गुरु नानक देव जी और कबीर साहिब की वार्ता - कबीर सागर


God Kabir & Guru Nanak Conversation in the Kabir Sagar

“पवित्र कबीर सागर में प्रमाण”

विशेष विचार:- पूरे गुरु ग्रन्थ साहेब में कहीं प्रमाण नहीं है कि श्री नानक जी, परमेश्वर कबीर जी के गुरु जी थे। जैसे गुरु ग्रन्थ साहेब आदरणीय तथा प्रमाणित है, ऐसे ही पवित्र कबीर सागर भी आदरणीय तथा प्रमाणित सद्ग्रन्थ है तथा श्री गुरुग्रन्थ साहेब से पहले का है। इसीलिए तो लगभग चार हजार वाणी ‘कबीर सागर‘ सद्ग्रन्थ से गुरु ग्रन्थ साहिब में ली गई हैं। पवित्र कबीर सागर में विस्तृत विवरण है नानक जी तथा परमेश्वर कबीर साहेब जी की वार्ता का तथा श्री नानक जी के पूज्य गुरुदेव कबीर परमेश्वर जी थे। कृप्या निम्न पढ़ें।

विशेष प्रमाण के लिए कबीर सागर (स्वसमबेदबोध) पृष्ठ न. 158 से 159 से सहाभार:-

नानकशाह कीन्हा तप भारी। सब विधि भये ज्ञान अधिकारी।।
भक्ति भाव ताको समिझाया। तापर सतगुरु कीनो दाया।।
जिंदा रूप धरयो तब भाई। हम पंजाब देश चलि आई।।
अनहद बानी कियौ पुकारा। सुनिकै नानक दरश निहारा।।
सुनिके अमर लोककी बानी। जानि परा निज समरथ ज्ञानी।।

नानक वचन

आवा पुरूष महागुरु ज्ञानी। अमरलोकी सुनी न बानी।।
अर्ज सुनो प्रभु जिंदा स्वामी। कहँ अमरलोक रहा निजधामी।।
काहु न कही अमर निजबानी। धन्य कबीर परमगुरु ज्ञानी।।
कोई न पावै तुमरो भेदा। खोज थके ब्रह्मा चहुँ वेदा।।

जिन्दा वचन

नानक तव बहुतै तप कीना। निरंकार बहुते दिन चीन्हा।।
निरंकारते पुरूष निनारा। अजर द्वीप ताकी टकसारा।।
पुरूष बिछोह भयौ तव जबते। काल कठिन मग रोंक्यौ तबते।।
इत तव सरिस भक्त नहिं होई। क्यों कि परमपुरूष न भेटेंउ कोई।।
जबते हमते बिछुरे भाई। साठि हजार जन्म भक्त तुम पाई।।
धरि धरि जन्म भक्ति भलकीना। फिर काल चक्र निरंजन दीना।।
गहु मम शब्द तो उतरो पारा। बिन सत शब्द लहै यम द्वारा।।
तुम बड़ भक्त भवसागर आवा। और जीवकी कौन चलावा।।
निरंकार सब सृष्टि भुलावा। तुम करि भक्तिलौटि क्यों आवा।।

नानक वचन

धन्य पुरूष तुम यह पद भाखी। यह पद हमसे गुप्त कह राखी।।
जबलों हम तुमको नहिं पावा। अगम अपार भर्म फैलावा।।
कहो गोसाँई हमते ज्ञाना। परमपुरूष हम तुमको जाना।।
धनि जिंदा प्रभु पुरूष पुराना। बिरले जन तुमको पहिचाना।।

जिन्दा वचन

भये दयाल पुरूष गुरु ज्ञानी। दियो पान परवाना बानी।।
भली भई तुम हमको पावा। सकलो पंथ काल को ध्यावा।।
तुम इतने अब भये निनारा। फेरि जन्म ना होय तुम्हारा।।
भली सुरति तुम हमको चीन्हा। अमर मंत्र हम तुमको दीन्हा।।
स्वसमवेद हम कहि निज बानी। परमपुरूष गति तुम्हैं बखानी।।

नानक वचन

धन्य पुरूष ज्ञानी करतारा। जीवकाज प्रकटे संसारा।।
धनि करता तुम बंदी छोरा। ज्ञान तुम्हार महाबल जोरा।।
दिया नाम दान किया उबारा। नानक अमरलोक पग धारा।।

भावार्थ:- परम पूज्य कबीर प्रभु एक जिन्दा महात्मा का रूप बना कर श्री नानक जी से (पश्चिमी पाकिस्त्तान उस समय पंजाब प्रदेश हिन्दूस्त्तान का ही अंश था) मिलने पंजाब में गए तब श्री नानक साहेब जी से वार्ता हुई। तब परमेश्वर कबीर जी ने कहा कि आप जैसी पुण्यात्मा जन्म-मृत्यु का कष्ट भोग रहे हो फिर आम जीव का कहाँ ठिकाना है? जिस निरंकार को आप प्रभु मान कर पूज रहे हो पूर्ण परमात्मा तो इससे भी भिन्न है। वह मैं ही हूँ। जब से आप मेरे से बिछुड़े हो साठ हजार जन्म तो अच्छे-2 उच्च पद भी प्राप्त कर चुके हो जैसे सतयुग में यही पवित्र आत्मा राजा अम्ब्रीष तथा त्रोतायुग में राजा जनक(जो सीता जी के पिता जी थे) हुए तथा कलियुग में श्री नानक साहेब जी हुए। फिर भी जन्म मृत्यु के चक्र में ही हो। मैं आपको सतशब्द अर्थात् सच्चा नाम जाप मंत्र बताऊंगा उससे आप अमर हो जाओगे। श्री नानक साहेब जी ने प्रभु कबीर से कहा कि आप बन्दी छोड़ भगवान हो, आपको कोई बिरला सौभाग्यशाली व्यक्ति ही पहचान सकता है।


 

FAQs : "गुरु नानक देव जी और कबीर साहिब की वार्ता - कबीर सागर"

Q.1 क्या कबीर जी और श्री गुरु नानक देव जी दोनों एक ही थे?

नहीं, कबीर साहेब जी और श्री गुरु नानक देव जी एक नहीं थे। कबीर साहेब जी स्वयं पूर्ण ब्रह्म परमात्मा हैं जबकि श्री गुरु नानक देव जी कबीर साहेब जी के शिष्य थे। कबीर साहेब जी ही श्री गुरु नानक देव जी को सतलोक लेकर गए थे और उन्हें मोक्ष मंत्र भी दिए थे।

Q.2 क्या कबीर साहेब जी श्री गुरु नानक देव जी से मिले थे?

हां जी, कबीर साहेब अपने संविधान के अनुसार पृथ्वी लोक पर आए थे। इसी लीला के दौरान वह अपनी पवित्र आत्मा श्री गुरु नानक देव जी से मिले थे और उन्हें सतलोक यानि कि सच्चखंड लेकर गए थे। सतलोक में श्री गुरु नानक देव जी तीन दिनों तक रहे थे। फिर सतलोक की आंखोदेखी महिमा का वर्णन श्री नानक जी ने अपनी बाणी में लिखा है। इस तरह कबीर साहेब जी ने श्री नानक जी को अपना गवाह भी बनाया।

Q. 3 क्या कबीर साहेब मूर्ति पूजा के विरोधी थे?

हमारे पवित्र ग्रंथों में कहीं भी मूर्ति पूजा का का वर्णन नहीं है इसलिए कबीर साहेब ऐसी हर पूजा के विरोधी थे, जो हमारे पवित्र ग्रंथों के खिलाफ थी।

Q.4 क्या कबीर साहेब जी अछूत थे?

नहीं, कबीर साहेब जी अछूत नहीं बल्कि पूर्ण परमात्मा थे, हैं और रहेंगे लेकिन एक साधारण इंसान की भूमिका निभाते हुए वह जुलाहे के रुप में इस पृथ्वी लोक में 120 वर्ष रहे और हिंदू मुस्लमानों को भाईचारे का पाठ पढ़ाया।

Q.5 श्री गुरु नानक जी ने ईश्वर का बताया क्या संदेश जनमानस को दिया?

श्री गुरु नानक देव जी ने कबीर परमेश्वर से प्राप्त तत्वज्ञान का संदेश श्री गुरूग्रंथ साहिब में लिपिबद्ध किया। यह कबीर साहेब जी की दी हुई शिक्षाओं का ही असर था कि श्री नानक जी मानवता के धर्म से ऊपर किसी भी धर्म को नहीं मानते थे।

Q.6 श्री गुरु नानक देव जी को परमेश्वर कबीर जी ने क्या शिक्षा दी थी?

कबीर साहेब जी ने अपनी प्यारी आत्मा श्री गुरु नानक देव जी को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान प्रदान किया था। जिस ज्ञान को प्राप्त कर श्री नानक देव जी को यह ज्ञान हुआ कि मानव जीवन का मुख्य उद्देश्य केवल मोक्ष की प्राप्ति करना है इसलिए उन्होंने इस संसार के झूठे आडंबरों से मन हटाकर सही साधना में लगाया।

Q.7 श्री गुरु नानक देव जी ने अपने उपदेश में क्या बताया था?

श्री नानक देव जी ने अपनी बाणी के द्वारा भगवान कबीर जी के दिए हुए तत्वज्ञान का प्रचार किया था। लेकिन हम उनकी बाणी के गूढ़ रहस्यों को बिना तत्वदर्शी संत के समझाए नहीं समझ सकते। वर्तमान में वह तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज जी हैं जिनसे आप तत्वज्ञान और उसके गूढ़ रहस्य समझ सकते हैं।

Q.8 कबीर साहेब जी के शिष्यों को क्या कहा जाता है?

कबीर साहेब जी के शिष्यों को कबीर पंथी कहा जाता है। लेकिन ज्यादातर कबीर पंथियों ने अपना उद्देश्य ईश्वर प्राप्ति के स्थान पर केवल भोले भक्तों से पैसा इकट्ठा करना ही बना लिया है। कबीर साहेब जी द्वारा दिया गया वास्तविक ज्ञान और मोक्ष मंत्र केवल संत रामपाल जी महाराज ही बता रहे हैं।

Q.9 कबीर साहेब किसकी पूजा करते थे?

कबीर साहेब जी स्वयं पूर्ण परमात्मा थे, उन्हें किसी की पूजा करने की जरूरत नहीं थी। फिर भी हमें भक्ति मार्ग का सही तरीका बताने के लिए उन्होंने एक साधारण मनुष्य जैसा जीवन जीकर दिखाया और सतभक्ति का मार्ग दिखलाया।

Q.10 श्री गुरु नानक देव जी किससे प्रभावित थे?

श्री गुरु नानक देव जी कबीर साहेब जी से प्रभावित थे क्योंकि कबीर साहेब जी ने ही उन्हें सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष मंत्र प्रदान किए थे।


 

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Bhavya Jain

क्या श्री गुरु नानक देव जी का मोक्ष हुआ था?

Satlok Ashram

जी, श्री गुरु नानक देव जी एक पवित्र आत्मा थे। उनसे सर्वशक्तिमान कबीर परमेश्वर खुद सतलोक से आकर मिले थे । कबीर साहेब ने श्री नानक जी को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्रदान किया था। दोनों के बीच हुई बातचीत का वर्णन सूक्ष्मवेद यानि कबीर सागर के अध्याय स्वसंबेद बोध और बोध सागर पृष्ठ संख्या 158-159 पर लिपिबद्ध है।

Gautam Roy

कबीर साहेब और श्री गुरु नानक देव जी में क्या संबंध है?

Satlok Ashram

संपूर्ण ब्रह्मांडों के रचयिता सर्वशक्तिमान कबीर परमेश्वर जी हैं जो श्री गुरु नानक देव जी के गुरु भी थे। कबीर साहेब ने ही श्री नानक जी को सच्चा ज्ञान देकर सही भक्ति मार्ग बताया था। कबीर साहेब जी की बताई साधना करके ही श्री नानक जी को मोक्ष की प्राप्ति हुई थी। पवित्र कबीर सागर के अध्याय स्वसंबेद बोध, बोध सागर में पृष्ठ संख्या 158-159 पर इसका प्रमाण है।

Vijay Chauhan

श्री गुरु नानक देव जी ने कबीर साहेब जी के बारे में अपनी बाणी में क्या लिखा था?

Satlok Ashram

श्री गुरु नानक देव जी ने परमेश्वर कबीर जी की कलमतोड़ महिमा अपनी बाणी में लिखी है। कबीर जी ने ही श्री नानक जी को सच्चा आध्यात्मिक ज्ञान और मोक्ष प्रदान किया था। इसके अलावा कबीर साहेब ही श्री नानक जी के गुरु थे। श्री गुरु ग्रंथ साहिब में भी यह प्रमाण है।