आध्यात्मिक ज्ञान चर्चा: जगतगुरु तत्वदर्शी संत रामपाल जी महाराज बनाम हंसादेश प्रमुख सतपाल जी महाराज


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हंसादेश प्रमुख सतपाल जी महाराज अपना इष्टदेव सद्गुरु को मानते हैं और सद्गुरु वे हंसजी महाराज अर्थात हंसराम सिंह जी को मानते हैं जो उनके पिताजी थे। सतपाल जी महाराज कहते हैं कि इष्ट देव और सद्गुरु एक ही होता है। संत रामपाल जी महाराज अपना इष्टदेव परम अक्षर ब्रह्म/ सचिदानंदघन ब्रह्म/ कबीर परमेश्वर को मानते हैं जो सर्वोच्च उत्पादक प्रभु है, सर्वज्ञ है, संत भाषा में उन्हें सतपुरुष कहते हैं। संत रामपाल जी महाराज कहते हैं कि इष्टदेव पूज्य परमात्मा होते हैं तथा सतगुरु इष्टदेव का प्रतिनिधि होता है जो उस इष्ट देव से मिलने की विधि बताता है।

सतपाल जी महाराज कहते हैं कि वे जो भक्ति साधना करते है तथा अनुयायियों को मंत्र देते है वह शास्त्रों के अनुसार ही देते हैं। वे बताते हैं कि आंखें बंद करके अनहद सुनो, जिव्हा को उल्टा करके तालु पर लगाने की चेष्टा करो अर्थात अमृत क्रिया करो (खेचरी मुद्रा) तथा नाम जाप देते हैं "हंस"। हंस में "स" अंदर स्वांस लेते हुए जाप करो तथा "हं" स्वांस बाहर छोड़ते समय जाप करो। और कहते हैं कि यह सोहम बन जाता है। हंस को उल्टा करने से क्या सोहम बन जाएगा? नहीं! और अकेले सोहम जाप करने से भी लाभ नहीं है। कबीर साहेब ने कहा है– सोहम सोहम जप मरे, व्यर्था जन्म गवाए।

हंसादेश की एक पुस्तक है "हंसयोग प्रकाश" इसमें स्पष्ट है कि सतपाल जी महाराज के गुरु जी हंस जी विष्णु जी के पुजारी थे और वह हठयोग करते थे, उनके गुरु जी ने उन्हें एक स्थान पर बैठकर अनहद सुनने, खेचरी मुद्रा आदि बताई थी। उनकी दूसरी पुस्तक "अमृत के कलश" इसके 61 पेज पर लिखा है कि हंस जी महाराज ने गुरु जी से उपदेश लेकर कठोर तप किया, जबकि गीता अध्याय 17 श्लोक 5, 6 में हठयोग को मना किया गया है तथा गीता अध्याय 16 श्लोक 9 में बताया गया हैं कि मिथ्या ज्ञान देने वाले जगत के नाश के लिए ही उत्पन्न होते हैं।

कबीर साहब ने भी हठयोग के लिए मना किया है, भक्ति का सहज मार्ग बताया है कि काम करते-करते भक्ति करो। कबीर साहब बताते है:– 


नाम उठत नाम बैठत नाम सौवत जागवें। 
नाम खाते नाम पीते नाम सेती लागवे।।
स्वांस उस्वांस में नाम जपो, व्यर्था स्वांस मत खो।
ना जाने इस स्वांस का आवन हो के ना हो।।

संत रामपाल जी महाराज का ज्ञान कबीर साहेब की शिक्षाओं तथा सर्व शास्त्रों पर आधारित है। संत रामपाल जी महाराज ने बताया है कि संत का शस्त्र ज्ञान होता है। संत रामपाल जी महाराज का कहना है कि हंसादेस भक्तिहीन पंथ है। इस पंथ के धर्मगुरुओं को ना पुराणों का ज्ञान है, ना गीता और वेद का ज्ञान है। हंसादेश प्रमुख हंसराम सिंह जी के दो पुत्र हैं :– सतपाल जी महाराज जो दिल्ली में है तथा दूसरे छोटे पुत्र श्री प्रेम जी महाराज जिनको बाल योगेश्वर के नाम से भी जाना जाता है वह अमेरिका में है। इन्होंने लाखों लोगों का जीवन बर्बाद कर दिया है।

संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि संत का पाठ्यक्रम पवित्र सद्ग्रंथ गीता, वेद, पुराण तथा कबीर वाणी आदि है। जो अपने पाठ्यक्रम (सिलेबस) के आधार पर ज्ञान बताता है वह सच्चा संत है अन्यथा वह जनता के साथ धोखा कर रहा है। श्री हंस जी महाराज ने हठयोग किया जबकि गीता अध्याय 3 श्लोक 7, 8 में बताया गया हैं कि कर्म करते हुए भक्ति करो, हठयोग नहीं करना। यजुर्वेद अध्याय 40 श्लोक 15 भी यही कहता है कि कर्म करते हुए परमात्मा की भक्ति करनी है। गीता अध्याय 16 श्लोक 23 में कहा है कि जो शास्त्र विधि को त्याग कर अपनी इच्छा से मनमाना आचरण करता है वह ना सुख को, ना कार्य सिद्धि को और ना ही परम गति को प्राप्त होता है अर्थात मनमुखी साधना व्यर्थ है।

श्री सतपाल जी महाराज गीता अध्याय 18 श्लोक के 66 में "व्रज" का अर्थ आना करते हैं जबकि संत रामपाल जी महाराज प्रमाण सहित बताते हैं कि व्रज का अर्थ जाना होता है, तथा गीता अध्याय 18 के ही श्लोक 62 में भी गीता ज्ञान दाता अपने से अन्य पूर्ण परमात्मा की शरण में जाने को कह रहे हैं।

श्री सतपाल जी महाराज का मानना हैं कि पाप कम तो भोगना ही पड़ता है जबकि संत रामपाल जी महाराज गीता, वेद शास्त्रों से प्रमाणित करके बताते हैं कि पूर्ण परमात्मा घोर पाप का भी नाश कर देता है। सतपाल जी महाराज टोने टोटके में भी विश्वास करते हैं, अंगुली में पत्थर लगी अंगूठी पहनते हैं, संत रामपाल जी महाराज बताते हैं कि जहां भक्ति नहीं वहां आडंबर चलते हैं। संत रामपाल जी महाराज ने प्रमाण सहित सम्पूर्ण तत्वज्ञान को सुलझा दिया है।

कबीर, नौ मन सूत उलझिया, ऋषि रहे झक मार। 
सतगुरु ऐसा सुलझा दे, उलझे ना दूजी बार।।
और ज्ञान सब ज्ञानड़ी, कबीर ज्ञान सो ज्ञान।
जैसे गोला तोप का, करता चले मैदान।।

पूरे विश्व में केवल संत रामपाल जी महाराज ही तत्वदर्शी संत है, पूर्ण गुरु है। विश्व के सभी लोग उनसे दीक्षा लेकर मोक्ष प्राप्त कर सकते है। आप भी देखे ये अद्भुत ज्ञान चर्चा