संत रामपाल जी महाराज के जीवन बदल देने वाले अद्भुत विचार

संत रामपाल जी महाराज के जीवन बदल देने वाले अद्भुत विचार

Sant Rampal Ji Maharaj Quotes [Hindi]

तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज का नाम उनके अद्भुत तत्वज्ञान के कारण विश्वप्रसिद्ध है। इतना ही नहीं बल्कि वे अपने समाज सुधार और जन कल्याणकारी कार्यों जैसे दहेजमुक्त विवाह, नशामुक्ति, रक्तदान आदि के लिए भी जाने जाते हैं। संत रामपाल जी महाराज के द्वारा बताया ज्ञान मर्म पर चोट करने वाला होता है। संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान से संबंधित कुछ प्रसिद्ध वाणियों के विषय में जानेंगे।

हम आपको इन बिन्दुओ पर जानकारी देंगे

  • अध्यात्म और दर्शन का वास्तविक अर्थ
  • संत रामपाल जी महाराज के सत्संग
  • मनुष्य जीवन का महत्व
  • इन्द्रियों से होने वाले पापकर्म का फल
  • अविनाशी परमात्मा कबीर और उनकी सतभक्ति 
  • स्वजन और ऋण संबंध
  • चौरासी लाख योनियों का चक्र
  • पांच तत्व परमेश्वर कबीर के आधीन 
  • परमेश्वर कबीर की महिमा 
  • Conclusion: सार 

अध्यात्म और दर्शन का वास्तविक अर्थ

अध्यात्म और दर्शन ऐसे रास्ते हैं जो आरंभ से ही मनुष्य को सोचने पर मजबूर करते हुए आए हैं। किंतु इन्हें लेकर अकसर कई शंकाएं रहती रहीं चाहे कोई कितना भी बड़ा ज्ञानी हो। वर्तमान में संत रामपाल जी महाराज ने आध्यात्मिक ज्ञान को सच्चे अर्थों में सार्थक रूप से समझाया है। अध्यात्म को अंधविश्वास से दूर करके समाज को एक नई दिशा दी है। संत रामपाल जी महाराज ने सभी धर्मों के ग्रंथों को खोलकर उनके गूढ़ रहस्यों को सरल करके बताया है। इसके साथ ही उन्होंने नकली ढोंगी संतो और बाबाओं के ज्ञान की पोल खोलते हुए पूर्ण परमेश्वर, मनुष्य जीवन के उद्देश्य और शास्त्रों के वास्तविक अर्थों को स्पष्ट किया है।

संत रामपाल जी महाराज के सत्संग

सत्संग में सच्चे संत का संग मिले तो ही सार्थक है अन्यथा सब निरर्थक है। संत रामपाल जी महाराज ने ईमानदारी के साथ अध्यात्म, धर्म और दर्शन के साथ न्याय किया है। वर्तमान समय में धर्म की जिस सटीक परिभाषा और वैज्ञानिक आधार पर आवश्यकता थी वह संत रामपाल जी महाराज ने दी है। संत रामपाल जी महाराज के सत्संगों को सुनते समय कुछ वाणियां उनके मुख कमल से हम सुनते हैं। इनमें से कुछ वाणियां स्वयं परमेश्वर कबीर साहेब के मुख कमल से बोली गई हैं और कुछ संत गरीबदास जी महाराज द्वारा अमर सतग्रंथ साहेब से ली गई हैं। इनमें से कुछ प्रसिद्ध वाणियों के मायने यहां स्पष्ट किए गए हैं।

मनुष्य जीवन का महत्व

कबीर, मानुष जन्म दुर्लभ है, मिले न बारम बार,
तरवर से पत्ता टूट गिरे, बहुर न लगता डार ||

अर्थ: संत रामपाल जी महाराज ने अपने सतसंगों में यह वाणी बोली है। इसके साफ मायने यह हैं कि मनुष्य जीवन का मिलना बहुत कठिन है क्योंकि यह बड़े ही शुभ कर्मों के पश्चात प्राप्त होता है और यह बार बार मिलना कठिन है। बेहतर है कि एक बार में ही इसका सदुपयोग किया जाए। मनुष्य जन्म बिलकुल पेड़ के पत्ते के समान है। जिस तरह वृक्ष से पत्ता टूटकर गिरता है और फिर उसका दोबारा उसी प्रकार वृक्ष पर लगना असंभव है वैसे ही मनुष्य जन्म भी एक बार खत्म होने के बाद दोबारा मिलना असंभव है। कबीर साहेब की इस वाणी माध्यम से संत रामपाल जी महाराज ने स्पष्ट रूप से मनुष्य जन्म प्राप्त लोगों को जगाने की चेष्टा की है और इसकी नश्वरता के बारे में आगाह किया है।

इन्द्रियों से होने वाले पापकर्म का फल

इन्द्री कर्म ना लगै लगारं, जो भजन करें निरदुंद रे |
गरीबदास जग कीर्ति होगी, जब लग सूरज चंद रे ||

अर्थ: यह वाणी आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज का है। ध्यान देने योग्य बात है कि मनुष्य की इन्द्रियों से जो भी कार्य उसके द्वारा जाने और अनजाने में होते हैं उनका फल उसे भोगना ही पड़ता है किंतु ऐसे साधक जो पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की भक्ति करते हैं वे सत्यनाम का जाप करते हैं। और इस भक्ति से अनजाने में इन्द्रियों से होने वाले कर्मों का दंड उन्हें नहीं भोगना पड़ता। आगे गरीबदास जी महाराज बताते हैं कि ऐसी भक्ति करने वाले मीराबाई, संत पीपा, धन्ना, राजा बाजीद आदि की भांति संसार में यश प्राप्त करते हैं।

अविनाशी परमात्मा कबीर और उनकी सतभक्ति 

गरीब, करता आप कबीर है, अबिनाशी बड़ अल्लाह |
राम रहीम करीम है, कीजो सुरति निगाह ||

अर्थ: यह वाणी भी आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज की है। इस वाणी के माध्यम से संत गरीबदास जी महाराज बताते हैं कि वह करतार परमात्मा जो सबका धारण पोषण करने वाला, सृष्टि रचने वाला दयालु भगवान कबीर साहेब हैं जो अजर, अमर, अविनाशी हैं। वे ही अल्लाह हैं और राम भी वही हैं। उनका हुक्म, आदेश और अधिकार सब पर है किंतु उन पर कोई अंकुश नहीं है। उस परमेश्वर को अलग अलग नामों से पुकारा जाता है, राम कहें, अल्लाह कहें, रहीम कहें वही एकमात्र कबीर है जो अत्यंत दयालु भगवान है। यह ध्यान से विचार करने योग्य है।

गरीब, ऐसा अबिगत राम है, आदि अंत नहीं, कोइ |
वार पार कीमत नहीं, अचल हिरंबर सोइ ||

अर्थ: यह वाणी आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज की है इसके माध्यम से गरीबदास जी महाराज ने परमेश्वर के गुणों को व्यक्त किया है। गरीबदास जी महाराज कबीर साहेब की महिमा बताते हुए कहते हैं कि वह ऐसे अविगत यानी जो सदा रहता है ऐसे भगवान हैं। कबीर साहेब का ना तो आरंभ बताया जा सकता और ना ही उनका कभी अंत होगा। वे ऐसे आदरणीय बेशकीमती, अनमोल करतार हैं जो स्थाई हिरंबर अर्थात सदा स्वर्ण की भांति हैं। 

गरीब, अलह अबिगत राम है, निराधारों आधार |
नाम निरंतर लीजिये, रोम रोम की लार ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज की है। इसके माध्यम से गरीबदास जी महराज ने परमेश्वर की भक्ति के लिए प्रेरणा देते हुए बताया है कि वह अल्लाह, सदा से मौजूद परमेश्वर सभी दीनों का सहारा है, आधार है, आश्रय है। उस परमेश्वर की भक्ति लगातार करें और हृदय से रोम रोम से उस दयालु सर्वशक्तिमान परमेश्वर की महिमा समझें और वास्तविक मंत्रों की भक्ति करें।

स्वजन और ऋण संबंध

कौन अपना और कौन सपना। 

अर्थ: इस सृष्टि के अंदर यदि कोई अपना है तो वह केवल परमेश्वर कबीर है। और बाकी सब सपना है।

ऐसा बंदीछोड़ सदगुरु रामपाल जी महाराज अपने सत्संगों के माध्यम से कहते हैं। इस पूरे संसार में होने वाली घटनाएं और रिश्ते नाते सभी कर्मबंधन से जुड़े हुए हैं। जो शरीर और आत्मा का सच्चा साथी है वह केवल पूर्ण परमेश्वर कबीर भगवान हैं। उनके अतिरिक्त सभी को संत रामपाल जी ने स्वप्न के समान बताया है जो न केवल नश्वर है बल्कि क्षणभंगुर अर्थात पल में नष्ट होने वाला है। वह जो मदद कर सके, राहत दे सके, प्रेम, दया और बरकत दे वह पूर्ण परमेश्वर कबीर भगवान हैं।

चौरासी लाख योनियों का चक्र

गरीब, यह हरहट का कुंआ लोई यो गल बंध्या है सब कोई |
कीड़ी - कुंजर और अवतारा, हरट डोर बंधे कई बारा ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज द्वारा रचित है। गरीबदास जी महाराज बताते हैं कि जिस प्रकार हरहट (पुराने समय में प्रयोग में लाए जाने वाला सिंचाई का तरीका जिसमें एक कुंए के ऊपर कई बाल्टियां लगी होती थीं। जानवर गोल गोल घूमते और वह रहट चक्कर लगाती। उसमें लगी बाल्टियां भीतर कुएं से भरकर बाहर पानी डालकर पुनः कुएं में जातीं और जाने की प्रक्रिया चलती रहती थी) के कुएं में लगी बाल्टियां आती जाती रहती हैं उस चक्कर में लगी हुई वैसे ही जीव की गति इस संसार में है। चींटी, हाथी हो या कोई अवतार चाहे ब्रह्मा, विष्णु, महेश ही क्यों न हों, वे सभी हरहट की भांति संसार के चौरासी लाख योनियों के चक्र में उलझकर जन्मते और मरते रहते हैं। अपने पाप पुण्य के कर्मों के अनुसार स्वर्ग नर्क, अलग अलग योनियों में जीवन और मृत्यु प्राप्त करते रहते हैं। इस चक्र से केवल पूर्ण सतगुरु ही निकाल सकते हैं। पूर्ण संत से नामदीक्षा लेकर सत्यभक्ति करना इससे मुक्ति दिला सकता है। 

पांच तत्व परमेश्वर कबीर के आधीन 

गरीब, चन्द सूर पानी पवन, धरनी धौल अकास |
पांच तत्त हाजर खड़े, खिजमतिदार खवास ||

यह वाणी भी संत गरीबदास जी महाराज की है जिसमें बहुत ही सरल शब्दों में उन्होंने परमेश्वर कबीर की समर्थता का और उनकी शक्ति का वर्णन किया है। गरीबदास जी महाराज बताते हैं कि सूर्य (अग्नि), चंद्रमा, जल, वायु, पृथ्वी, आकाश या कहें पांचों तत्व पूर्ण परमात्मा के इशारों पर रहते हैं। वे सभी तत्व उनके दरबार में सेवक की भांति खड़े रहते हैं। परमेश्वर कबीर साहेब वह सर्वशक्तिमान परमात्मा हैं जिनके आधीन सर्व पदार्थ, सर्व तत्व, सर्व सृष्टि है।

परमेश्वर कबीर की महिमा 

गरीब, खोजी खालिक से मिले, ज्ञानी के उपदेश |
सतगुरु पीर कबीर हैं, सब काहू उपदेश ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज की है जिसका यथास्थान संत रामपाल जी महाराज प्रयोग करते हैं। इस वाणी का अर्थ है कि परमेश्वर की चाह रखने वाला उन्हें खोजने वाला खोजी, खालिक यानी पूर्ण परमात्मा, धनी से केवल तत्वदर्शी संत के उपदेश के पश्चात ही मिल सके। संत गरीबदास जी के गुरु स्वयं कबीर साहेब थे। वे कहते हैं कि अलग अलग रूपों में तत्वदर्शी संत बनकर प्रकट होने वाला वह सतगुरु, पीर केवल कबीर साहेब हैं। यह उपदेश सबके लिए है।

गरीब, अलह अबिगत राम है, निरबानी निबंध |
नाम निरंतर लीजिये, ज्यूं हिल मिल मीन समंद ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज की है जिसमें पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की भक्ति के लिए प्रेरित किया है। संत गरीबदास जी बताते हैं कि वह अल्लाह, सदा से विराजमान राम कबीर साहेब जी सभी बंधनों से मुक्त हैं तथा स्वयं मुक्तिदाता हैं। ऐसे मोक्षदायक परमात्मा के भक्ति में ऐसे लिप्त रहना चाहिए जिस प्रकार मछली समंदर में रहती है यानी एक पलक भी जल के बिना नहीं रह सकती। उसी प्रकार उस सच्चे सर्वशक्तिमान परमात्मा की भक्ति लगातार करना चाहिए।

गरीब, अधरि सिंहासन गगनि में, बौहरंगी बरियाम |
जाका नाम कबीर है, सारे सब के काम ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज की है जिसमें परमात्मा कबीर साहेब की सक्षमता को बताया गया है। कबीर साहेब का सिंहासन पृथ्वी से दूर आकाश में यानी सतलोक में है। हमारे कार्यों की सिद्धि चाहे किसी भी माध्यम से क्यों न हो किंतु उन्हें करवाने वाले एकमात्र कबीर साहेब हैं। वे सर्वशक्तिमान और सक्षम परमात्मा हैं।

गरीब, मीरा बाई पद मिली, सतगुरु पीर कबीर |
देह छतां ल्यौ लीन है, पाया नहीं शरीर ||

अर्थ: यह वाणी आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज की है। इस वाणी के माध्यम से गरीबदास जी महाराज बताते हैं कि मीराबाई कृष्ण जी की उपासक थी। एक समय उन्होंने मंदिर जाते समय कबीर साहेब और संत रविदास जी का सत्संग सुना और तब उन्हें यह परमज्ञान हुआ कि अविनाशी, अक्षुण्ण और सर्वोच्च भगवान कबीर साहेब हैं। तब उन्हें वह पद यानी परमेश्वर पद का कबीर साहेब की कृपा से वास्तविक ज्ञान हुआ। कबीर साहेब परम अक्षर ब्रह्म हैं जिनका न तो जन्म हुआ और न ही इस संसार से जाते समय उनका शरीर किसी को प्राप्त हुआ।

गरीब, जम जौरा जासे डरें, मिटें कर्म के लेख |
अदली असल कबीर हैं, कुल के सतगुरु एक ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज की है। गरीबदास जी महाराज परमात्मा के गुणों का बखान करते हुए बताते हैं कि यमराज और मृत्यु जिससे डरते हैं और जो विधि का विधान बदल दे वह एकमात्र न्यायकारी सत्य कबीर साहेब हैं। वसुधैव कुटुंबकम् के सतगुरु केवल वही परमेश्वर कबीर हैं। इस वाणी से परमेश्वर कबीर साहेब की सर्वोच्च सत्ता सिद्ध होती है।

गरीब, अनन्त कोटि ब्रह्माण्ड का, एक रति नहीं भार ।
सतगुरु पुरुष कबीर हैं, कुल के सिरजनहार ||

अर्थ: यह वाणी संत गरीबदास जी महाराज की है जिसमें वे कबीर साहेब की सक्षमता और शक्ति का वर्णन करते हैं। सृष्टि रचनहार कबीर साहेब के विषय में बताते हैं कि वे परमेश्वर कबीर ऐसे हैं जिन्होंने एक ब्रह्मांड नहीं बल्कि असंख्य करोड़ ब्रह्मांड की रचना की है। इन ब्रह्मांडों का उन पर कोई भार नहीं है अर्थात वे इनके बंधन में नहीं हैं। वे मुक्त एवं मुक्तिदाता भगवान हैं। सतगुरु परम अक्षर ब्रह्म कबीर साहेब भगवान हैं और वे इस सर्व संसार के जनक हैं, पालनहार हैं और रचयिता हैं।

चार पदार्थ एक कर, सुरति निरति मन पौन |
असल फकीर जोग यह, गगन मंडल कूं गौन ||

अर्थ: संत रामपाल जी महराज अपने सत्संगों में संन्यासी होने का लक्षण बताते हैं कि चार पदार्थों यानी सुरत (ध्यान), निरत (निरीक्षण), मन, और पवन (स्वांस) को नियंत्रित कर के फिर अजपा भक्ति मंत्र जाप करना वास्तविक योग है। यह सर्वोत्तम कोटि का योग बताया है। ऐसे भक्ति करने वाला संन्यासी आकाश में स्थित अपने निजधाम अर्थात सत्यलोक को जा सकेगा और मोक्ष प्राप्त कर सकेगा।

गरीब, ज्यूं बच्छा गऊ की नजर में, यूं सांई कूं संत |
भक्तों के पीछे फिरै, भक्त वच्छल भगवन्त ||

अर्थ: यह संत गरीबदास जी महाराज की वाणी है। इस वाणी के माध्यम से गरीबदास जी ने परमात्मा का प्रेम और वात्सल्य अपने बच्चों के लिए स्पष्ट किया है। जिस प्रकार गाएं अपने बछड़े को पलभर के लिए अकेला नहीं छोड़तीं और उसे अत्यंत प्रेम और लाड़ दुलार करती हैं बिलकुल वही दृष्टि परमेश्वर अपने बच्चों पर यानी साधकों पर रखते हैं। परमेश्वर भी अपने भक्तों के प्रेम में उनके साथ साथ बने ही रहते हैं। युगों युगों से भक्ति करते आ रहे बच्चों को प्रत्येक जन्म में भक्ति की प्रेरणा करते हैं और उनके पीछे पीछे जाकर अनेकों माध्यमों से उन्हें तत्वज्ञान समझाकर अपनी शरण में लेते हैं। 

गरीब, जो जन मेरी शरण है, ताका हूँ मैं दास |
गैल-गैल लागा रहूँ, जब तक धरणी आकाश ||

अर्थ: यह दोहा संत गरीबदास जी महाराज द्वारा रचित है। गरीबदास जी महाराज ने परमेश्वर के अपने बच्चों के प्रति प्रेम को बताया है। परमेश्वर कबीर साहेब कहते हैं कि जो भी जीव आत्मा उनकी यानी पूर्ण परमेश्वर कबीर साहेब की शरण में किसी भी जन्म में है, परमेश्वर उनके साथ उनके दास के समान हरदम है। जब तक पृथ्वी और आकाश नहीं टलते तब तक परमात्मा उनके साथ साथ रहता है ताकि उन्हें इस काल लोक से छुटकारा दिलवाकर अमर लोक में ले जा सके। इस प्रकार परमेश्वर अपनी प्यारी आत्माओं को खोजते हैं एवं उनके साथ रहते हैं।

गरीब, साहिब साहिब क्या करै, साहिब है परतीत | 
भैंस सींग साहिब भया, पांडे गावैं गीत ||

अर्थ: यह वाणी भी आदरणीय संत गरीबदास जी महाराज द्वारा रचित है। गरीबदास जी महाराज ने इस वाणी के माध्यम से परमेश्वर के प्रति विश्वास के विषय में बताया है। गरीबदास जी महाराज कहते हैं कि परमात्मा का नाम भर रटते रहने से कुछ प्राप्त नहीं होता, परमात्मा के प्रति दृढ़ विश्वास, निष्ठा होना आवश्यक है। एक कथा के माध्यम से उन्होंने बताया कि दृढ़ विश्वास से भैंस का सींग परमात्मा बन गया और धर्म के ठेकेदार बने पंडित केवल गीत गाते रह गए।

कथा :- भैंस चराने वाले भोले भाले पाली ने एक दिन मंदिर में प्रवचन दे रहे पंडित जी से सुन लिया कि भगवान मिलने से सर्व कार्य आसान हो जाते हैं। पाली भोला था और अपनी भैंसों से बहुत परेशान था। उसने विचार बनाया यदि मुझे भगवान मिल जाए तो इन्हे चराने का कार्य सुगम हो जाए। उसने पंडित जी से चरण पकड़कर याचना की कि उसे भगवान से मिलवा दें। पंडित जी ने पीछा छुड़ाने के उद्देश्य से दूसरे दिन बुलाया। दूसरे दिन पंडित जी ने पहले से ही कचरे से भैंस का सींग उठाया और उसे लाल कपड़े और लाल धागे में लपेटकर कहा कि इसकी पूजा करना और भोजन करवाने के पश्चात स्वयं भोजन करना कुछ दिनों में यह भगवान बन जाएगा। पाली प्रसन्नतापूर्वक घर आ गया और उसने भोजन करवाने की चेष्टा की। किंतु भैंस का सींग कैसे भोजन करता। तीन चार दिन बीतने के बाद भी पाली ने कहा कि मैं भोजन नहीं करूंगा जब तक आप नहीं खायेंगे। 

मेरी भक्ति में कमी रह गई तो आप प्रकट नहीं होंगे। परमात्मा उस भोले जीव का जीवन बचाने और उसकी निष्ठा और विश्वास देखते हुए चौथे दिन मनुष्य रूप में प्रकट हो गए। पाली ने उन्हें देखते ही बांहों में भर लिया और भोजन कराया और कहा अब आप मेरे कार्य सुगम करें मेरी भैंसों को चराएं। परमात्मा के लिए यह बाएं हाथ का खेल था। भैंसें दूसरे खेतों में नहीं जा रही थीं। पाली ने मंदिर जाकर पंडित का धन्यवाद किया तब पाखंडी पंडित जी को विश्वास नहीं हुआ। उन्होंने उससे भगवान दिखाने की इच्छा व्यक्त की। तब पाली पंडित को लेकर खेतों में गया और कहा देखो वह रहा भगवान लाठी लिए खड़ा है किंतु पंडित को केवल लाठी दिखाई दी भगवान नजर नहीं आए। तब पाली ने भगवान से गुरुजी को भी दर्शन देने की प्रार्थना की। तब भगवान ने कहा कि इस पाखंडी को कैसे दर्शन हो सकते हैं जिसे स्वयं विश्वास नहीं है। तब आवाज सुनकर पंडित जी चरणों में गिर पड़े और क्षमायाचना की और भगवान ने उसे कहा कि चार दिनों तक न खाने से भोला बालक मर जाता। तब पंडित के क्षमायाचना करने और आग्रह पर उसे भी विष्णु रूप में दर्शन दिए और अंतर्ध्यान हो गए।

झिलमिल नूर जहूर जोति, कोटि पद्म उजियार है |
उल्ट नैन बेसुन्य बिस्तर, जहाँ तहाँ दीदार है ||

अर्थ: संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि परमेश्वर का शरीर पांच तत्व का नहीं नूर तत्व का है। परमात्मा के एक रोम कूप के प्रकाश की बराबरी करोड़ सूर्य और करोड़ चंद्रमा भी नहीं कर सकते। सतलोक स्व प्रकाशित लोक है और वहां परमात्मा नूरी शरीर में विराजमान है। इसे ही गरीबदास जी महाराज ने नूर से झिलमिलाती ज्योति का उस लोक में प्रकट होना बताया है। करोड़ों पद्मों का उजाला वहां है। उस परमपिता परमेश्वर के दीदार उल्टे नैन यानी खुली आंखों से नहीं बल्कि बंद नेत्रों से होता है। बेसुन्न स्थान की ओर सच्चा साधक ध्यान लगाकर उस परमेश्वर का दीदार कर सकता है।

सार

संत रामपाल जी महाराज के अद्भुत ज्ञान से अनेकों अनमोल सत ज्ञान के मोती प्राप्त होते हैं। इस आलेख में सत्संग अनेकों मार्मिक उद्धरण हैं जो सीधा अज्ञान की बुद्धि पर प्रहार करते हैं। संत रामपाल जी महाराज वही तत्वदर्शी संत हैं जिन्होंने अंधेरे में लोकवेद के अनुसार चलने वाले साधकों को दीपक हाथ दे दिया है।

  • मनुष्य जीवन का मिलना अत्यंत दुर्लभ है। वृक्ष से टूटे हुए पत्ते के समान यह होता है जो पुनः नहीं लग सकता। यह प्राप्त हो जाए तो इसका सदुपयोग करना चाहिए।
  • संत रामपाल जी महाराज के ज्ञान के अनुसार सच्चा सद्गुरु ही मोक्ष प्राप्त करवा सकता है। और सच्ची लगन से भक्ति करने वाले साधकों के साथ परमेश्वर सदैव रहता है।
  • परमेश्वर कबीर की महिमा अनंत है अपार है और उनकी भक्ति वह बेशकीमती भक्ति है जो दुर्लभ है। कबीर साहब अजर, अमर, सर्वोच्च, कुलमालिक, सर्व सृष्टि के रचनहार, एकामत्र सर्व शक्तिमान, दयालु और सबका पालन पोषण करने वाले परमात्मा हैं।
  • बिना सदगुरु के इस पूरे विश्व में जीव केवल चौरासी लाख योनियों में चक्कर लगाता है। वह चींटी से लेकर भगवान के अवतारों तक जन्म लेता हुआ इसी चक्र में फंसा रहता है।
  • कबीर साहेब इतने सक्षम हैं कि इस पृथ्वी के पांचों तत्व, मृत्यु आदि उनके इशारों पर खड़े रहते हैं। परमेश्वर कबीर अजन्मे हैं वे न जन्मे और न मृत्यु को प्राप्त होंगे। वे ही सर्व ब्रह्मांडो में रचना करने वाले हैं।

इस प्रकार हम पाते हैं कि परमात्मा अपने साधक को जन्मों से खोजते आ रहे हैं और उसे अपनी शरण में लेने के लिए तथा उनकी रक्षा के लिए विभिन्न प्रकार की लीलाएं करते हैं। इसका बहुत बड़ा उदाहरण है भक्त प्रहलाद की रक्षा के लिए नरसिंह रूप धरकर हिरण्यकश्यप को मारा था। परमेश्वर कबीर साहेब ही पूर्ण परमात्मा हैं। वे ही सर्व शक्तिमान, सर्वोच्च सत्ता, दयालु, सर्व सक्षम, क्षमावान परमात्मा है जिसने सारी सृष्टि की रचना की। संत रामपाल जी महाराज ने इसे सभी धर्म शास्त्रों से प्रमाणित करके बताया है।