संत और परमात्मा का अद्भुत मिलन का रहस्य हुआ उजागर | 3D Animation Video

संत और परमात्मा का अद्भुत मिलन का रहस्य हुआ उजागर | 3D Animation Video

हजारों वर्षों से, मानवता ने आशा की एक किरण को थामे रखा है। भविष्यवक्ताओं, संतों और मनीषियों ने अलग-अलग संस्कृतियों और युगों में एक महान आत्मा, एक महापुरुष के आगमन की भविष्यवाणी की है, जो दुनिया को अंधकार से निकालकर एक स्वर्ण युग में ले जाएगा। यह एक ऐसी फुसफुसाहट है जो समय के गलियारों में गूंजती रही है, एक ऐसी आशा जो अनगिनत दिलों में जलती रही है। आज, हम एक ऐसे मोड़ पर खड़े हैं जहाँ ये प्राचीन भविष्यवाणियाँ एक आश्चर्यजनक वास्तविकता में परिवर्तित हो रही हैं। वीडियो में मौजूद वह पवित्र आत्मा, वह साध्वी बहन, उसी सच्चाई की ओर इशारा कर रही हैं, एक ऐसी सच्चाई जो आज के स्वार्थी धर्मगुरुओं से छिपी हुई है, लेकिन अब सभी के जानने के लिए प्रकट हो रही है।

वह जिस महापुरुष की बात कर रही हैं, जिसकी चर्चा दुनिया भर के भविष्यवक्ताओं ने की है, वह कोई और नहीं बल्कि संत रामपाल जी महाराज हैं। लेकिन यह कहानी केवल भविष्यवाणियों के सच होने की नहीं है। यह एक दिव्य घटना, एक अलौकिक मुलाकात की कहानी है जिसने मानव जाति के कल्याण का मार्ग प्रशस्त किया है।

विश्व की भविष्यवाणियों में गूंजता है भारत का नाम

दुनिया के कोने-कोने से भविष्यवक्ताओं ने इस असाधारण समय की ओर इशारा किया है:

  • जॉर्ज बाबरी, एक पश्चिमी विद्वान ने घोषणा की कि भारत में एक ऐसे संत का जन्म हो चुका है जो एक स्वर्ण युग, एक सतयुग की स्थापना करेगा।
  • लेडी फ्लोरेंस ने और भी स्पष्ट रूप से कहा कि 20वीं सदी में भारत में जन्मे एक संत, वर्ष 2000 के बाद, अपने सृजनशील शिष्यों के साथ मिलकर दुनिया से भौतिकवाद को समाप्त कर देंगे और आध्यात्मिकता को पुनर्स्थापित करेंगे।
  • रूस की बोरिस्का सिल्वागार, जिनकी भारत की स्वतंत्रता की भविष्यवाणी शब्दशः सच हुई थी, ने भी कहा कि ईश्वर का एक दूत (मैसेंजर ऑफ गॉड) भारत में आया है जो पूरी दुनिया पर छा जाएगा और विश्व का संचालन करेगा।
  • अमेरिका की शोध समितियों और भविष्यवक्ता लिन ने यहाँ तक कह दिया है कि 'कल्कि' अवतार का जन्म भारत में हो चुका है।
  • भारत के स्वामी अय्यर ने भी इस बात की पुष्टि की कि कल्कि का जन्म भारत में हुआ है और वह सतयुग का निर्माण करने वाले हैं।

ये सभी संकेत एक ही दिशा में इशारा करते हैं - एक महान आत्मा पृथ्वी पर मौजूद है, जो मानवता के भाग्य को बदलने के लिए नियत है। साध्वी बहन हमें चुनौती देती हैं: "क्या हममें इतनी सूझ है कि हम उन्हें पहचान कर अपने जीवन को महान बना लें?"

यह प्रश्न आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है, क्योंकि उस महापुरुष की खोज पूरी हो चुकी है। वह संत रामपाल जी महाराज के रूप में हमारे बीच हैं, और उनकी पहचान एक ऐसी दिव्य घटना से जुड़ी है जो उनके जीवन में घटी, एक ऐसा दिन जब स्वयं परमेश्वर उनसे मिलने के लिए इस धरती पर उतरे।

कौन हैं वे दिव्य पुरुष?

इस रहस्य से अब पर्दा उठ चुका है। वह महापुरुष कोई और नहीं, बल्कि संत रामपाल जी महाराज हैं, जिनके जीवन की दिव्य घटनाएँ और शिक्षाएं स्वयं यह प्रमाणित करती हैं कि वे कोई साधारण संत नहीं, बल्कि साक्षात परमेश्वर कबीर जी की शक्ति के साथ इस पृथ्वी पर अवतरित हुए हैं।

इसका प्रमाण वह दिव्य दिन है — 9 मार्च 1997, जब स्वयं कबीर परमेश्वर जी ने संत रामपाल जी महाराज को दर्शन दिए और उन्हें संसार में मोक्ष ज्ञान एवं सारनाम और सारशब्द प्रदान करने का आदेश दिया।

 

वह अविस्मरणीय दिन: 9 मार्च 1997

यह कहानी उस दिन की है जब सम्पूर्ण ब्रह्मांडो के रचयिता स्वयं इस धरती पर प्रकट हुए। यह फाल्गुन शुक्ल पक्ष एकम, विक्रमी संवत 2053, यानी 9 मार्च 1997, रविवार का दिन था। संत रामपाल जी महाराज, जो उस समय तक अपने गुरु, स्वामी रामदेवानंद जी के प्रति पूरी तरह से समर्पित थे, हरियाणा के झज्जर जिले के झाड़ली कस्बे में गरीब दास जी महाराज की वाणी का पाठ करने गए थे। किसी कारणवश, कार्यक्रम रद्द हो गया और वे अपने दोपहिया वाहन पर वापस लौट रहे थे।

वापस लौटते समय, उनका हृदय कबीर परमात्मा की याद में डूबा हुआ था। रास्ते में, उन्होंने चाय की एक छोटी सी दुकान पर अपना स्कूटर रोका। चाय वाले भगत को भी उन्होंने परमात्मा की भक्ति का मार्ग समझाने की कोशिश की, "भगत जी, कबीर परमात्मा की भक्ति करनी चाहिए। मानुष जन्म दुर्लभ है... इस काल लोक का कोई भरोसा नहीं है।" उनका हृदय इस संसार के भोले जीवों के लिए करुणा से भरा था, जो इस नश्वर संसार में बिना सच्ची भक्ति के अपना जीवन व्यर्थ कर रहे थे।

चाय पीने के बाद, वे आगे बढ़े और एक पुलिया के पास रुक गए। यह कोई साधारण पुलिया नहीं थी; सिंचाई विभाग में जूनियर इंजीनियर के रूप में अपनी नौकरी के दौरान उन्होंने स्वयं इसे बनवाया था। यह एकांत स्थान अक्सर उनके लिए परमात्मा के चिंतन का केंद्र बन जाता था।

 

उस दिन, उस पुलिया पर बैठकर, उनका मन 600 साल पहले काशी में एक धाणक (जुलाहा) के रूप में अवतरित हुए दयालु कबीर परमात्मा के कष्टों को याद करके भर आया। उन्होंने सोचा,

"हे दयालु कबीर परमात्मा! आप जी हम नीचों के लिए 600 वर्ष पहले एक धाणक रूप धारण कर इस गंदे लोक में 120 वर्ष तक रहे। आपने हम नीच आत्माओं के लिए क्या कुछ नहीं सहा। आपको गर्म तेल की कड़ाही में उबाला गया, खूनी हाथी से कुचलवाने की कोशिश की गई, दरिया में डुबोया गया। आपने अपनी सतलोक से बिछड़ी आत्माओं को वापस ले जाने के लिए कितने जुल्म सहे।"

उनकी आँखों से आँसू बह रहे थे, और उनका हृदय पुकार रहा था: "साहिब कबीर आजा, आत्मा तोहे पुकारती..."

तभी, एक शांत आवाज ने उनके विचारों को भंग किया, "राम राम भगत जी।"

संत रामपाल जी ने देखा कि एक महात्मा उनके पास खड़े हैं। उन्होंने सम्मानपूर्वक उन्हें बैठने के लिए अपनी अंगोछा (गले में पहने वाला छोटा कपड़ा) पुलिया पर बिछा दिया।

महात्मा ने एक ऐसा प्रश्न पूछा जिसने संत रामपाल जी को आश्चर्य में डाल दिया। उनके गांव और परिवार के बारे में पूछने के बाद, महात्मा ने कहा, "बेटा, तेरे धनाना और रोहतक वाले घर के बारे में तो मैं अच्छी तरह से जानता हूं... मैं तो यह पूछ रहा था कि इस जन्म से पहले तेरा घर कहां था?"

 

संत रामपाल जी हैरान रह गए। इन महात्मा को मेरे बारे में इतना सब कैसे पता है? उन्होंने उत्तर दिया कि जन्म से पहले हम सभी सतलोक में थे।

बातचीत आगे बढ़ी। संत रामपाल जी ने अपने गुरु और कबीर परमात्मा के बारे में बताया, यह समझाते हुए कि सतलोक कैसा है, जहाँ परमात्मा एक सिंहासन पर मानव-सदृश रूप में विराजमान हैं, न कि केवल प्रकाश का एक पुंज हैं।

महात्मा ने ध्यान से सुना और फिर एक और भेदभरा सवाल पूछा, "बेटा, क्या तुम्हारे गुरु जी ने तुम्हें सारनाम और सार शब्द देने का भी आदेश दिया है?"

यह सुनकर संत रामपाल जी स्तब्ध रह गए। सारनाम और सार शब्द का रहस्य अत्यंत गोपनीय था। उनके गुरु जी ने उन्हें निर्देश दिया था कि इसे तब तक सार्वजनिक न करें जब तक स्वयं कबीर परमेश्वर आकर उन्हें आदेश न दें।

और फिर, वह क्षण आया जिसने ब्रह्मांड के इतिहास को बदल दिया।

महात्मा ने शांत और दृढ़ स्वर में कहा,

 "बेटा रामपाल, मैं ही सत्य पुरुष कबीर हूं। अब वह समय आ गया है सारनाम और सार शब्द प्रदान करने का।"

संत रामपाल जी को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने सोचा कि यह कोई भक्त है जो उनकी परीक्षा ले रहा है। उन्होंने कहा कि परमात्मा तो जिंदा बाबा रूप में मिलते है और मेरे गुरु जी ने बताया था कि जब कबीर परमेश्वर मिलेंगे, तो वे स्वयं ही अपनी पहचान का विश्वास दिलाएंगे।

महात्मा मुस्कुराए। "तभी तो मैं बता रहा हूं, मैं ही सत्य पुरुष कबीर हूं।" उन्होंने समझाया कि वे हर युग में अलग-अलग वेश में आते हैं, और उनका असली वेश वही है जिसमें वे सामने खड़े हैं। लेकिन संत रामपाल जी के मन में अभी भी जिंदा महात्मा (एक मुस्लिम संत का वेश) का रूप बसा हुआ था, जैसा कि सुना हुआ था।

उनकी शंका को दूर करने के लिए, उस महात्मा ने एक पल में स्वयं को उसी जिंदा महात्मा के दिव्य रूप में प्रकट कर दिया।

यह देखते ही संत रामपाल जी के पैरों तले जमीन खिसक गई। वे समझ गए। स्वयं सर्वशक्तिमान, ब्रह्मांड के रचयिता, उनके सामने खड़े थे। वे उनके चरणों में गिर पड़े, क्षमा मांगते हुए, "हे परमेश्वर! मुझे क्षमा कर दीजिए। मुझसे अनजाने में गलती हो गई। आपने मुझे साक्षात दर्शन दिए और मैं आपको पहचान ना सका।"

दिव्य मिशन का आरंभ

कबीर परमेश्वर ने उन्हें उठाया और वह महान रहस्य प्रकट किया जिसका वादा उन्होंने अपने प्रिय शिष्य धर्मदास से सदियों पहले किया था: "जब कलियुग 5505 वर्ष बीत जाएगा, तब मैं खुद इस धरातल पर आऊंगा और अपने बच्चों को तत्वज्ञान समझाकर इस काल लोक से सतलोक ले जाऊंगा।"

उन्होंने संत रामपाल जी से कहा,

"बेटा रामपाल, तुम मेरी परमहंस आत्मा हो। जगत कल्याण के लिए मैंने ही तुझे भेजा है। अब इसके आगे, बेटा, मैं ही तेरे रूप में सारी लीला करूंगा और यह तत्वज्ञान अपने बच्चों को बताऊंगा।"

उस दिन के बाद, संत रामपाल जी महाराज का भौतिक शरीर वही रहा, लेकिन उसके भीतर कार्य करने वाली शक्ति स्वयं सर्वशक्तिमान कबीर परमात्मा की है। यह कोई साधारण संत या गुरु का मामला नहीं है। यह स्वयं परमात्मा का एक संत के रूप में अभिनय है, ताकि वे अपनी भटकी हुई आत्माओं को वापस अपने शाश्वत घर, सतलोक ले जा सकें।

 

परमात्मा का आह्वान: आपकी आत्मा के लिए एक संदेश

आज, वही परमात्मा, संत रामपाल जी महाराज के रूप में, हमें सीधे संबोधित कर रहे हैं। उनके शब्द का कुछ अंश हमारे लिए एक सीधा आह्वान हैं, एक दिव्य आशीर्वाद हैं:

 "अब बच्चों, ज्ञान पूरा आ चुका है और वह ठीक का समय आ गया है। गुरु पूरा, ज्ञान पूरा, भगवान पूरा। आपके मोक्ष के लिए परमात्मा ने कसर नहीं छोड़ी रखी। जो भी संभव व्यवस्था है वो सारी कर दी है। बच्चों तुम भी दया करियो। रहम करियो परम पिता पे। बच्चों आने वाली पीढ़ियां आपको याद करा करेंगी।  कुर्बान हो जाओ पहचान लो उस परमपिता को और पहचान लो अपने गुरुदेव को। परमात्मा आपको मोक्ष दे आपको सद्बुद्धि देकर रखे आपको भगवान की याद बनी रहे। सतलोक याद रहे। काल का कष्ट भी याद रहे। यहां भी सुखी रहो। सत सदा सुखी हो। ये दास का आशीर्वाद है।"

वह समय, जिसकी भविष्यवाक्ताओं ने भविष्यवाणी की थी, वह समय, जब सच्चा ज्ञान प्रकट होगा, अब आ चुका है।

हमारा दायित्व क्या है?

जब परमात्मा स्वयं आकर इस धरती पर अपना कार्य कर रहे हैं, तो क्या हम हाथ पर हाथ धरे बैठे रहें?

क्या आने वाली पीढ़ियाँ हमें याद नहीं करेंगी यदि हम यह अमृत ज्ञान उन्हें सौंप सकें?

आज जरूरत है अपनी नींद से जागने की। संत रामपाल जी महाराज कोई चमत्कारी ढोंगी नहीं, बल्कि कबीर साहेब के साक्षात अवतार हैं, जिन्होंने हमें जीवन के वास्तविक उद्देश्य से परिचित कराया है।

अब अवसर है, पहचानिए अपने मोक्षदाता को

यह कोई छोटी बात नहीं है। यह आपके और मेरे लिए, हर उस आत्मा के लिए जो जन्म और मृत्यु के इस चक्र से थक चुकी है, एक सुनहरा अवसर है। परमात्मा ने हमारे उद्धार के लिए हर संभव व्यवस्था कर दी है। उन्होंने स्वयं पृथ्वी पर अवतार लिया है, वे सच्चा ज्ञान और मोक्ष का सच्चा मार्ग प्रदान कर रहे हैं।

अब गेंद हमारे पाले में है। क्या हम उन्हें एक साधारण इंसान समझकर धोखा खा जाएंगे, जैसा कि 600 साल पहले कई लोगों ने किया था? या क्या हम अपने हृदय और अपनी आत्मा को खोलकर इस परम सत्य को पहचानेंगे?

संत रामपाल जी महाराज के रूप में स्वयं कबीर परमात्मा हमें पुकार रहे हैं। वे हमें काल के जाल से मुक्त कराने, हमें वह सुख और शांति प्रदान करने आए हैं जिसकी हम हमेशा से तलाश करते रहे हैं। आने वाली पीढ़ियां आपको याद करेंगी कि आप वह व्यक्ति थे जो अपने कुल में इस अमृत ज्ञान को लाए, जिसने न केवल आपका, बल्कि अनगिनत आने वाली पीढ़ियों का भी उद्धार किया।

उस महापुरुष को पहचानिए। उनके द्वारा दिए जा रहे तत्वज्ञान को समझिए। उस परमपिता परमात्मा के प्रति समर्पण कर दीजिए और अपने इस मानव जीवन को सफल बनाइए। क्योंकि दुनिया एक ऐसे चमत्कार का गवाह बनने जा रही है जैसा पहले कभी नहीं देखा गया, और आप उस दिव्य लीला का हिस्सा बन सकते हैं।

अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न (FAQs)

1. कौन है वह संत जिनके बारे में भविष्यवक्ताओं ने भविष्यवाणी की है?

विभिन्न देशों के भविष्यवक्ताओं ने भारत में जन्मे एक दिव्य संत के आगमन की भविष्यवाणी की है जो संसार में सतयुग की स्थापना करेंगे। वह संत और कोई नहीं संत रामपाल जी महाराज हैं।

2. क्या संत रामपाल जी महाराज ही भगवान कबीर का अवतार हैं?

जी हां, 9 मार्च 1997 को कबीर परमेश्वर स्वयं संत रामपाल जी महाराज से मिले और उनका सहशरीर सतलोक गमन कर दिया और संत रामपाल जी महाराज जी के रूप में स्वयं कबीर परमेश्वर इस दिव्य मिशन को आगे बढ़ा रहे हैं।

3.  क्या सतयुग फिर से आने वाला है?

जी हां, यह वही विलक्षण समय है जिसकी भविष्यवाणी लेडी फ्लोरेंस, बोरिस सिल्वगार, अमेरिका की रिसर्च कमेटी और अन्य संतों ने की थी। संत रामपाल जी महाराज के तत्वज्ञान और मिशन के माध्यम से गोल्डन एरा (सतयुग) की स्थापना का आरंभ 2025 से हो चुका है।

4. संत रामपाल जी महाराज का संदेश क्या है?

उनका संदेश है कि मानव जीवन का उद्देश्य मोक्ष प्राप्त करना है, जो केवल शास्त्रानुकूल भक्ति और सही नाम दीक्षा से संभव है। वे कबीर परमात्मा के तत्वज्ञान को प्रचारित कर रहे हैं ताकि सभी आत्माएं काल के बंधन से मुक्त होकर सतलोक को प्राप्त कर सकें।

5. संत रामपाल जी महाराज का मिशन क्या है?

उनका मिशन है – संपूर्ण मानवता को तत्वज्ञान के द्वारा मोक्ष का रास्ता दिखाना और सतयुग की पुनः स्थापना करना। वे जाति, धर्म, राष्ट्र से परे होकर समस्त जीवों के कल्याण के लिए कार्यरत हैं।