गुरु नानक देव जी के गुरु - जन्म साखी - भाई बाले वाली


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श्री नानक जी के गुरु जी कौन हैं ? इस विषय पर अभी तक भ्रान्तियाँ थी। सिख समाज का मानना है कि श्री नानक देव जी का कोई गुरु नहीं था। सिख समाज का यह भी मानना है कि भाई बाले ने जो कुछ भी जन्म साखी बाबा नानक की में लिखा है। वह बाबा नानक जी के वचन हैं या अन्य किसी सिद्ध या संत से की गई गोष्ठी यथार्थ को रूप में लिखा है।

आओ ‘‘भाई बाले वाली जन्म साखी’’ से जाने की श्री नानक देव जी का गुरु जी कौन था ?

भाई बाले वाली जन्म साखी (हिन्दी भाषा वाली) के पष्ठ 280-281 ‘‘साखी और चली’’ में श्री नानक जी ने कहा है कि ‘‘मर्दाना ! मुझे उस ईश्वर ने इतना बड़ा गुरु मिलाया है जो करतार का ही रूप है। मर्दाने ने कहा हे महाराज ! जिस गुरु का आपने जिक्र किया है, उसका नाम जानना चाहता हूँ। गुरु नानक जी ने कहा उसका नाम बाबा जिंदा कहते हैं। जल, पवन, अग्नि तथा पथ्वी उसी की आज्ञा में चल रहे हैं। उसी को बाबा (दादा) कहना उचित है, अन्य को नहीं। मर्दाने ने पूछा कि हे महाराज हम आपके साथ ही रहते हैं आपको वह बाबा अर्थात् आपका गुरु कब तथा कहाँ मिला था। श्री नानक जी ने कहा कि ‘‘मर्दाना ! सुलतान पुर में (बेई नदी में) जब डुबकी लगाई थी। उस समय तीन दिन उसी के साथ रहे थे। उसका रंग लाल है। उसके रोम स्वर्ण वर्ण के हैं। 

साखी और चली

फिर मरदाने ने पूछा जी जो आप को गुरु मिला था उनका नाम क्या है? तब गुरु नानक जी ने कहा मरदाना उनका नाम बाबा जिंदा है। जहां तक जल और पवन है, उसके हुकुम में चलते हैं। और अग्नि और मिट्टी भी उसके हुकुम में हैं। जिसको बाबा जिंदा मिलेगा उसको बाबा बोलना चाहिए, और किसी को बाबा नहीं कहना चाहिए। तब मरदाने ने कहा गुरुजी हम तो आपके साथ ही फिरते हैं, फिर आपको वो कब मिला है। तब गुरु नानक जी ने कहा मरदाना जब हम उनसे मिलने गए थे उस वक्त तुम हमे नहीं मिले थे। तब गुरु जी ने कहा जब हमने सुल्तानपुर में डुबकी लगाई थी तब मरदाना हम तीन दिन उसके पास रहे थे। मरदाना वो ऐसा गुरु है जिसकी सता सम्पूर्ण जगत को सहारा दे रही है और मरदाना जिंदा उसको कहते हैं जो काल के वश ना हो बल्कि काल उसके वश होता है। तब मरदाने ने कहा जी उसका रंग क्या है और उसका आसन कहाँ है। तब गुरु जी ने कहा उसका रंग लाल है पर उस लाली से कोई भी लाली मिलती नहीं है और उसके रोम स्वर्ण के रंग के हैं पर उसके साथ सोना भी मेल नहीं खाता। और जुबान से बोलता भी नहीं और रोम रोम में येही शबाद हो रहा है गहर गंभीर गहर गंभीर तब मरदाने ने कहा धन्य हो गुरु जी आपके बिना ये हमारी शंका कौन करे तब मरदाने ने कहा गुरु जी अब सुमेर ऊपर चलो तब गुरु जी .....

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