत गरीबदास जी का विशेष सम्मान करते हैं, विशेषकर इसलिए क्योंकि उन्होंने परमेश्वर कबीर के ज्ञान को कलमबद्ध किया।
यदि कोई यह कहे कि यह किसी दस सिख गुरु साहिबान के लिए है, तो स्मरण रहे कि दसों सिख गुरु साहिबान में से कोई भी जाट जाति के नहीं थे। दूसरे गुरु श्री अंगद देव जी खत्री थे। तीसरे गुरु श्री अमर दास जी खत्री थे। चौथे गुरु श्री रामदास जी खत्री थे, और पाँचवें गुरु श्री अर्जुन देव जी से लेकर दसवें गुरु श्री गोविंद सिंह जी तक सभी गुरु श्री रामदास जी के वंशज थे, अर्थात खत्री थे। फिर भी हम सभी सिख गुरु साहिबानों का विशेष सम्मान करते हैं।
संत रामपाल दास जी महाराज कहते हैं:
“जीव हमारी जाति है, मानव धर्म हमारा।
हिंदू, मुस्लिम, सिक्ख, ईसाई, धर्म नहीं कोई न्यारा।।”
परमेश्वर कबीर जी ने कहा:
“जाति न पूछो संत की, पूछ लीजिए ज्ञान।
मोल करो तलवार का, पड़ी रहने दो म्यान॥”
कृपया प्रमाण के लिए जनम साखी की फोटोकॉपी देखें — पंजाबी गुरमुखी (पंजाबी भाषा) में, इन ग्रंथों को पढ़ने पर सत्य स्पष्ट हो जाता है। जनम साखियों के प्रकाशक भाई जवाहर सिंह कृपाल सिंह, अमृतसर (पंजाब) हैं।
प्रश्न: एक संस्कृत विद्वान ने कहा कि आपके गुरु संत रामपाल दास जी महाराज ने संस्कृत का अध्ययन नहीं किया। आप कहते हैं कि उन्होंने श्रीमद्भगवद गीता का सही अनुवाद किया है और भक्तों को बताते हैं। यह कैसे संभव है?
उत्तर: संत रामपाल दास जी महाराज के एक भक्त ने कहा – “शास्त्री जी! केवल वही व्यक्ति ईश्वर का अवतार कहलाता है, जो बिना भाषा जाने भी सही अनुवाद कर सके, क्योंकि ईश्वर सर्वज्ञ है। उनके द्वारा भेजा गया अवतार भी उन्हीं गुणों से संपन्न होता है। वह अवतार संत रामपाल दास जी महाराज हैं। आप तो केवल वेदों और गीता के अनुवाद से ही चकित हैं, जबकि संत रामपाल दास जी महाराज ने बाइबिल और कुरान का भी सच्चा भाव स्पष्ट किया है, जिसे आज तक ईसाई धर्म के फादर-पादरी और मुस्लिम धर्म के मौलाना-काज़ी भी नहीं समझ पाए।”
भक्त प्रहलाद की वह भविष्यवाणी, जो भाई बाले वाली जनम साखी में एक महान संत/अवतार के बारे में है, वह जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज के लिए है। हे परमात्मा-प्रेमियों! जागो — उद्धारक आ चुके हैं। इस युगपुरुष की शरण में जाओ और अपना कल्याण कराओ।
परमेश्वर कबीर जी (वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज के रूप में) ही मुक्तिदाता हैं। वे अपने सच्चे भक्ति-बल से सभी आत्माओं को सतलोक, उस शाश्वत लोक में ले जाएंगे। उनके वचनों को समझे—
“अमर करूँ सतलोक पठाऊँ, ताते बंदीछोड़ कहाऊँ॥”